प्रकृति पर कविता | Nature Poem in Hindi

Nature Poem in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ प्रकृति पर कविता शेयर करने वाले है जिसको पढ़कर आपको बहुत अच्छा लगेगा. हमारी प्रकृति कितनी खूबसूरत है आज इन कविताओं के माध्यम से हम जनंगे.

हम अपनी प्रकृति से प्यार होना चाहिए क्यूंकि प्रकृति के खूबसूरती का कोई मुकाबला ही नहीं है. तो चलो दोस्तों बिना कोई टाइम बर्बाद करते हुए सीधे हम पोस्ट को स्टार्ट करते है.

प्रकृति पर कविता

Nature Poem in Hindi

prakriti-par-kavita

 

1. प्रकृति

वो हल्की- हल्की ठंड ,, वो प्यार का मौसम
वो सुबह की धूप,,वो रात को चांदनी।।

पक्षियों का चहचाना,,कोयल का गाना
मंद – मंद बहती हवा,, सुहाना सा ये शमां।।

जंगल में मोर का नाचना,, बारिश का सावन आना
मिट्टी को भिनी खुशबू से,,पूरा जंगल महक जाना ।।

पेड़ – पोधो पर ओस का आना , झरने से पानी का बह जाना
इंद्रधनुष सा आसमान है ,, प्रकृति का नया मेहमान है ।।

सुनहरी धूप अपनी काया,, प्रकृति का मौसम आया
सब रंग गए है इसके रंग मै,, ये कैसा है मौसम आया।।

चारो ओर खिले है फूल,, जंगल – जंगल महका उपवन
मौसम आया है वसंत का ,, पत्तों के झुरमुट का संगम।।

2. सुबह हो गई

प्रकृति की सुबह हो गई
चिड़ियों का चहचहाना शुरू
सूरज भी सर पर आया है
प्रकृति का मनोरम दृश्य छाया है।।

किसान जा रहा खेतों पर
झरने से पानी बह रहा
सुबह की ओस की बूंदों से
मनोरम दृश्य हो रहा।।

ठंडी ठंडी हवा चल रही
पत्तों का झुरमुट हिल रहा
नदियां और तालाब, आकाश
मनमोहक छटा निहार रहा।।

सुबह हो गई प्रकृति की
जंगल में मोर नाच रहा है
कहीं शांति मधुर है उपवन
प्रकृति का मन मोह रहा।।

3. प्रकृति का प्रेम

प्रकृति का प्रेम अनुपम
देती हम सब को यह जीवन
शांति का प्रतीक है होती
मत करो तुम इसका दोहन।।

पेड़ों को न काटो तुम
नदियों को, न तुम मेला करो
यह देते हैं फल और वायु
इसको ना तुम नष्ट करो।।

प्रकृति से प्रेम करो
नए वृक्ष लगाओ मेल करो
वन उपवन को साफ रखो
प्रकृति का मान रखो।।

जलवृष्टि है घट रही है
तप्त प्यास से जूझ रही
पानी का ना मोल यहां
प्रकृति हास् झेल रही।।

4. खेतों में हरियाली

खेतों में हरियाली छाई ,,गेहूं की फसल लहराई
भंवरे कर रहे है गुंजन,, प्रकृति का आलिंगन।।

नए पुष्प पेड़ों पर आए,, धरा मरुस्थल सब लहराए
बारिश की बूंदों से मानो,, नया जीव भी खिल उठ जाए।।

खेतों में पानी है जाए,, पक्षी उड़-उड़ शोर मचाए
ऐसा है ये बारिश का मौसम,, हर जगह हरियाली छाए।।

ओस की बूंदे लिपट रही पत्तों से,, प्रकृति का पाठ पढ़ाए
सब कुछ यहां पर झूम उठा है,, उमड़ घुमड़ कर बादल आए

बच्चे खेले शोर मचाए,, प्रकृति का आनंद उठाएं
खेत भी महक रहे हैं,, प्रकृति का लुफ्त उठाएं।।

धूप से प्यासी वसुधरा थी,, हम सब पानी को तरस गए थे
तृप्त हुई सावन की बूंदों से,,बादल आकर बरस गए थे।।

5. सूरज निकल रहा है

सूरज निकल गया आसमान से
प्रकृति की स्वाभिमान से
चारों ओर उजाला छाया
अंधकार को दूर भगाया।।

पक्षी निकले घोसलो से
लेने बच्चो के लिए दाने
किसान जा रहा खेतों पर
अपने कर्तव्य को निभाने।।

शेर भी निकला है शिकार पर
कबूतर चुग रहे है खेतों में दाने
प्रकृति ने ली अंगड़ाई,
सुंदर मनोरम छटा छाई।।

फूलो का रस ले गई तितली
जाकर उसने शहद बनाई
प्रकृति का मौसम मनोरम
बादलों की सुंदर घटा है छाई

6. प्रकृति क्या है

मां ने अगर जन्म दिया,
तो प्रकृति ने मर्म दिया
सुंदर सा वातावरण दिया,
मनरोम दृश्य परम आंनद दिया।।

बचपन में खेले मिट्टी में,
जीवनरूपी वो ज्ञान दिया
तुम कर लो सम्मान इसका,
जीने का अधिकार दिया।।

प्यास लगी जब हमको,
तो प्रकृति ने पानी दिया
जब तपता था अंबर,
तो बहती नदियों का संगम दिया
वृक्षों से मिलती है वायु,
जीवन हमको दान दिया
खाने को आनज दिया,
सोने को ठंडी छांव दिया।।

जेठ की तपती दुपहरी में,
पेड़ों की शीतल ठंडक दी
पक्षियों को घर दिया ,
इन्सानों को बरकत दी
जीवन जीने की प्रेरणा दी
मानवता की सेवा की।।

7. खूबसूरत प्रकृति

एक रात जब मै निकला प्रकृति से मिलने
सुंदर मनोरम दृश्य देखने
शाम का मौसम ठंडी हवाएं
वायु मै बहती भिनी फिजाएं
मंद – मंद मुसकाती हवाएं।।

खूबसूरत चांद का देख नजारा
मन हो गया पागल आवारा
चांद की रोशनी थी, सितारों का जहां था
रात का देखो ये कैसा शमा था।।

थोड़ा जब मै बड़ा आगे
जंगल के रात अंधरे मै
चकोर का जोड़ा भी बैठा
प्रेम के आशियाने में।।

रात्रि के उस अंधकार मै
पानी भी चांदी से चमक रहा
ठंडी मौसम हवाओं मै
ये रात का शमा बहक रहा।।

8. प्रकृति का नाश

प्रकृति का नाश हो रहा
मानव भी अब त्राश हो रहा
पेड़ों का काटा जा रहा
हरियाली को मिटाया जा रहा।।

प्रकृति का मान नहीं कोई उसका सम्मान नहीं
मानव भी समझे ,खुद को भगवान
करता वो सबका अपमान
प्रकृति के उपकरो को करता है वो निष्काम।।

अपने मतलब के लिए, करता है वो सारे काम
पानी ना देता पेड़ों को, फल लेता है सारे काम
पेड़ ना कभी लगता वो, बारिश को भी चाहता वो
मोह माया मै पड़कर, प्रकृति को बेचता है वो।।

शहर में जाता वो मॉर्निंग वॉक पर
गांव को गंवार बताता है
खुद करता है प्रकृति का नाश
एक पेड़ लगाकर, दस फोटो खिंचवाता है।।

9. प्रकृति कुछ नहीं लेती

कभी ना कुछ लेती है प्रकृति, फिर भी सबकुछ देती प्रकृति
कितना विशाल है हृदय रखती, कभी भेद ना करती प्रकृति।

शुद्ध हवा ओर ओषधि, फल फूल भी देती है प्रकृति
हर मौसम मै ढल जाती, सुंदर समय भी देती है प्रकृति।।

सुरज का प्रकाश देती, चांद की शीतलता देती
गंगा यमुना का जल देती, खुशियों की वो बाहर देती।।

पहाड़ों की सुन्दरता देती, खेती की हरियाली देती
बारिश का वो पानी देती, दृश्य मनोरम सुन्दरता देती।।

हम भी कुछ मान करे, प्रकृति का सम्मान करे
रक्षा करे हम उसकी , प्रतिष्ठा करे हम उसकी।।

10. प्रकृति की पुकार

प्रकृति की दीन पुकार, करो ना तुम अब इसका संहार
कितना दर्द दोगे उसको, अब तो कर दो उस पर उपकार।।

जंगल को ना शहर बनाओ, नदियों का ना मेला बनाओ
जो इसने दिया है तुमको, कुछ तो इसको भी लोटाओ।।

भगवान ना तुमको माफ करेगा, जो इस तरह का पाप करेगा
नष्ट करेगा संसधान को, प्रकृति की अभिवादन को।।

खेत काटकर घर ना बनाओ, पक्षियों का ना महल जलाओ
पर्वतों को ना नष्ट करो , ओजोन परत मै ना छेद करो।।

मानव तुम कब समझेगा, वसुंधरा की दीन पुकार
धरती मां भी अब हो रही है, मानव के त्राष की शिकार।।

11. शहर मै रहने वाले

शहर मै रहने वाले, कैसे समझनगे प्रकृति की भाषा
उन्होंने तो देखा नहीं, प्रकृति का भोर उजाला।।

चार कमरों में रहने वाले, खेतों को कैसे जानेंगे
प्रकृति की हरियाली को, वो कैसे पहचानेंगे।।

उनके यहां तो है गमले, जंगल को कैसे जानेंगे
कोयल की ना कुक सुनी, गाना कैसे पहचानेंगे।।

मनोरम दृश्य ना देखा कभी, नदियों का जल ना पिया कभी
शहर की आफदाफी मै, गांव को ना जिया कभी।।

चारदीवारी मै कैद हुए, पार्कों में बस तुम घूमे हो
प्रकृति की ना सुन्दरता देखी, शहर मै तुम खोए हो।।

12. बाग ओर उपवन

महक गया फूलो से पूरा, प्रकृति का बाग उपवन
पंछी की चहचहाट से , गूंज उठा है वन उपवन।।

कोयल भी निकली घोसले से, मधुर गीत सुनाने को
तितली निकली फूलो से रस चूसकर खाने को।।

भंवरे निकले पुष्पो के उपर ,गुंजन ओर मंडराने को
महका है उपवन दूर – दूर तक, प्रकृति को दिखाने को।।

माली दे रहा है पानी, बच्चे देख रहे है उपवन को
सूरज भी अर्घ्य दे रहा है, प्रकृति के इस संगम को।।

संध्या का अब समय आया है, सूरज पश्चिम को जाया है
लालिमा छाई आसमान मै, तारो का संगम आया है।।

13. नभ मै बादल

नभ मै देखो बादल आए
काली घटाएं आसमान मै छाए
तूफ़ानों के संग मै आए
बारिश का संदेश है लाए।।

प्रकृति तरस रही थी
पानी की एक एक बूंदों को
फसलें मर रही थी
बारिश की एक एक बूंदों को।।

पर अब जब बारिश आयी है
हर तरफ खुशियां छाई है
बच्चे खुशी से नाच रहे
प्रकृति जश्न मनाई है।।

सूखी धरती को पानी मिला
मरुस्थल को नव जीवन दान मिला
वृक्षों मै नई कोंपल फूटी है
ओस की बूंदों ने प्रकृति लूटी।।

14. सबसे प्यारी है प्रकृति

सबसे प्यारी है प्रकृति, सबसे न्यारी है प्रकृति
कई रूप है इसके , राजदुलारी है प्रकृति
नवजीवन की शिक्षा देती, जीवन का है मोल प्रकृति
आओ हम सब इसकी रक्षा करे, प्रकृति का सृजन करे।।

ना हम इसका दोहन करे , ना हम इसको क्षीण करे
सब इसका सम्मान करे, नया आयाम नाम करे
सांसों की डोर है प्रकृति से , जीवन सारा नाम करे।।

देती हमको ये शिक्षा अनेक, प्रेम भाव का अनुपम शेक
कैसे मोल चुका पाए हम, इसकी उदारता का मोल अनेक
प्रकृति से हम प्यार करे, क्यू ना इसका आभार करे
जिंदगी को इसके नाम करे, जीवन सारा तमाम करे।।

पेड़ पोधो की रक्षा करे, नए वर्क्षारोपन करे
प्रकृति की रक्षा करे, जीव जंतु की सुरक्षा करे
हम सब प्रकृति से प्यार करे ना इसका मोल भाव करे।।

15. जीने की रहा है प्रकृति

जीने की राहा है प्रकृति, उम्मीदों की किरण है प्रकृति
जब जीने की इच्छा खत्म हो जाए, तो बल देती है प्रकृति।।

जब जीवन मै अंधकार हो, प्रकाश का ना सूर्य उदय हो
तब राहा की नए मार्ग, दिखलाती है प्रकृति।।

जब मन कभी उदास हों, जीवन जीने की ना आश हो
अकेले पड़ जाते है जब , तब साथ होती है प्रकृति।।

जीवन मै नया सवेरा करती, आशाओं कि किरणे भरती
नए रंगो से जीवन को रखती , खुशियों की झोली भर रखती

अशांत मनुष्य को शांत करती, मन को वो आराम करती
जीवन को अभिमान करती , हम सबसे है प्यार करती।।

16. ये थी प्रकृति

आसमान मै बादल आए
शीत ऋतु भी ठंड बरसाए
चांद मामा भी सर पर आए
सुरज अपनी राग दिखाएं।।

सितारों का शहर जगमगाए
प्रकृति का मौसम दिखलाए
ठंडी हवाएं बहती जाए
नदियां कल कल बहती जाए।।

पर्वत राज हिमालय खड़ा
उतर से दक्षिण को जाए
पहाड़ों पर झुका है आसमान
प्रकृति का मान बढ़ाए।।

सुबह को अंगड़ाई लेती
प्रकृति की सारी अदाएं
नजर ना लग जाए इसको
प्रकृति की ले लो सारी बलाएं।।

आपकी और दोस्तों:

तो दोस्तों ये था प्रकृति पर कविता, हम उम्मीद करते है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको प्रकृति की सुंदरता के बारे में पता चल गया होगा. अगर आपको हमारी ये कवितायेँ अच्छी लगी तो प्लीज इसको १ लाइक और शेयर जरुर करे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगो को प्रकृति के बारे में कविता पढ़ने को मिले धन्येवाद दोस्तों|

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *