60+ नाराजगी शायरी | Very Sad Narazgi Shayari in Hindi

Very Sad Narazgi Shayari in Hindi

1 . मैं रूठ जाता था तो वो मुझको मनाता नहीं था
हाले दिल , दिल में रखता था बताता नहीं था
मैने दिन रात उसकी याद में रोकर गुजार दिए
और वो समझता था मेरा कुछ जाता नहीं था

2. नाराजगी अब इतनी भी ना दिखाओ तुम
कुछ देर तो मेरे पास भी बैठ जाओ तुम
मुझ को मनाने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन
मस’अला क्या है जरा वो तो बताओ तुम

3. कांच का दिल था उसका टूट गया मुझसे
एक शख्स का हाथ आखिर छूट गया मुझसे
तमाम उम्र मैंने इस सोच में गुजार दी अपनी
मुझसे ऐसा क्या हुआ जो वो रूठ गया मुझसे

4. हाल दिल का किसी को सुनाया जाए कैसे
चल रहा है जिंदगी में क्या ये बताया जाए कैसे
नाराज जब कोई होने लगे किसी से हर रोज
चाहकर भी वो रिश्ता फिर निभाया जाए कैसे

5. ये दुनिया , जमाने से लड़ा हुआ मिलूंगा
एक रोज तेरे दर पे खड़ा हुआ मिलूंगा
तेरी नाराजगी मुझको ले डूबेगी एक दिन
मैं तुझको कहीं पे मरा हुआ मिलूंगा

6. तुझको उदास देखा नहीं जाता इसलिए मना लेता हूं
तेरा कोई है नहीं ये सोचकर भी अपना बना लेता हूं
तू फिर भी मुझसे क्यों खफा खफा सा रहता है दोस्त
एक तेरे लिए मैं अक्सर दूसरों से यार झगड़ा लेता हूं

7. तू रोज यूं रूठ जाया कर मैं मनाया करूंगा
कोई गीत तेरी पसंद का गुनगुनाया करूंगा
शाम होते ही हम लोग रोज घूमने जाया करेंगे
तुझको अपनी बाइक पे पीछे बैठाया करूंगा

8. रूठ जाना तो यार तेरी बहुत पुरानी आदत है
मगर जानता हूं मैं तुझको अब भी मोहब्बत है
मुझे तेरी कोई एक भी बात से यार गिला नहीं
लेकिन तुझको तो मेरे रोने से भी शिकायत है

9. तेरा यूं रूठ जाना अच्छा नहीं लगता दोस्त
इसलिए तो तू मुझे अपना नहीं लगता दोस्त
आज से तेरे मेरे ये सब रास्ते अलग – अलग है
आज से तेरा मेरा कोई वास्ता नहीं लगता दोस्त

10. तुझे मुझसे खफा होना है , हो तेरी मर्जी है
शाम सवेरे रात दिन रोना है रो तेरी मर्जी है
के मैं तो मुसाफिर हूं कहीं भी चला जाऊंगा
मुझको भी बस वही कहना है जो तेरी मर्जी है

11. तू मेरा खुदा नहीं है , सो खुदा ना हो
कि यार अभी तो मुझसे जुदा ना हो
तेरा रूठ जाना भी तो अच्छा नहीं है
मैं कहूं भी तो कैसे मुझसे खफा ना हो

12. माना के रूठ जाना मोहब्बत में जरूरी है
पर रिश्ता ही निभाना मोहब्बत में जरूरी है
इश्क सब का मुकम्मल हो ये कुछ जरूरी नहीं
हां , बस किसी का होना मोहब्बत में जरूरी है

13 . मिल ना सका जो उसकी ही चाहत क्यों है
हमको बस एक तुझसे ही मोहब्बत क्यों है
मनाने का हुनर खुदा ने हमको बक्शा सही
लेकिन तुझको रूठ जाने की आदत क्यों है

14. तुम नाराज क्या हुए सारी दुनिया नाराज है
बिन तुम्हारे मेरा हर कोई अपना नाराज है
लौट आ मेरे घर में तेरे बगैर रोशनी नहीं होती
के मुझसे मोमबत्ती नाराज है दिया नाराज है

15. तुम मेरे अपने थे दूजा कोई होता तो जाने देता
मैं तुम्हारे बाद करीब किसी को नहीं आने देता
तुम अगर मेरे मनाए भी कभी ना मानते दोस्त
तो फिर किसी और को मैं तुम्हें मनाने देता

16 . ये सवाल रूठ जाने का है , मोहब्बत का नही
मेरी इबादत का है यार के तेरी आदत का नहीं
मेरा दिल मोहताज है तो बस तेरी बातों का दोस्त
तेरे हुस्न की कयामत का , तेरी ये सूरत का नहीं

17 . मैं रूठा तो तुम मुझ को मना नहीं पाओगी
दर्दे दिल अपना किसी को दिखा नहीं पाओगी
वक्त – ए – रूखशत है मैं बहुत दूर चला जाऊंगा
और ऐसा जाऊंगा कि मुझको बुला नहीं पाओगी

18. कयामत है एक रोज मर जाना है
हमको तो ये भी हुनर कर जाना है
खफा हो तुम हमसे कोई बात नहीं
हमे भी अपनी बातों से मुकर जाना है

19. मेरे लिए उसकी मोहब्बत सारी उसी दिन मर जाएगी
के मुझसे रूठ कर जिस दिन वो अपने घर जायेगी
तबाह मैं भी हो जाऊंगा के उसकी याद में और
उस की भी जिंदगी मेरे इंतजार में गुजर जाएगी

20 . दुआ बद्दुआ , शिकवा – गिला कुछ नहीं
मुहब्बत – वुहबत , प्यार , वफा कुछ नहीं
उसके मेरे दरमियां रूहों का रिश्ता है बस
रूठना मनाना जुदा होना , खफा कुछ नहीं

21. किसी को मुहब्बत का ऐसा सिला ना मिले
यार तो मिले मगर कभी तूझसा ना मिले
रूठना तेरी एक आदत बन गई है मेरी जान
तुझ जैसी को कोई गरीब मुझसा ना मिले

22. इतना भी ना रूठ मुझसे मैं मना नहीं पाऊंगा
दिल में क्या है तेरे लिए ये बता नहीं पाऊंगा
मैं तेरे लिए चांद को जमीन पर लाने वाला हूं
पर तू ऐसे रूठी रही तो फिर ला नहीं पाऊंगा

23. कि गैरों के भी शहर में तुम घूम आओ , तुमको इजाजत है
मेरे बाद तुम भले किसी के हो जाओ , तुमको इजाजत है
मैं यूं किसी को मनाता तो हूं नहीं मगर अलग हो तुम कुछ
सो मुझसे तुम जब भी चाहो के रूठ जाओ तुमको इजाजत है

24. कि बस तेरा होने को जी चाहता है
और सब भूल जाने को जी चाहता है
कि महबूब तुझसा अगर हो किसी का
तो गलती पर भी मनाने को जी चाहता है

25. तुझ से रूठे तो सारी दुनिया से रूठ जायेंगे
जितने भी परिंदे यहां कैद हैं सब छूट जायेंगे
ये जो रिश्ते है सब पतंगों की इक डोर जैसे हैं
इन्हे अगर ज्यादा खींचोगे तो रिश्ते टूट जायेंगे

26. मेरे बस में ये नहीं कि तुझको मना लूं फिर से
जब तू मेरा है नहीं कैसे अपना बना लूं फिर से
अब मेरा जब दिल ही नहीं करता है तो मैं कैसे
खुद पर बोझ रखकर ये रिश्ता निभा लूं फिर से

27. तू मेरी दुनिया से बहुत बाहर हो चुका है
कि मेरा दिल अब कोई खंडहर हो चुका है
तेरा रूठ जाना एक बद्दुआ है मेरे लिए
तेरे जाने से हर मंजर बे मंजर हो चुका है

28. उस खुदा से मुझ को कोई शिकवा गिला नहीं
इस बात का भी कि तू मुझको कभी मिला नहीं
मैने कई रातें तेरे इंतजार में गुजारी है मेरी जान
यूं तेरा रूठ जाना मेरे इंतजार का तो सिला नही

29. हम तुझको जा बेवफा नहीं कहते
खफा है फिर भी खफा नहीं कहते
तू हमे नहीं मनाएगा ये मालूम है सो
हम भी तुझे दिलबर दिलरुबा नहीं कहते

30. गुजर जाएगी तेरे बगैर भी तू जा तो सही
तू अब नहीं रहा मेरा यकीन दिला तो सही
हम तुझे मना ही लेंगे जैसे – तैसे , तू बस
रूठ जाने का कोई बहाना बना तो सही

31. तेरा मिलना भी कोई खुदा से कम नहीं था
जब तक तू था जिंदगी में कोई गम नहीं था
क्या खबर थी रूठ जाएगा , साथ छूट जाएगा
बिछड़ जाएंगे हम को कभी ये भरम नहीं था

32. तेरा साथ छूटा हर एक वादा टूटा
तेरे बाद मुझसे कोई तो जरूर रूठा
मैंने किसी से फिर मोहब्बत नहीं की
जब से मेरे हाथों में से तेरा हाथ छूटे

33. है ! ये मोहब्बत कोई सजा नहीं
मगर इसमें भी सच कहूं मजा नहीं
जब से तुम रूठे हो हर कोई रूठ गया
मैं कैसे कहूं कोई मुझसे खफा नहीं

34. मेरी जां मुझसे रूठ कर किधर जाओगी
और मैं ही मैं मिलूंगा के जिधर जाओगी
ये गलतफहमी है कि मैं बदल जाऊंगा
ये भी गलतफहमी है तुम सवर जाओगी

35. मेरी जान मुझसे तेरा ये रूठना देखा नहीं जाता
और इन आंखों से हाथों का छूटना देखा नहीं जाता
मैं हूं कि एक कमजोर दिल का छोटा सा बच्चा कोई
मैं क्या करूं के मुझसे दिल का टूटना देखा नहीं जाता

36. तुम पर फिदा हो गए खुदा की मेहरबानी है
अब तुमसे जुदा हो गए खुदा की मेहरबानी है
क्यों किसी और को दूं आखिर ये इल्जाम मैं ??
तुम मुझसे खफा हो गए खुदा की मेहरबानी है

37. तुम जाते हुए भी पीछे तो मुड़ कर देख लेते
मैने रोका था तुम कुछ देर रुक कर देख लेते
हम ही थक गए तुम को मनाते मनाते ए – दोस्त
तुम भी कभी इस रूठने से थक कर देख लेते

38. हमे नहीं तुम से मोहब्बत तुम ठीक कहते हो
जाओ नहीं किसी की आदत तुम ठीक कहते हो
मेरा रूठना तो सारी जिंदगी यूं चलता ही रहेगा
सच में कुछ नही खुदा की इबादत तुम ठीक कहते हो

39. मैंने जिसको चाहा वो मुझको मिला नहीं
फिर भी मुझको खुदा से कोई गिला नहीं
रूठ जाना मोहब्बत में बड़ी बात है लेकिन
रूठ जाना मुहब्बत का ये सिला नहीं

40. इतने खफा हुए फिरते हो क्या हो गया
अब मुझ से बहुत डरते हो क्या हो गया
मेरा बस एक आखरी सवाल जवाब दो
क्या तुम भी मोहब्बत करते हो , क्या हो गया

41. काश ! कभी तुम मेरे पास बैठो
देकर मेरे हाथों में अपना हाथ बैठो
रूठ जाने का बहाना तो रोज का है
मत जाओ तुम बस कि आज बैठो

42. हाल – ए – दिल सुनाता तो किसको सुनाता
मैं दिल के जख्म दिखाता तो किसको दिखाता
रूठ जाने के लिए मेरे पास तो कोई था ही नहीं
और जिंदगी में कभी मनाता तो किसको मनाता

43. रूठ गए मुझसे तुम और कहा कुछ नहीं
फिर मुस्कुरा कर कहते हो हुआ कुछ नही
मैं तुमको किसी एक शाम बाहों में लेकर
पूछूंगा और तुम कहोगे बदला कुछ नहीं

44. ये जुल्म भी तुम मुझ पर अच्छा नहीं करते
कि मेरे होकर भी मुझसे तुम वफा नहीं करते
एक बस मुझ को मनाते ही नहीं हो रुठ जाने पर
और इसके सिवा तुम मेरे साथ क्या नहीं करते

45. मैं तेरी मुहब्बत से उकता गया हूं , मुझे छोड़ दे
कि मैं अपने आप में आ गया हूं , मुझे छोड़ दे
रूठ कर मुझसे वफा की बात मत किया कर
तू जा मैं खुद को ही भा गया हूं , मुझे छोड दे

46. बहुत हंसता था मैं अब रोता हूं
जागता हूं रात भर कहां सोता हूं
वो रूठ गई है मुझसे जाने किस बात पर
दिन भर मै इसी ध्यान में होता हूं

47. मेरे दिल में तेरे सिवा कोई नहीं
तू है बस तेरी जगह कोई नहीं
तेरी गलती पर भी तुझको मनाए
मेरी जान इतना मेहरबा कोई नहीं

48. है नहीं जिंदगी में कुछ भी मोहब्बत के सिवा
और तुझमें तेरी रूठने की आदत के सिवा
मुहब्बत एक बार जो हो जाए किसी से
दिखती नहीं कुछ फिर इबादत के सिवा

49. वो खुदा नहीं है फिर भी लोग उसको खुदा कहते हैं
जाने क्यों बस एक मुझको ही तुझसे जुदा कहते हैं
तू रूठा है तो आकर सलाह मशवरा क्यों नहीं करता
देख आकर लोग तेरे बारे में मुझसे क्या क्या कहते है

50. मुझसे हर कोई मुझको जुदा मिला
यानी उम्र भर कुछ नही नया मिला
तुम्हे मनाने के सिवा ए मेरी जान
मुहब्बत में मुझे यार और क्या मिला

51 . था यकीन मगर झूठा निकला
तू भी यार औरो जैसा निकला
मैं उसको मनाने घर गया उसके
और वो मुझसे बहुत खफा निकला

52. ये भी मुहब्बत में कुछ कम नहीं
कि तुम खुश हो और हम नहीं
रूठकर जाते हो तो जाओ ऐ दोस्त
तुमको मानने का अब दम नहीं

53. हम रूठे तो मालूम होगा रूठना किसे कहते हैं
हाथों में से हाथ किसी का छूटना किसे कहते हैं
हम जितना टूटे हैं उतना कोई भी नहीं टूटा होगा
कोई हमसे आकर तो पूछे टूटना किसे कहते है

56. तुम्हारी नाराजगी में मोहब्बत के दिन गुजरे जा रहे हैं
हम कुछ पहले ही बिखरे थे अब और बिखरे जा रहे हैं
और जाने क्या ऐसी कोई खता हो गई हमसे ऐ दोस्त
के पहले से भी ज्यादा लोगों के दिलों से उतरे जा रहे हैं

57. तुम चाहती हो कि मैं फिर से मनाऊं तुमको
कोई गीत बन जाओ तुम गुनगुनाऊं तुमको
चांदनी रात में और हाथों में हाथ देकर
मैं दूर इस दुनिया से कहीं ले जाऊं तुमको

58. जब तू मुझसे बिन बात रूठ जाती है
मेरे जीने की आस तक टूट जाती है
कुछ मसअलों से परेशान रहता हूं मैं
खुशियों की ट्रेन अक्सर छूट जाती है

59. रूठना तुम्हारी एक आदत है माना मैने
कुछ सालो में तुम्हे इतना तो जाना मैने
वाकिफ हूं तुम्हारे चेहरे के नूर से मैं
लाखो में भी तुम को पहचाना मैंने

60. वक्त रुखशत है मेरी जान ले जाएगा
सारी खुशियां का सामान ले जाएगा
कोई लम्हा आकर उसको रुला देगा
और मेरे चेहरे से मुस्कान ले जाएगा

61. जिसे सुनकर मैं खुश हो जाऊं वो साज तुम
और कब आते हो अपनी आदतों से बाज तुम
तुम को मनाते मनाते यार मैं अधूरा हो चुका हूं
आखिर और कितना रहोगे अब नाराज तुम

62. तुम मान जाओगे तो हमारे जख्म भर जायेंगे
यार हम भी जिंदगी में कुछ कर गुजर जायेंगे
तुमने भी सोचा होगा तुम बदल जाओगे और
बिछड़ने के बाद तुमसे हम भी सवर जायेंगे

63. तुम रूठे हुए हो मुझसे तो मान क्यों नहीं जाते
अंजान क्यों बनते हो यूं पहचान क्यों नहीं जाते
मुद्दतों से उदासी के दरिया में घिरा हुआ हूं मैं
और सोचता रहता हूं ये तूफान क्यों नहीं जाते

64. जिस – दिन से मुझसे वो नाराज रहती है
उस दिन से गुम कहीं मेरी आवाज रहती है
एक तो वो मेरे बिना रह नहीं सकती यारों
एक वो अपनी आदतों से कहां बाज रहती है

65. उसकी आदत किसी दिन छूट जायेगी पता था
वो कभी मुझसे भी यार रूठ जायेगी पता था
तुम्हारी आस पर अब तक जिंदा थोड़ी था मैं
जल्दी तुम्हारी ये आस टूट जायेगी पता था

66. रूठना – मनाना तो चलता रहता है
पर तेरा उदास रहना खलता रहता है
मैं तुझे सोचकर भी ना लिखूं चाहे कुछ
मेरी गजलों से तेरा चेहरा मिलता रहता है

67. ऐ जाने जां मैं तुझसे रूठकर जाऊंगा कहां
शाख हूं मैं तेरी अब टूटकर जाऊंगा कहां
मुझको तू खुद से अलग कर दे तो क्या कहूं
मगर खुद तेरे हाथ से छूटकर जाऊंगा कहां

68. वो शख्स रूठा हुआ कितना उदास लगता है
दूर होकर भी अक्सर जो मेरे पास लगता है
भले उससे मेरा कोई वास्ता नहीं इतना ज्यादा
पर फिर भी वो मुझको बहुत खास लगता है

69. सुनो मुहब्बत में ये खता होती रहती है
महबूब कभी कभी खफा होती रहती है
हर बार लड़ाई का सबब हो जरूरी नहीं
कभी – कभार ये बेवजह होती रहती है

70. तू मुझसे रूठके दूर मत जाया कर
मेरे और ज्यादा नजदीक आया कर
मैं हथेली पे जां रखके निभाता हूं
तू भी बेपरवाह होके निभाया कर

71. तुम मुझसे जब चाहो रूठ सकती हो
एक ही नजर में मुझको लूट सकती हो
मुहब्बत तुम्हे इसलिए नहीं करने देता
मैं जानता हूं इसमें तुम टूट सकती हो

72. तुम तो ऐसे नाराज हुए कि रिश्ता ही तोड़ दिया
मुझको उदासी के बहते दरिया में यूहीं छोड़ दिया
मैं आखरी दफा तुमको मनाने आने वाला था लेकिन
लोगो ने कुछ कुछ कहकर मेरा हौसला तोड़ दिया

73. क्यों इतने उदास उदास रहते हो
बताओ तो मुझसे क्या चाहते हो
रूठे इतना भी क्या बात नहीं करते
इसके सिवा तो तुम सब करते हो

74. उदासी छाई रहती है , कभी सुंदर नहीं रहता
कि जिस दिन से वो बस इक शख्स मेरे घर नहीं रहता
तुमने रूठने से पहले कुछ सोचा ही नहीं यूहीं रूठ गए
लड़ाई झगड़े ज्यादा हो तो मुहब्बत का असर नहीं रहता

75. मत जाओ दूर इतना कि पास आ ना सकोगे फिर
मैं एक बार खो गया तो मुझे पा ना सकोगे फिर
रूठना तुम्हारी आदत है पर ऐसी भी क्या आदत
बाहों में एक बार भरके देखो दूर जा ना सकोगे फिर

76. आईने तुमको देखता है या तुम आईने को देखती हो
मैं तो यही सोचता हूं कि तुम आखिर क्या सोचती हो
रूठ जाना अच्छा नहीं वैसे तो पर तुम्हारी मर्जी है
मगर फिर जब मैं रूठ जाता हूं तो क्यों रोकती हो

77. तुम्हे भूलकर सो जाना मेरे बस का नहीं
अब तुम्हारी याद में रोना मेरे बस का नहीं
मनाता आया हूं सदियों से तुम्हे ऐ जानेमन
तुमको अब और मनाना मेरे बस का नहीं

78. यार तू मुझसे इतना खफा ना हो
खुदा कि वास्ते आज जुदा ना हो
तू मेरे लिए सदा एक दुआ ही रहा
ए दोस्त अब इस तरह बद्दुआ ना हो

79. हो जाओ दूर मुझसे मुझको जीना आता है
मोहब्बत का कड़वा जहर भी पीना आता है
तुम रूठ रही हो मुझसे तो रूठ जाओ जल्दी
बिछड़कर जख्मों को मुझे भी सीना आता है

80. भूली बिसरी कोई सदा याद आई
आज मुझको उसकी दुआ याद आई
वो रूठा था एक दिन याद है मुझको
अपनी उस दिन की वफा याद आई

81. मत हो उदास अब ये उदासी देखी नहीं जाती
मूझसे यार तुम्हारी कि बेबसी देखी नहीं जाती
रूठना तुम्हारे लिए जरूरी है जानता हूं मैं
लेकिन मुझसे तो ये बेरुखी देखी नहीं जाती

82. तुम चाहती हो मैं मनाऊं तुमको और कुछ नहीं
पलकों पे अपनी सजाऊं तुमको और कुछ नहीं
मेरी जिंदगी गजलो के सहारे गुजरती है मेरी जान
तुमसा कोई गीत लिख के गुनगुनाऊं और कुछ नहीं

83. मुहब्बत में ये एहसान कौन करता है
मनाने के बाद ऐलान कौन करता है
लड़ाई के बाद जरा बताओ तो मुझको
कुछ देर में मेरी जान मेरी जान कौन करता है

84. ये जो कहानी है हकीकत भी हो सकती है कभी
के दोस्ती अपनी मुहब्ब्त भी हो सकती है कभी
तू मेरी ग़जलों को मुहब्ब्त की नजर से तो न देख
इनमें तेरी कोई शिकायत भी हो सकती है कभी

85. मना लेता हूं तुम्हे हर बार मैं तुम जानती हो
इसलिए तो मुझसे रूठकर दूर भागती हो
मैं तुम्हारी यादों में मर मर के जीता हूं
तुम बताओ क्या मेरी याद में जागती हो?

86. नाराजगी से कोई शिकवा गिला नहीं मुझे
पर जो चाहा था मैने वो कभी मिला नहीं मुझे
मुझे ये बात उम्र भर सताती रहेगी जाने जां
कि मैं गुमसुदा था और तुमने ढूंढा नहीं मुझे

87. काश मेरे होठों पे कोई फरियाद आए
कि तुम्हे सब कुछ नजर मेरे बाद आए
आज एक बच्चे को रूठते हुए देखा
आज बहुत बरसो के बाद तुम याद आए

88. रोते हुए तुम्हे देखूं तो देखा नहीं जाता
कौन समझाए मुहब्बत में ऐसा नहीं होता
मुझसे ज्यादा देर रूठा मत करो मेरी जान
जैसा तुम चाहती हो मुझसे वैसा नहीं होता

89. मेरी कश्ती दुनिया डुबोती रहेगी
औ’र तकदीर भी मेरी सोती रहेगी
तुम मुझसे रोज मत रूठा करो जान
वरना तुमसे रोज नफरत होती रहेगी

90. जो मिला जिंदगी में फिर वो खो ना सका
दाग दिल के कभी मैं अपने धो ना सका
तुम चाहती थी मैं तुमको रोज ही मनाऊं
पर मेरी जान अफसोस के ये हो ना सका

91. तुम्हारे शहर का मौसम सुहाना अच्छा लगता है
और उपर से तुम्हारा हर बहाना अच्छा लगता है
तुम रूठ जाती हो मुझसे तो सच कहूं मैं एक बात
भले मुसीबत है पर मुझको मनाना अच्छा लगता है

92. करीब आओ जरा पास बैठो कुछ कहो तुम
रोज अपनी कहती हो आज तो मेरी सुनो तुम
ये क्या है यार हर बात पे रूठ जाती हो बेवजह
तुमको बताऊंगा मैं किसी रोज आके मिलो तुम

93. बिछड़कर मुझसे उसको और क्या हासिल हुआ होगा
मुझे लगता है कोई ग़म नया हासिल हुआ होगा
वो मेरे साथ खुश रहता था पर कहता नही था कुछ
रूठकर मझसे अब उसको भी क्या हासिल हुआ होगा

94. ठीक नहीं होता जब दवा से कोई
उठ जाता है फिर इस जहां से कोई
इस तरह रूठा हूँ आप से मैं अब तो
जिस तरह बच्चा रूठता है माँ से कोई

95. मुझे प्यार उसका भुलाना पड़ेगा
किसी और से दिल लगाना पड़ेगा
किसी बात पर रूठ बैठा है हमसे
वो के अब उसे कल मनाना पड़ेगा

96. जब उदासी ये घर लौटती है
आते ही मुझको बस ढूँढती है
इस तरह रूठता है वो इक दोस्त !
जिस तरह लड़कियाँ रूठती है

97. गैरों को भी हमने अपना कर लिया
यानी अपनो से ही झगड़ा कर लिया
रूठा था उससे ,, जरा सी बात पर
चूमकर फिर उसने ,, अपना कर लिया

98. अपना जरा सा भी वक्त बर्बाद नही करना
याद करके भी मुझे ,, उसे याद नही करना
सच कहूं तो एक ये आदत भी उसी की है
रूठ के मान जाना और बात नही करना

99. वो रूठता है तो मैं उसको मनाता हूं
इस तरह मुहब्बत का वादा निभाता हूं
वो मुझसे अपनी कोई बात नहीं छुपाता
मैं भी उसे अपनी हर एक बात बताता हूं

100. इस दुनिया से सब कुछ छिपाना पड़ता है
हस्ता हुआ चहरा दिखाना पड़ता है
महबूब किसी रोज रूठ जाए तो क्या
बे दिल ही सही मगर मनाना पड़ता है

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