बिजली का आविष्कार किसने किया था और कब | Who Invented Electricity in Hindi

आज हम सभी भोजन और पानी की तरह बिजली पर निर्भर हैं? बिजली आज के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। आज प्रत्येक काम बिजली पर निर्भर है। हमारे पसंदीदा वीडियो गेम, टेलीविजन शो, मोबाइल फोन और यहां तक कि रात में अंधेरे को दूर करने वाली रोशनी भी बिजली से ही बनती है।

जरा सोचिए बिजली के बिना हमारा जीवन कैसा होगा? यह कितना भयानक विचार है? हम बिना बिजली के कोई भी काम नहीं कर पाएंगे, पूरी दुनिया एक जगह रुक जाएगी।

बिना बिजली के एक देश से दूसरे देश का संपर्क टूट जाएगा। लेकिन चिंता मत करो! बिजली मौजूद है और यह दुनिया में कभी भी खत्म नहीं होगी।

चूंकि बिजली हमारी दुनिया में मौजूद एक प्राकृतिक शक्ति है, इसलिए इसका आविष्कार करने की आवश्यकता नहीं थी। हालाँकि, इसे खोजा और समझा जाना था।

इसे समझने में इन्सानों को बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगा। बिजली की खोज का श्रेय ज्यादातर लोग बेंजामिन फ्रैंकलिन को देते हैं।

असल में आविष्कारकों को बिजली का आविष्कार करने की उस समय रूचि बढ़ी, जब उन्हें पता चला कि यह ‘विद्युत शक्ति’ के रूप में मौजूद है। साथ ही इसे तारों के माध्यम से इसके विद्युत प्रवाह को कहीं भी ले जाया जा सकता है।

कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है, यह बिजली के मामले में भी उतना ही सच है। जब “बिजली के आविष्कार” की बात आती है, तो लोग अपने घरों को रोशन करने का एक सस्ता और सुरक्षित तरीका चाहते थे। उस समय वैज्ञानिकों ने सोचा कि बिजली इसका एक तरीका हो सकती है।

बिजली का इतिहास

bijli ka avishkar kisne kiya tha

ऐसा नहीं है कि बिजली का ज्ञान हमें हाल ही की सदियों में हुआ है। प्राचीन मिस्र के ग्रन्थों को पढ़ने पर पता चलता है कि उन्हें बिजली के बारे में पता था।

उन्होंने अपने ग्रंथ में उस मछली के बारे में लिखा है, जो करंट पैदा करती है। आज की वैज्ञानिक भाषा में इस मछली को ‘इलेक्ट्रिक फिश’ कहते हैं।

मिस्र के लोग इस मछली को “थंडरर ऑफ द नाइल” के रूप में संदर्भित करते थे। कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि यह ग्रंथ 2750 ईसा पूर्व के है। उनका मानना था कि यह मछली अन्य मछलियों की शिकारियों से रक्षा करती है।

प्राचीन ग्रीक, रोमन और अरब के इतिहास में भी इलेक्ट्रिक मछली के बारे में जानकारी मिलती है। ‘प्लिनी द एल्डर’ और ‘स्क्रिबोनियस लार्गस’ जैसे कई प्राचीन लेखकों ने इलेक्ट्रिक कैटफ़िश|

और इलेक्ट्रिक किरणों द्वारा दिए गए बिजली के झटके के सुन्न प्रभाव की पुष्टि की है। वे जानते थे कि इस तरह के झटके वस्तुओं के संचालन के साथ कहीं भी जा सकते हैं।

उस समय जिन लोगों को सिरदर्द की बीमारी होती थी, उन्हें इलेक्ट्रिक मछली को छूने के लिए कहा जाता था। वे ऐसा इसलिए करते, क्योंकि बिजली के झटके से उनका सिरदर्द सही हो जाता था। यह मछली काफी शक्तिशाली झटका देती थी।

भूमध्य सागर के आसपास विकसित होने वाली सभ्यताएँ बिजली से अच्छी तरह वाकिफ थी। वो एंबर की छड़ों को रगड़कर बिजली उत्पन्न करते थे। 600 ईसा पूर्व में मिलेटस के थेल्स नामक व्यक्ति ने एम्बर पर पंखों को रगड़ कर स्थैतिक बिजली की खोज की थी।

थेल्स को इस बात का ज्ञान था की घर्षण से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। जिसे अब विज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है। इसके अलावा प्राचीन लोगों को चुंबकीय प्रभाव और बिजली के मध्य संबद्ध का ज्ञान था।

थेल्स के दो हजार साल बाद, 1600 के दशक में अंग्रेजी चिकित्सक और भौतिक विज्ञानी विलियम गिल्बर्ट ने अपनी पुस्तक डी मैग्नेट में बिजली के बारे में पहला सिद्धांत प्रकाशित किया।

1675 में अंग्रेजी रसायनज्ञ और भौतिक विज्ञानी रॉबर्ट विलियम बॉयल ने बिजली, इसके प्रयोग, यांत्रिक उत्पत्ति और इसके उत्पादन के बारे में एक बड़ा सिद्धांत प्रकाशित किया था।

1700 के दशक की शुरुआत में अंग्रेजी वैज्ञानिक फ्रांसिस हॉक्सबी ने एक कांच की गेंद बनाई, जो बिजली के आकर्षण और प्रतिकर्षण के समय चमकती थी। इसमें चमक के लिए पर्याप्त ऊर्जा थी, इस खोज के आधार पर कुछ सदियों बाद नियॉन प्रकाश की खोज हुई।

बिजली का आविष्कार किसने किया था और कब?

benjamin franklin ne kiya tha electricity ka avishkar

बेंजामिन फ्रैंकलिन अपने समय के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे। उन्होंने विज्ञान के कई क्षेत्रों में दिलचस्पी थी। इसी दिलचस्पी के कारण फ्रैंकलिन ने कई खोजें और आविष्कार किए। जिसमें बाइफोकल चश्मा मुख्य है। 1700 के दशक के मध्य तक आते-आते उन्हें बिजली में दिलचस्पी हो गई थी।

उस समय तक वैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से स्थैतिक बिजली के बारे में जाना और प्रयोग किया था। बेंजामिन फ्रैंकलिन ने इस प्रयोग में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया।

वह इस विचार के साथ आए कि बिजली में सकारात्मक और नकारात्मक तत्व होते हैं और इन तत्वों के बीच बिजली प्रवाहित होती है। उनका यह भी मानना ​​था कि आकाशीय बिजली इसी बहने वाली बिजली का ही एक रूप है।

1752 में फ्रेंकलिन ने अपना प्रसिद्ध पतंग प्रयोग किया। यह दिखाने के लिए कि आकाशीय बिजली एक प्रकार की बिजली ही है। इस प्रयोग में फ्रैंकलिन ने एक दिन तूफानी मौसम में पतंग उड़ाई, उन्होंने उस पतंग की डोर को एक धातु से बनाया।

उन्होंने जैसा सोचा था, उनके साथ वैसे ही हुआ। जैसे ही पतंग आकाशीय बिजली के संपर्क में आई, वैसे ही उस धातु की तार में करंट बहने लगा।

इस करंट के कारण उन्हें बहुत ज़ोर का झटका लगा, परंतु उनकी किस्मत अच्छी थी कि वो किसी हादसे का शिकार होने से बच गए। इसलिए बिजली के आविष्कार का श्रेय बेंजामिन फ्रैंकलिन को दिया जाता है।

फ्रेंकलिन के प्रयोग के आधार पर कई अन्य वैज्ञानिकों ने बिजली का अध्ययन किया। वे यह समझने लगे कि यह बिजली आखिर काम कैसे करती है और इसका उत्पादन कैसे होता है।

उदाहरण के लिए, 1879 में थॉमस एडिसन ने इलेक्ट्रिक लाइट बल्ब का आविष्कार किया और तब से हमारी दुनिया उज्जवल हो गई।

लेकिन क्या बेंजामिन फ्रैंकलिन वास्तव में बिजली की खोज करने वाले पहले व्यक्ति थे? शायद नहीं! 17वीं शताब्दी में अंग्रेजी वैज्ञानिक विलियम गिल्बर्ट ने बिजली और चुंबकत्व के अध्ययन के आधार पर बिजली के आविष्कार की नींव रखी थी। इसी कारण गिल्बर्ट को आधुनिक विद्युत का जनक कहा जाता है।

गिल्बर्ट के काम से प्रेरित होकर, एक और अंग्रेजी वैज्ञानिक सर थॉमस ब्राउन ने इसके बाद अनेक प्रयोग किए और अपने निष्कर्ष अपनी किताब में लिखे। गिल्बर्ट और ब्राउन “बिजली (Electricity)” शब्द का इस्तेमाल करने वाले पहले वैज्ञानिक थे।

बिजली को उपयोग करने के तरीके खोजना

1660 में ओटो वॉन गुएरिके ने स्थैतिक बिजली उत्पादन के लिए एक कच्ची मशीन का आविष्कार किया। यह गंधक का एक गोला था, जिसे एक हाथ से क्रैंक द्वारा घुमाया जाता और दूसरे हाथ से रगड़ा जाता था।

फ़्रांसिस हॉक्सबी ने इस मशीन में काफी सुधार किए जो प्रयोगकर्ताओं को स्थैतिक बिजली का एक तैयार स्रोत प्रदान करते थे। इन शुरुआती मशीनों के आज का विकसित वंशज “वैन डे ग्राफ जनरेटर” है, जिसे कभी-कभी कण त्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है।

इसके बाद रॉबर्ट बॉयल ने महसूस किया कि आकर्षण और प्रतिकर्षण परस्पर है और विद्युत बल एक निर्वात के माध्यम से प्रेषित होता है।

स्टीफन ग्रे ने कंडक्टर और नॉनकंडक्टर्स के बीच अंतर स्पष्ट किया। C. F. Du Fay ने दो प्रकार की बिजली के बारे में बताया था। जिसे बाद में बेंजामिन फ्रैंकलिन और Ebenezer Kinnersley ने सकारात्मक और नकारात्मक वस्तुओं का नाम दिया।

1745 में पीटर वैन मुशचेनब्रोक (Pieter van Musschenbroek) द्वारा लेडेन जार का आविष्कार करने के बाद बिजली को बनाने की प्रगति तेज हो गई। लेडेन जार में स्थैतिक बिजली संग्रहीत की जाती थी, जिसे एक ही बार में प्रवाहित किया जा सकता था।

1747 में विलियम वॉटसन ने एक सर्किट के माध्यम से एक लेडेन जार में करंट का प्रवाह किया। इस प्रयोग ने करंट और सर्किट को समझने में काफी सहायता की।

हेनरी कैवेंडिश ने धातु की चालकता को मापकर और चार्ल्स ए. कूलम्ब (Charles A. Coulomb) ने गणितीय रूप से विद्युतीकृत निकायों के आकर्षण को व्यक्त करके बिजली का मात्रात्मक अध्ययन शुरू किया।

विद्युत प्रवाह में एक नई रुचि बैटरी के आविष्कार के साथ शुरू हुई। लुइगी गलवानी ने 1786 में गौर किया कि स्थैतिक बिजली के बहाव से किसी भी चीज को झटका दिया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने मेंढक के पैर पर यह प्रयोग किया।

इस प्रयोग में मेंढक को जबर्दस्त झटका लगा। परिणामस्वरूप इस प्रयोग में पैर ने विद्युत अपघट्य और मांसपेशियों ने सर्किट का काम किया। इस तरह लुइगि गलवानी को एक साधारण सेल की परिभाषा समझ आई।

गैलवानी ने सोचा था कि पैर बिजली की सप्लाइ करता है। लेकिन एलेसेंड्रो वोल्टा ने इससे अलग सोचा और उन्होंने सबूत के रूप में वोल्टाइक ढेर, एक प्रारंभिक प्रकार की बैटरी का निर्माण किया।

बैटरियों में हो रहे निरंतर विकास ने जी.एस. ओम के नियम, संबंधित धारा, वोल्टेज (इलेक्ट्रोमोटिव बल), प्रतिरोध और जे.पी. जूल के विद्युत ताप के नियम की खोज का मार्ग आसान कर दिया था।

दुनिया में बैटरी का आगमन

बिजली का उत्पादन और उपयोग कैसे करना है, सीखना आसान नहीं था। लंबे समय तक किए गए प्रयोगों के बाद भी बिजली का कोई भरोसेमंद स्रोत नहीं था।

अंत में, 1800 ईस्वी में एक इतालवी वैज्ञानिक एलेसेंड्रो वोल्टा ने एक महान खोज की। उन्होंने नमक के पानी में कागज भिगोया, कागज के विपरीत किनारों पर जस्ता और तांबा रखा और रासायनिक प्रतिक्रिया से विद्युत प्रवाह को उत्पन्न किया। इस तरह वोल्टा ने दुनिया में पहली इलेक्ट्रिक सेल बनाई।

इसके बाद वोल्टा कई सेलों को एक साथ जोड़कर एक बैटरी का निर्माण किया। वोल्टा के सम्मान में हम बैटरी को वोल्ट में मापते हैं।

इस तरह से आखिरकार बिजली का एक सुरक्षित और भरोसेमंद स्रोत का निर्माण हुआ, जिससे वैज्ञानिकों के लिए बिजली का अध्ययन करना आसान हो गया।

करंट का प्रवाह करवाना

अंग्रेजी वैज्ञानिक माइकल फैराडे यह महसूस करने वाले पहले व्यक्ति थे कि तांबे के तार के माध्यम से एक चुंबक को पारित करके विद्युत प्रवाह का उत्पादन किया जा सकता है।

यह एक अद्भुत खोज थी। आज हम जितनी बिजली का उपयोग करते हैं, यह बिजली, बिजली संयंत्रों में चुंबक और तांबे के तार की कॉइल से बनाई जाती है।

विद्युत जनरेटर और विद्युत मोटर दोनों इसी सिद्धांत पर आधारित हैं। एक जनरेटर गति ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करता है। एक मोटर विद्युत ऊर्जा को गति ऊर्जा में परिवर्तित करती है।

1819 में हैंस क्रिस्चियन ओर्स्टेड ने पाया कि एक विद्युत धारावाही तार को चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र फैला रहता है। दो साल के भीतर आंद्रे मैरी एम्पीयर (André Marie Ampère) ने कई विद्युत चुम्बकीय नियमों को गणितीय रूप में प्रदर्शित किया।

इस आधार पर डी एफ अरागो ने विद्युत चुंबक का आविष्कार किया था और माइकल फैराडे ने इलेक्ट्रिक मोटर का एक कच्चा प्रारूप तैयार किया था।

इसके बाद सामान्य जीवन में मोटर के व्यावहारिक अनुप्रयोग के लिए तकरीबन 10 साल इंतजार करना पड़ा। हालांकि फैराडे ने इलेक्ट्रिक जनरेटर का आविष्कार किया था, जिससे मोटर को बिजली दी जा सकती थी। लेकिन फिर भी एक बड़े बिजली स्त्रोत की आवश्यकता थी।

फैराडे ने जब जनरेटर का आविष्कार किया था उसके एक साल बाद हिप्पोलीटे पिक्सी ने हाथ से चलने वाले जनरेटर का निर्माण किया।

इसके बाद बिजली की दुनिया में इंजीनियरों का आगमन होता है। धीमी गति परंतु साधी शुरुआत से जनरेटर का विकास हुआ। पहला पावर स्टेशन इसके 50 साल बाद बनाया गया था।

1873 में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र की समीकरणों को बनाया, इन समीकरणों ने विज्ञान की परिभाष ही बदल दी। साथ ही उन्होंने प्रकाश की गति से यात्रा करने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी भी की।

हेनरिक आर. हर्ट्ज़ ने प्रयोगात्मक रूप से इस भविष्यवाणी की पुष्टि की और मार्कोनी (1895 में) ने सबसे पहले इन तरंगों का उपयोग रेडियो विकसित करने में किया।

जॉन एम्ब्रोस फ्लेमिंग ने (1904) मार्कोनी रेडियो के डिटेक्टर के रूप में डायोड रेक्टिफायर वैक्यूम ट्यूब का आविष्कार किया।

इसके तीन साल बाद ली डे फॉरेस्ट ने तीसरा इलेक्ट्रोड जोड़कर डायोड को एम्पलीफायर में बदला, जिससे बिजली का प्रवाह शुरू हो गया। 1897 में जे जे थॉमसन द्वारा इलेक्ट्रॉन की खोज के साथ सैद्धांतिक समझ और अधिक शक्तिशाली हो गई।

1910-11 में अर्नेस्ट आर. रदरफोर्ड और उनके सहायकों ने परमाणु के भीतर आवेश के वितरण का पता लगाया। इस तरह से बिजली को बनाने में एक नहीं बल्कि कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मेहनत थी।

मिस्टर एडिसन द्वारा ऐतिहासिक खोजें

थॉमस अल्वा एडिसन सभी आविष्कारकों में सबसे महान हैं। इन्हें आमतौर पर प्रकाश बल्ब (निकोलस टेस्ला के साथ) बनाने का श्रेय दिया जाता है। यह 1868 में बोस्टन आए, बोस्टन में उन्हें ऐसे व्यक्ति मिले जो विद्युत प्रवाह के बारे में जानते थे।

एडिसन रात को काम करते थे। वे रात को कम सोते थे, ताकि उन्हें अध्ययन और काम के लिए ज्यादा से ज्यादा समय मिल सके। उन्होंने फैराडे के कार्यों नजदीकी से अध्ययन किया।

वर्तमान में उनके बहुआयामी आविष्कारों में से पहला आविष्कार एक स्वचालित वोट रिकॉर्डर था, जो उन्होंने 1868 में बनाया था।

“वोट रिकॉर्डर बनाए के बाद उन्होंने एक स्टॉक टिकर का आविष्कार किया और बोस्टन में एक टिकर सेवा शुरू की। इसके तीस या चालीस ग्राहक थे, यह गोल्ड एक्सचेंज के एक कमरे से संचालित होता था।”

इस मशीन को एडिसन ने न्यूयॉर्क में बेचने का प्रयास किया, लेकिन वह सफल हुए बिना वापिस बोस्टन लौट आए।

फिर उन्होंने एक डुप्लेक्स टेलीग्राफ का आविष्कार किया जिसके द्वारा दो संदेश एक साथ भेजे जा सकते थे, लेकिन एक परीक्षण में उनके एक सहयोगी की मूर्खता के कारण मशीन विफल हो गई थी।

1869 में एक गोल्ड इंडिकेटर कंपनी सोने के स्टॉक एक्सचेंज की कीमतों को टेलीग्राफ करके अपने ग्राहकों को भेजती थी, लेकिन उन्हें उस समय इसमें काफी समस्या आ रही थी।

एक भाग्यशाली संयोग से, एडिसन इसकी मरम्मत के लिए वहाँ मौके पर थे। उन्होंने सफलतापूर्वक उस समस्या को दूर किया। इस कारण उन्हें तीन सौ डॉलर प्रति माह के वेतन पर अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया।

परंतु समय के साथ कंपनी का स्वामित्व में बदलाव हुआ तो उन्हें कंपनी से बाहर निकाल दिया गया। थॉमस एडिसन ने तुरंत नेवार्क नामक शहर में एक दुकान खोली।

उन्होंने उस समय उपयोग में आने वाली स्वचालित टेलीग्राफी (टेलीग्राफ मशीन) की प्रणाली में सुधार किया और इसे इंग्लैंड में लोगों के सामने पेश किया।

उन्हें इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने कहा कि “टेलीग्राफी में आगे कोई प्रगति संभव नजर नहीं आ रही है इसलिए मैं अन्य लाइन में जा रहा हूँ।”

इसके परिणामस्वरूप 1879 में थॉमस एडिसन ने एक व्यावहारिक प्रकाश बल्ब का आविष्कार करने पर ध्यान केंद्रित किया, जो जलने से पहले लंबे समय तक चले।

इसमें समस्या फिलामेंट के लिए एक मजबूत धातु खोजने की थी, जो बिजली का संचालन करने वाले बल्ब के अंदर का छोटा तार था।

अंत में, एडिसन ने साधारण सूती धागे का इस्तेमाल किया जो कार्बन में भिगोया गया था। यह फिलामेंट बिल्कुल भी नहीं जला था और यह चमक गया, जिससे प्रकाश उत्पन्न होने लगा।

इसके बाद अगली चुनौती एक विद्युत प्रणाली की थी जो लोगों को इस नई रोशनी (बल्ब) को बिजली देने के लिए ऊर्जा का व्यावहारिक स्रोत प्रदान कर सके।

एडिसन बिजली को व्यावहारिक और सस्ती दोनों तरह से बनाने का एक तरीका चाहते थे। उन्होंने पहला इलेक्ट्रिक पावर प्लांट बनाया जो बिजली का उत्पादन करने और इसे लोगों के घरों तक ले जाने में सक्षम था।

एडिसन के पर्ल स्ट्रीट पावर स्टेशन ने 4 सितंबर, 1882 को न्यूयॉर्क शहर में अपना जनरेटर शुरू किया। इससे मैनहट्टन में लगभग 85 घरों को 5,000 लैंप जलाने के लिए पर्याप्त बिजली प्राप्त हुई। उस समय लोगों ने इस बिजली के लिए बहुत अधिक भुगतान किया था।

इस तरह से समय के साथ बिजली बनाने की प्रणाली में अधिक से अधिक विकास हुआ। जिसके परिणामस्वरूप हम आज इतनी बिजली का उपयोग करते हैं।

इन्हे भी जरूर पढ़े:

निष्कर्ष:

तो ये था बिजली का आविष्कार किसने किया था और कब, हम आशा करते है की इसआर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको बिजली के आविष्कार के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी।

अगर आपको ये लेख अच्छी लगी तो इसको शेयर अवश्य करें ताकि अधिक से अधिक लोगों बिजली के आविष्कार के बारे में सही जानकारी मिल पाए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *