नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ नारी पर कविता शेयर करने वाले है जिसको पढ़कर आपको बहुत अच्छा लेगा. एक नारी घर की लक्ष्मी होती है तो हमको नारियों की रेस्पेक्ट और इज्जत करनी चाहिए|
एक नारी किसी के घर की बहु, बेटी, बीवी होती है तो हमको नारी का सम्मान करना चाहिए. आज के इन सभी कविताओं को पड़ने के बाद आपको नारी को अच्छे से समझने में आसानी होगी तो चलिए सीधे पोस्ट को शुरू करते है|
5+ नारी पर शानदार कविता
1. नारी शक्ति है
हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेती
जितना हो उस में गुजारा कर लेती
कुछ नहीं चाहिए उसको
अगर सम्मान मिले तो वह भूखी भी रह लेती।।
एक हाथ में बच्चा लेकर
पनघट पर पानी भरने जाती
घर मैं वो सब काम भी करती तो
खेती में भी हाथ बंटाती
फिर ममता की मूरत बनकर
बच्चों पर वह प्यार लुटाती।।
ससुराल और मायके के बीच में पिस कर रह जाती
सास ससुर के ताने सुनती
हर ग़म चुपचाप सह जाती
चूल्हे की तपती आंच में जलती
सबके लिए खाना पकाती
नारी ही वह शक्ति है
जो खुद अपना अस्तित्व बनाती।।
हर परिस्थिति से लड़कर
उठ कर गिर कर और संभल कर
अंत में मंजिल को पा जाती
नारी ही वह शक्ति है
जो जगदंबा का रूप कहलाती।।
2. नारी पर अत्याचार
समय-समय पर उठती है पुकार,
कब बंद होंगे नारी पर अत्याचार,
कभी द्रोपती बनकर चीर हरण,
कभी होती है वह हवस का शिकार,
कब बंद होंगे नारी पर अत्याचार,
कभी दहेज के लिए जलाई गई,
कभी कमजोर समझ कर सताई गई,
कभी अपमान कर रुलाई गई,
हर चीज का शिकार बनाई गई,
पर अब कुछ ना सहेगी वह,
नारी है तो चुप ना रहेगी वो,
हाथ उठा जो उसकी तरफ,
हाथ तोड़ सकती है वो,
अपनी इज्जत की रक्षा,
स्वयं कर सकती है वो,
कमजोर नहीं अब शक्ति है,
ज्वाला रूपी अभिव्यक्ति है।।
3. नारी शक्ति पर कविता
हर क्षेत्र में काम कर रही,
नारी ऐसा नाम कर रही,
अपराजित कालरात्रि है,
शत्रुओं का नाश कर रही,
आत्म गौरव पहचान से,
जीवन में अपना काम कर रही,
कभी मां बनकर कभी बेटी बनकर,
अस्तित्व का मान रख रही,
एक पिता की उम्मीदों का सम्मान रख रही,
घर की लक्ष्मी बनकर लाज रख रही,
बहू बनकर सेवा कर रही,
मां बनकर ममता बांट रही,
पत्नी बनकर संसार चला रही,
पीड़ा ना हो सबको हर गम चुपचाप सह रही,
देश सेवा राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दे रही,
नारी हर जगह अपना परिचय दे रही।।
4. नारी की व्यथा
मेरे को ना समझा किसी ने
हर बार मर्जी थोंपी गई,
नारी हूं यह समझ कर,
हर बार झिंझोड़ी गई।।
कभी पिता के मान की खातिर
कभी घर के सम्मान की खातिर
अपने सपनों को भूल गई
जहां चाहा थी मुझे आजाद उड़ने की
वहां एक बंधन में बंध गई।।
मेरी भी कुछ सपने थे
ना मुझसे पूछा किसी ने
नारी हूं यही सोच कर
हर बार प्रताड़ित किया सबने।।
मुझको ना वह प्यार मिला
ना घर में अधिकार मिला
वैदिक काल से नारी को
बस यही सम्मान मिला
रोंधी जाती पैरों के नीचे
समाज के नीचे दब जाती
नारी हूं इसीलिए मैं,
सब कुछ सह जाती।।
5. आज के युग की नारी
एक नहीं अलख जगी नारी के सम्मान में,
कट जाएगा वह सर जो उठा तिरस्कार में,
अब नहीं सहेगा भारत द्रोपदी का चीर हरण,
गोली मारी जाएगी सीने पर करके बलात्कारियों का दमन।।
अब कोई कमजोर, हर नारी शक्ति है,
यह नया युग है यहां नारी खुद एक अभिव्यक्ति है,
अपने सपनों से हौसलो की उड़ान देगी,
आजाद परिंदों की तरह खुला आसमान देगी,
बुलंदियों के शिखर पर अपना नाम देगी,
नारी हर युग में अपनी पहचान दें।।
हर क्षेत्र में सबसे आगे काम कर रही
भारत मां के सम्मान में ऐसा काम कर रही
नारी अपने जीवन में संघर्षों को आसान कर रही
साथ नहीं रहा उसके कोई….
तब भी पथ प्रदर्शक बनकर नाम कर रही।।
वह अपनी पहचान कर रही
हर हिस्से में नाम कर रही…..।।
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निष्कर्ष:
तो दोस्तों ये था नारी पर कविता हम उम्मीद करते है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके दिल के अंदर नारियों के लिए और भी ज्यादा सम्मान पैदा हो गयी होगी|
अगर आपको हमारी ये सभी कवितायेँ अच्छी लगी हो तो प्लीज इसको अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और पोस्ट को १ लाइक भी जरुर करे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगो को नारी के बारे में सही जानकारी मिल पाए. धन्येवाद दोस्तों|