हमारे मन में बहुत सारे सवाल उठते हैं उन्ही सवालों में एक यह भी सवाल होता है कि आत्मायें होती है या नही ,
क्योंकि बहुत से लोगों से हमने यह सुना होता है कि अत्मा हमारे शरीर के अन्दर होते है और यह बात विज्ञान ने अभी साबित की है।
कि हां आत्मा होती है क्योंकि हमारे शरीर में आत्मा का वजन 21 ग्राम होता है यदि मृत्यु के बाद इंसान का शरीर का वजन किया जाए तो उसका वजन 21 ग्राम कम हो जाता है इससे यही साबित होता है कि आत्मा होती है और उसका वजन 21 ग्राम होता है।
अब हम बात करते हैं कि यदि आत्मा होती है तो हमें दिखाई क्यों नहीं देती है आखिर ऐसी क्या वजह है और वह किस हमें किस रूप में दिखाई दे सकती हैं क्योंकि आत्मा का कोई भी रूप नहीं होता है ना ही हम उन्हें अपनीआंखों से देख सकते है।
हमने यूट्यूब और इंटरनेट पर बहुत सारी ऐसी वीडियो देखी होंगी जिनमें हमें शरीर से आत्मा निकलती हुई दिखाई देती हैं क्या यह वीडियो असली होती है यदि होती है तो इसका मतलब आत्मा होती है और वह जब हमारे शरीर से निकलती है।
तो शरीर से धुआं सा निकलता है पर फिर भी आत्मा से बहुत से रहस्य जुड़े हुए हैं जिन्हें आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है आज हम आपको बताएंगे की आत्माएं होती है या नहीं और यदि होती है तो उनके होने की क्या सबूत है।
आत्मा के कितने प्रकार होते हैं?
यदि हम बात करें आत्मा कितने प्रकार की होती है तो आपको बता दें आत्मा तीन प्रकार की होती है।
1. जीवात्मा
2. प्रेतात्मा
3. सूक्ष्मात्मा
यह आत्माओं के प्रकार है और यह उसी के हिसाब से शरीर में वास करती हैं और अपना रूप बदलती हैं।
1. जीवात्मा
जब आत्मा भौतिक शरीर में प्रवेश करती है तो उसे जीवात्मा कहा जाता है जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद उसे मनुष्य का शरीर मिलता है और तब वह एक मनुष्य के शरीर में प्रवेश करती है और उसी के शरीर में लंबे समय तक जीती है।
यदि हम हिन्दू धर्म की मानें तो 84 लाख योनियों में पेड़ – पौधे , कीट पतंगें और पशु -पक्षी साथ ही और भी बहुत सारे जीव – जंतु होते हैं जिन्हें जीने के बाद हमें मनुष्य का रूप मिलता है जिसे जीवात्मा कहते है।
2. प्रेतात्मा
जब इस जीवात्मा का वास कामनानय और वासना शरीर में निवास होता है तो उसे प्रेतात्मा कहते है और जब यह आत्मा शरीर को छोड़ती है और प्रेत योनि में जाती है तो इसे भी प्रेतात्मा कहते है।
मृतात्मा शरीर से निकलने के बाद काफी देर तक अपने शरीर के आसपास मंडराती रहती है और अजीब – अजीब सी हरकतें करती रहती है क्योंकि उसे ऐसा लगता है जैसे वह कोई बुरा सपना देख रही हो ना कि उसकी मृत्यु हुई हो।
पर जब वह अपने शरीर में प्रवेश करती है तो वह ऐसा नहीं कर पाती है तब उसे एहसास होता है कि उसकी मृत्यु हो चुकी है जो आत्मा अपने शरीर से बहुत ज्यादा प्यार करती हैं वह श्मसान में भटकती रहती हैं और जो अपने परिवार से ज्यादा प्यार करती हैं।
वह घर में ही बनी रहती हैं यदि मृत शरीर को जला दिया जाये तो आत्मा अपने शरीर का मोह त्याग देती हैं और यदि उसे दफना दिया जाये हैं तो वह अपने शरीर का मोह त्याग नहीं पाती है और काफी दिनों तक इधर-उधर भटकती रहती है और इसे ही प्रेतात्मा कहा जाता है।
3. सूक्ष्मात्मा
आत्मा के शरीर का जब अंतिम संस्कार हो जाता है तब उसकी आगे की यात्रा शुरू होती है और फिर उसे कर्मों के हिसाब से फल मिलते हैं और इन फलों को प्राप्त करने के लिए उसे तीन मार्गों पर चलाया जाता है जिन्हें अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और विनाश – उत्पति मार्ग I
अगर बात करें अर्चि मार्ग की तो यह स्वर्गलोक और देवलोक की यात्रा का मार्ग होता है और यहां अच्छी और नेक आत्माएं आती है वही यदि धूम मार्ग के बारें में कहें तो यह पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है।
और विनाश – उत्पत्ति मार्ग नर्कलोक की यात्रा करवाता है जो आत्मा अच्छे कर्म करती हैं वह परमात्मा में मिल जाती हैं और वह द्वारा जन्म नहीं लेती हैं पर जो अच्छे कर्म नहीं करते हैं और अच्छे -बुरे दोनों कर्म करते हैं।
उन्हें पृथ्वी पर दोबारा जन्म लेना पड़ता है और जीवन – मृत्यु के चक्र में फंसना पड़ता है और इसे ही सूक्ष्मात्मा कहते हैं।
आत्मा के कितने रंग होते है?
यदि हम बात करें आत्मा कितने रंगों की होती है तो हिंदू धर्म के अनुसार आत्मा को अलग-अलग रंगों का बताया गया है हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं और इनमें तीन प्रमुख होते है – भौतिक , सूक्ष्म और कारण।
यदि हम भौतिक शरीर की बात करें तो यह लाल रंग से सना हुआ होता है और यदि सूक्ष्म की बात करें तो यह पीला रंग का होता है और कारण नीले रंग का होता है और आत्मा को भी नीले रंग का ही बताया जाता है।
क्योंकि यदि हम नीले रंग की रोशनी में आत्मा को देखना चाहे तो उसे देख सकते है और पीले रंग की रोशनी में हम आत्मा का आभास कर सकते हैं।
हमें आत्मा का आभास कैसे होता है?
बहुत से लोग कहते हैं कि उन्होंने आत्मा को देखा है या फिर आत्मा को आभास किया है यह सब कैसे होता है आखिर कोई आत्मा को कैसे महसूस कर सकता है तो हम आपको बताते हैं कि आप आत्मा को कैसे महसूस कर सकते हैं।
यदि आत्मा आपके आसपास होती है तो आपको किसी खुशबू या फिर किसी ऐसी चीज की महक आती है जो बहुत ही बुरी होती है साथ ही आपको वहां पर कुछ अजीब – अजीब सी चीजें भी दिखाई पड़ती हैं जो सामान्य रूप से अलग होती हैं और हमें अपने मन में कुछ ऐसा लगता है।
जैसे आपके पास कुछ हो क्योंकि आपको अपने मन में आभास होने लगता है कि आपके करीब कोई और है जिसे आप देख नहीं सकते हैं और उसे ही आत्मा कहते हैं बहुत से लोग आत्मा को अपने पास बुलाते हैं और उन्हें अपने वश में कर लेते हैं तंत्र विद्या एक ऐसी विद्या है जिसमें आत्मा को अपने वश में किया जाता है।
और फिर उनसे कुछ भी करवाया जाता है जिन्हें हम प्रेतात्मा कहते हैं यदि हम आत्मा का अनुभव करना चाहें तो आत्मा हमें अपना अनुभव खुद कराती हैं पर हम उसे महसूस नहीं कर पाते हैं बहुत ही कम होता है कि जब आप आत्मा को आभास या महसूस कर सकें।
अच्छी और बुरी आत्माएं
यदि हम कहे कि कुछ आत्माएं बुरी होती हैं और कुछ आत्माएं अच्छी होती है तो ऐसा कुछ भी नहीं होता है आत्मा एक समान होती है बस उसके संस्कारों के ऊपर होता है कि वह उसे कैसा बनाता है यदि उसके संस्कार अच्छे होते हैं तो वह अच्छी आत्मा में बदल जाती हैं।
और यदि उसके संस्कार बुरे होते हैं तो वह बुरी आत्मा में बदल जाती है क्योंकि बहुत से लोग मरने से पहले अच्छे – अच्छे कर्म करते हैं और वह किसी को भी नहीं सताते हैं तो उनके मरने के बाद उनकी आत्मा अच्छी आत्मा में बदल जाती हैं और वह अच्छी आत्मा बनकर भी किसी को भी हानि नहीं पहुंचाती है।
पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मरने से पहले बहुत ही बुरे काम करते थे , लोगों को सताते थे और उन्हें परेशान करते थे तो वो मरने के बाद भी वही कर्म उनके अंदर आ जाते हैं और वह लोगों को सताते और परेशान करने हैं जिन्हें हम बुरी आत्मा कह सकते हैं।
पर एक समय ऐसा आता है जब यह आत्माएं फिर से किसी ने शरीर को धारण करने के लिए तैयार हो जाती हैं क्योंकि हर चीज का समय पहले से ही निर्धारित होता है कि कब आपकी मृत्यु होगी और कब आपको जन्म लेना है यह सब पहले से ही लिखा रखा है।
और उसी के हिसाब से सब कुछ होता है कहा जाता है यदि कोई अपनी मौत से पहले मर जाता है तो वह अपनी आत्मा के रूप में भटकता रहता है और जब उसकी आयु पूरी हो जाती है तो वह जन्म ले लेता है और जो पूरी आयु जी कर मरता है तो उसे तुरंत जन्म मिल जाता है।
आत्मा का पुर्नजन्म कैसे होता है?
यदि हम बात करें कि आत्मा का पुर्नजन्म कैसे होता है तो लोगों का मानना है जो आत्मा नया शरीर धारण करती है और उसे अपने इस जन्म में पिछले जन्म की बातें याद रहती हैं तो उसे ही पुनर्जन्म कहा जाता है।
हमने बहुत सारे ऐसे ऐसे किस्से सुनें होंगे जिनमें लोगों को अपने पुनर्जन्म की यादें रहती हैं जैसे वह कहां पर रहते थे , उनकी माता – पिता कौन थे और उनका कहां पर जन्म हुआ था और भी बहुत कुछ जो उन्हें अपने पिछले जन्म का याद होता है।
यह जब होता है जब हमारी आत्मा पूर्ण रूप से शांत नहीं हो पाती है और अपने पुराने परिवार या रिश्तेदारों को भूल नहीं पाती है और उसका जन्म हो जाता है इस वजह से वह अपना पुनर्जन्म याद रख पाती है और उसे सब कुछ याद रहता है।
पर कहा जाता है यदि इस जन्म में उसे कुछ खट्टे पदार्थ या कुछ टोना – टोटका कर दिए जाए तो उसकी पुरानी यादें मिट जाती है और वह व्यक्ति इस जीवन में जीने लगता है क्योंकि यदि आत्मा का पुनर्जन्म होता है तो वह सही – तरीके से शांत नहीं हो पाती है।
क्योंकि उसे पुरानी यादें बनी रहती है जिस वजह से वह अपने पुराने रिश्तो से मोह नहीं छोड़ पाती है और उसे आगे जीवन में गुराजने में काफी ज्यादा मुश्किलें आती हैं इसीलिए हमें शुरुआत में ही कुछ उपाय कर लेने चाहिए।
जिससे पुनर्जन्म से आत्मा विचलित ना हो और इसी के साथ हमें अच्छी तरीके से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार और उसके सारे रीति – रिवाज ध्यान से करना चाहिए जिससे आत्मा शांत हो जाए और वह पुनर्जन्म के चक्र में ना फंसे।
आत्मा होने के प्रमाण
यदि आत्मा नहीं होती तो हम लोगों का जीवन भी नहीं होता क्योंकि आत्मा से ही हमारा यह शरीर चल रहा है हमारे शरीर को एक आत्मा ही चला रही है तो यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि आत्मा नहीं होती है।
आत्मा होती है और वही हमारे शरीर को चलाती है और इसके प्रमाण की भी कोई आवश्यकता नहीं है पर फिर भी हम आपको बताते हैं कि आत्मा होने के क्या – क्या प्रमाण होते हैं।
1. मानव जीवन
यदि आत्मा नहीं होती तो यह मानव जीवन भी नहीं होता क्योंकि मानव जीवन आत्मा से ही है इस शरीर को आत्मा ही चलाती हैं और शरीर आत्मा का घर होता है जो जीवात्मा के रूप में रहती है।
हर किसी को पता है कि आत्मा अजय , अमर है वो मर नही सकती है और ना ही आत्मा को कोई जला और गला सकता है बस आत्मा एक शरीर से निकलकर दूसरे शरीर धारण कर लेती है और यही सिद्ध करता है कि आत्मा परमात्मा का रूप होती है।
और इससे कोई भी नकार नहीं सकता है यदि आत्मा ना हो तो मनुष्य का शरीर किसी काम का नही होता है वह सिर्फ एक बेजान मुर्दो होता है और आत्मा ही शरीर को जीवन देती है और यही सत्य है।
2. वैज्ञानिक क्या कहते है (Science)
यदि हम विज्ञान की बात करें तो विज्ञान भी आत्मा को नकारते नहीं है और वह कहता है कि हां आत्मा होती है क्योंकि जब इंसान की मृत्यु होती है तो उसका वजन 21 ग्राम कम हो जाता है इसका मतलब आत्मा का वजन 21 ग्राम होता है।
और आत्मा हमारे मस्तिष्क में वास करती हैं आत्मा हमारी शरीर की सभी क्रियाओं को नियंत्रण करती है यदि आत्मा हमारे शरीर से निकल जाती है तो हमारा मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है और हमारा दिल भी धड़कना बंद हो जाता है।
और शरीर में खून का प्रवाह भी अपने आप रुक जाता है यदि किसी कारण आत्मा शरीर में फिर से प्रवेश कर जाती है तो यह सब फिर से शुरू हो जाता है इंसान के मरने के बाद 1 दिन तक शरीर में आत्मा वापिस प्रवेश कर सकती है।
और वह फिर से उस इंसान को जिंदा कर सकती हैं तो यदि हम वैज्ञानिकों की माने तो आत्मा होती है और वही शरीर का संचालन करती है आत्मा के बिना शरीर का कोई भी मतलब नहीं है।
3. इंटरनेट पर आत्मा की वीडियों
यदि हम इंटरनेट पर वायरल वीडियो के बारे में बात करें तो पता लगता है कि उनमें जो वीडियो दिखाई जाती हैं वह कुछ एडिटिंग की मदद से या कुछ सच भी होती हैं क्योंकि आत्मा तो होती है और यह बात सभी को पता है पर आत्मा देखी नहीं जा सकती है।
हमने बहुत सी वीडियो में देखा होगा कि शरीर से आत्मा को निकलते हुए दिखाया जाता है जिसमें आत्मा दुआ या फिर उसी के प्रतिबिंब जैसा लगता है पर यह क्या संभव है कि हम आत्मा को अपनी आंखों से देख सकते हैं यदि हिंदू धर्म के अनुसार कहे तो आत्मा नीले रंग की होती है।
और उसे नीली रोशनी में देखा जा सकता है और पीले रोशनी में आभास किया जा सकता है तो फिर हम उसे अपनी आंखों से कैसे देख सकते हैं जब कोई आत्मा किसी के शरीर में प्रवेश करती है।
तो वह उसे अपने वश में कर लेती है फिर वह उससे कुछ भी करवा सकती है जो वो चाहती है अब इन वीडियो में कितनी सच्चाई है और यह वीडियों कितने झूठ हैं यह तो पता नही पर आत्मा होती है।
4. वेद – पुराणों में क्या लिखा है आत्मा के बारें में
वेद – पुराणों की मानें तो आत्मा होती है आत्मा अजर ,अमर है और वह हर किसी को दिखाई नहीं देती है हमने भीष्म पितामह के बारे में सुना होगा जिनके इच्छा – मृत्यु का वरदान था वह अपनी इच्छा के अनुसार अपनी आत्मा को शरीर से निकाल सकते थे।
पर यह कैसा हो सकता है यदि वेदों की माने तो ऐसा हो सकता है हम अपनी आत्मा को अपनी इच्छा के अनुसार शरीर में प्रवेश या फिर निकाल सकते हैं ऐसा करने के लिए हमें कड़ी साधना करनी है और कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है।
और तभी हम यह कर पाते हैं हमने गीता में भी आत्मा के बारे में बहुत पढ़ा है उसमें आत्मा को अजय , अमर बताया गया है जो कभी नहीं मरती है बस कपड़े की तरह अपना शरीर बदलती है।
और एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती रहती है और यह चक्र निरंतर ऐसे ही चलता रहता है जब तक आत्मा परमात्मा में विलीन नही हो जाती है।
5. प्रकृति और जीव जन्तु
यदि हम प्रकृति की बात करें तो प्रकृति में आत्मा का ही वास होता है या फिर यूं कहें परमात्मा का वास होता है हर एक उस चीज में जो चीज अपने आप को बड़ा या छोटा कर सकती है उसमें आत्मा वास करती हैं जीव – जंतु , पशु – पक्षी हर किसी में आत्मा का वास होता है।
क्योंकि हमनें पुराणों में 84 योनि के बारें में पढ़ा होगा कि 84 योगिनी जीव – जंतु , पशु – पक्षी और कीट – पतंगों से ही बनकर बनी है और मनुष्य को इन सभी जन्मों से गुजरना पड़ता है और तभी वह मनुष्य का शरीर धारण कर पाता है।
यदि आत्मा की बात करें तो आत्मा कभी भी नहीं मरती है क्योंकि वह अजय , अमर है और विभिन्न – विभिन्न रूप और आकार धारण कर लेती है और अपने जीवन चक्र को करती रहती है।
आत्मा निरंतर ऐसे ही एक शरीर से दूसरे शरीर को बदलती रहती है और वो एक रूप से दूसरा रूप धारण कर लेती है इससे हम कह सकते हैं कि आत्मा के बिना यह प्रकृति और पशु – पक्षी कुछ भी नहीं है यदि आत्मा ना हो तो यह सृष्टि ही ना हो।
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निष्कर्ष:
तो दोस्तों ये था क्या आत्मा होती है या नहीं, हम उम्मीद करते है की इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको आत्मा के अस्तित्व के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी.
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