बच्चों का पालन पोषण कैसे करें 15 सही तरीका | Child Upbringing Tips in Hindi

बच्चे को जन्म देना जितना कठिन काम होता है उससे भी कहीं ज्यादा कठिन होता है बच्चे का पालन पोषण करना। बच्चे को पालन पोषण करना और उनको सही संस्कार देना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है एक माता-पिता की। बच्चे के पालन पोषण में किसी भी तरह की लापरवाही बरतना सही नहीं है और जानकारी के अभाव से तो बिल्कुल भी नहीं।

आज के पोस्ट पर हम बच्चे का पालन पोषण करने से जुड़ी कुछ टिप्स आपको देने वाले हैं। जो कपल्स नए नए माता-पिता बने है या जिनको बच्चे पालने का अनुभव नहीं है उनके लिए यह आर्टिकल बहुत ज्यादा हेल्पफुल रहने वाला है।

इस पोस्ट को पढ़कर आपको यह क्लियर हो जाएगा कि बच्चे का पालन पोषण सही तरीके से कैसे किया जाता है। तो बिना समय गवाएं चलिए आज की पोस्ट को शुरू करते हैं।

 बच्चों का पालन पोषण कैसे करें 15 सही तरीका

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1. मां पेट से ही ख्याल रखना जरूरी है

जब बच्चा अपने मां के पेट में होता है तभी से उसका अस्तित्व तैयार हो जाता है और जिस दिन से एक औरत गर्भधारण करती है उसी दिन से एक बच्चा सांस लेना और बढ़ना शुरू कर देता है।

अगर होने वाली मां के स्वास्थ्य का ध्यान न रखा जाए तो बच्चे को पोषण नहीं मिलता और बच्चे की ग्रोथ में रूकावट आ सकती है। इसी तरह से जो महिलाएं प्रेग्नेंसी में अपना ख्याल नहीं रखती उनके बच्चे या तो बीमार पैदा होते हैं या फिर प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन आती है।

कुछ केस में बच्चे होने के बाद ही मर जाते हैं। इसीलिए बच्चे का पालन पोषण मा के पेट से ही शुरू कर देना चाहिए।

2. पैदा होने के बाद

कुछ लोगों का मानना है कि मां का पहला पीला गाढ़ा दूध जो होता है वह बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। प्रसव के बाद का पहला दूध बच्चे के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत ही कारगर है।

अगर बच्चा जी भर के मां का पहला पीला दूध पी लेता है तो जीवन भर उसको रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है। इसीलिए बच्चे को मां का पहला पीला दूध जरूर पिलाना चाहिए।

3. डॉक्टर की सलाह से ही कुछ भी करें

पहले का जमाना और था। पहले हमारी दादी-नानी घर पर ही प्रसव करवा देती थी और फिर बच्चे का ख्याल अपने तरीके से रखती थी। लेकिन अब जमाना बदल चुका है। सभी परिस्थितियां बदल चुकी है।

साथ ही लोगों के जीने का और सहन करने का तरीका भी बदल चुका है। इसीलिए अगर इस जमाने में हम पुराने जमाने का फार्मूला लगाएंगे तो कहीं से भी समझदारी भरा नहीं होगा।

इसीलिए अपना दिमाग लगाने के बजाय डॉक्टर की सलाह से ही कुछ भी करें। बच्चे के जन्म के बाद दादी और नानी के जमाने का आईडिया न लगाएं और डॉक्टर जिस चीज के लिए मना करें उस काम को न करें।

4. खाना खिलाना शुरू करें

कुछ लोग बच्चे को अपच के डर से काफी दिनों तक सिर्फ दूध पिलाते हैं। लेकिन 3, 4 महीने बाद से ही बच्चे को दाल का पानी, खिचड़ी बगैरा खिलाना शुरू कर देना चाहिए।

इससे बच्चे को ताकत मिलती है और बच्चे तेजी से बढ़ते हैं। लेकिन मां का दूध बंद नहीं करना चाहिए और कम से कम 2 साल तक बच्चे को मां का दूध भरपूर पिलाना चाहिए। मां के दूध के साथ गाय का दूध भी पीलाना लाभकरी होता है।

5. बच्चे के वजन पर ध्यान दें

बच्चा ठीक से बढ़ रहा है कि नहीं उसको पूरा पोषण बिल भी रहा है कि नहीं यह जानने के लिए बच्चे को हर महीने वजन करते रहना जरूरी है। हर महीने वजन करने से आपको यह पता चलता रहेगा कि आपके बच्चे का ग्रोथ कैसा है।

अगर बच्चा प्रति महीने बढ़ रहा है तो फिर सब कुछ ठीक है और अगर वजन का कांटा रुक गया है तो फिर बच्चे की ग्रोथ भी रुक गई है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

6. टोना टोटका करने के बजाए दवाइयों का भरोसा करें

अक्सर लोग अपने बच्चे की परेशानी दूर करने के लिए टोना टोटका पर यकीन करते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर बच्चों के हाथ से लेकर कमर में काफी सारे ताबीज वगैरह बंधे हुए रहते है।

लेकिन इस तरह के अंधविश्वास पर भरोसा करके बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ करना सही नहीं है। इसीलिए बच्चे को ताबीज वगैरह बांधने से बचे।

7. बच्चे की किसी भी छोटी-छोटी परेशानी को नजरअंदाज ना करें

कुछ माता-पिता अपनी अपनी जिंदगी में इतना व्यस्त रहते हैं कि वह लोग अपने बच्चों को अच्छी तरह से समझ नहीं पाते। लेकिन बच्चे के बेहतर परवरिश के लिए जरूरी है कि माता पिता बच्चे की हर एक बात को समझे और उनकी परेशानियों को सीरियसली ले।

फिर चाहे बच्चे को कोई छोटी मोटी बीमारी हो या फिर कोई और परेशानी। बच्चे की परेशानी को जरा सीरियसली ले और उसे सॉल्व करें।

8. स्कूल भेजने में देरी न करें

समय से बच्चे को स्कूल में डाल देना बहुत जरूरी होता है। नही तो बच्चे खेल कूद के साथ बहुत ज्यादा जुड़ जाते हैं और फिर उनका मन स्कूल में लगता ही नहीं।

अगर कम उम्र में ही बच्चों को स्कूल में डाल दिया जाए तो बच्चे का मन पढ़ाई में बैठेगा और बच्चा स्कूल जाकर भी इंजॉय करके अच्छी तरह से पढ़ाई करेगा। इसीलिए बच्चे को सही उम्र में स्कूल में डाल दें।

9. मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखें

बच्चे का शारीरिक रूप से ख्याल रखना जिस तरह से जरूरी होता है ठीक उसी तरह बच्चे का मानसिक रूप से ख्याल रखना भी जरूरी होता है। खासकर जब बच्चा पढ़ना लिखना शुरू कर चुका है।

बच्चे को कभी भी किसी बात के लिए निराश ना करें और हमेशा उसकी खुशी के बारे में सोचें। अगर किसी चीज के लिए बच्चा जिद करे और उसकी वह जिद जायज हो तो उसे वह चीज देने का प्रयास करें और बच्चे को हमेशा खुश रखे।

10. बच्चे को समय दे

बच्चे को सिर्फ अच्छा भोजन कराना और उसकी जरूरतों को पूरा करना ही पर्याप्त नहीं होता। बच्चे के लिए समय निकालना भी जरूरी होता है इसीलिए अगर आप दोनों ही ऑफिस में काम करते हैं, फिर भी बच्चे के लिए थोड़ा समय निकाले और बच्चे के साथ वक्त बिताएं। ऐसे बच्चा खुश रहेगा और वह जितना ज्यादा खुश रहेगा उसकी ग्रोथ उतनी अच्छी होगी।

11. बढ़ती उम्र के साथ बच्चे के सेहत का खयाल रखना बहुत जरूरी है

बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं, उनके सेहत का और भी ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। अगर पहले से ही बच्चों का ध्यान सही से नहीं रखा जाए तो उसकी शारीरिक दशा बिगड़ सकती है।

इसीलिए अपने बच्चे की सेहत का हमेशा ख्याल रखें, उसके शरीर से जुड़ी छोटी से छोटी परेशानी को भी नजरअंदाज ना करें और कोई भी परेशानी या दिक्कत हो तो डॉक्टर के पास जाने पर संकोच ना करें। बच्चे को पौष्टिक आहार खिलाएं और तनावमुक्त रखें। तभी उसका संपूर्ण शारीरिक विकास होगा।

12. उचित संस्कार

बच्चे को उचित संस्कार देना भी बहुत जरूरी होता है अगर बच्चे को सही संस्कार ना दिया जाए तो उनके जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां आ सकती है और बच्चे सही रास्ते से भटक सकते हैं।

इसीलिए अपने बच्चे को छोटी उम्र से ही सही संस्कार दे और सही बात सिखाएं। बच्चा अगर कोई भी गलत काम करे तो उसे डांटने में संकोच ना करें और सही बात के लिए सराहना भी ना भूले।

13. आजादी देना भी जरूरी है

अपने बच्चे को गाइड करने के साथ-साथ बच्चे को आजादी देना भी बहुत जरूरी होता है। अगर बच्चे को आजादी न दिया जाए तो बच्चे घुटन महसूस करने लगते हैं और खुले आसमान में पंख फैला कर उड़ने से कतराने लगते हैं।

इसीलिए बच्चे को भरपूर आजादी दे और उसका साथ भी दें। अगर बच्चा आजाद होगा तभी वह अपने सपनों को समझ पायेगा और एक लक्ष्य तैयार कर पाएगा।

फिर वह उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जी जान से भीड़ जाएगा और 1 दिन आपका बच्चा एक सफल इंसान बन जाएगा। इसीलिए बच्चे को भेजें हमेशा आजादी दे।

14. हमेशा हुकुम चलना सही नहीं

हमेशा बच्चे पर हुकुम चलाते रहना जरूरी नहीं होता। अगर बच्चे के साथ प्यार और अपनेपन का रिश्ता बताया जाए तो प्यार से कह देने पर ही बच्चा हर बात मानता है।

लेकिन वहीं अगर रिश्ते में कड़वाहट आ जाए तो हुकूमत भी काम नहीं आती। इसीलिए बच्चे पर हुकुम चलाने के बजाय उसे प्यार से deal करें।

अगर आप अपनी बात मनवाना चाहते हैं तो अपने बच्चे की बात भी सुने तभी बच्चा का आपका सम्मान दिल से करेंगा और आपकी बात भी मानेगा।

15. विश्वास का रिश्ता

अपने बच्चे के साथ एक विश्वास का रिश्ता कायम करें। आपके बच्चे को आप पर विश्वास होना चाहिए कि अगर वह कुछ आपसे कहेगा तो आप उसके बाद को समझे बिना कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देंगे और उसके बाद को भलीभांति समझेंगे।

अपने बच्चे को हमेशा समझे और उसे भी खुद पर विश्वास करने का मौका दें। क्योंकि किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए विश्वास का होना बहुत जरूरी है।

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निष्कर्ष:

तो ये था बच्चों का पालन पोषण कैसे करें, हम उम्मीद करते है की इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको बच्चों का पालन पोषण करने का सही तरीका अच्छे से पता चल गया होगा।

अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो इसको शेयर जरूर करें ताकि अधिक से अधिक माता पिता को अपने बच्चों का सही से पालन पोषण कर पाएं।

इसके अलावा यदि आपके पास और कोई टिप्स है तो उनको कमेंट में हमें जरूर बताएं।

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