इंटरनेट का आविष्कार किसने किया था और कब | Who Invented Internet in Hindi

इंटरनेट दुनिया का वो चमत्कार है जिसने आज की आधुनिक दुनिया को बहुत सुविधाएँ प्रदान की है। यह नेटवर्क की ऐसी वैश्विक प्रणाली है जिसमें करोड़ों कम्प्युटर, मोबाइल और टेलीफ़ोन एक साथ जुड़े रहते हैं। आज के समय में बिना इंटरनेट के कुछ भी संभव नहीं है।

प्रत्येक क्षेत्र में इंटरनेट का अहम योगदान है। आज प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था इंटरनेट पर निर्भर है। इंटरनेट ने शिक्षा, मनोरंजन, पर्यटन, संचार, व्यापार और सूचना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मौजूदा समय में इंटरनेट मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है।

इंटरनेट की मदद से कोई भी काम आसानी से हो जाता है। पहले किसी दूर बैठे व्यक्ति से संपर्क करने में महीनों लग जाते थे, लेकिन अब किसी भी व्यक्ति से बात करने के लिए कुछ ही पल का समय लगता है।

किसी भी जगह की जानकारी पता लगाना अब बिलकुल आसान हो गया है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहीं दूर जाने की बजाए घर बैठे भी प्राप्त कर सकते हैं। यह सब इंटरनेट की ही देन है।

सूचनाओं के आदान-प्रदान में इंटरनेट सबसे अहम साधन है। आज के समय में सबसे ज्यादा इंटरनेट पर ही सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।

व्यापार में भी इंटरनेट ने अपना अहम योगदान दिया है। हर वस्तु का हिसाब-किताब रखना और उसे कहीं पर भेजना इंटरनेट ने बहुत ही आसान बना दिया है।

लेकिन क्या आप जानते है कि इंटरनेट होता क्या है? इसका इतिहास कैसा है? इसका आविष्कार किसने किया था? और आज के समय में इंटरनेट की क्या दशा है? आज के इस लेख में हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देंगे। तो आइए शुरू करते हैं-

इंटरनेट क्या है?

इंटरनेट दुनिया में फैला टेक्नोलोजी का सबसे बड़ा जाल है। यह दुनिया के कम्प्युटरों को आपस में जोड़े रखने का काम करता है। इस जाल की मदद से कोई भी डाटा एक कम्प्युटर से दूसरे कम्प्युटर में स्थानांतरित होता है। डाटा का मतलब mp3, mp4, Text, Photo आदि से है।

Internet का पूरा नाम “Interconnected Network” होता है, जिसका अर्थ ‘बहुत सारी वस्तुओं को एक साथ जोड़े रखने का जाल’ है। हिंदी में इंटरनेट को “अंतरजाल” भी कहते है, तथा सामान्य भाषा में इसे महाजाल भी कहते है। यह एक ऐसा जाल है जिस पर आज पूरी दुनिया टिकी हुई है।

टेक्नोलोजी की भाषा में आप इसे ऐसे भी समझ सकते है। इंटरनेट एक ऐसी वैश्विक नेटवर्क प्रणाली है जो TCP/IP (Internet Protocol Suite) की मदद से नेटवर्क और उपकरणों में संचार की सुविधा प्रदान करता है। इंटरनेट उन नेटवर्कों का एक नेटवर्क है जो इलेक्ट्रोनिक, वायरलेस और ऑप्टिकल नेटवर्किंग तकनीक की एक बड़ी शृंखला से जुड़ा हुआ है।

इंटरनेट सूचनाओं के आदान-प्रदान की वो शृंखला है, जिसमें प्रत्येक सेकंड करोड़ों की संख्या में सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इंटरनेट दुनियाभर में फैली ऑप्टिकल फाइबर केबल की मदद से डाटा का स्थानांतरण करता है। इंटरनेट का लगभग 90% उपयोग इन फाइबरस की मदद से और 10% उपयोग अंतरिक्ष में घूम रहे सैटेलाइट की मदद से होता है।

इंटरनेट का इतिहास

इंटरनेट का इतिहास अन्य प्रौद्योगिकी की तरह ही काफी दिलचस्प और प्रतिस्पर्धा वाला है। इंटरनेट किसी व्यक्ति से प्रतिस्पर्धा का नतीजा नहीं है, अपितु यह दो देशों के बीच की प्रतिस्पर्धा का परिणाम है। हालाँकि इंटरनेट पुराने समय के महान आविष्कारकों की कल्पना का भी नतीजा है। जिसे आधुनिक आविष्कारकों ने पूरा किया है।

साल 1900 के दशक में निकोला टेस्ला ने सबसे पहले ऐसे नेटवर्क की कल्पना की थी जो पूरे संसार को एक सिस्टम से जोड़े रखे। जिसे उन्होंने “World Wireless System” नाम दिया। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वो इसका आविष्कार नहीं कर पाए।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनाव चरम सीमा पर था। वो खुलकर एक-दूसरे के सामने नहीं आ रहे थे लेकिन उनमें एक आंतरिक युद्ध छिड़ा हुआ था। इस आंतरिक युद्ध को ही कोल्ड वार या शीतयुद्ध कहते है।

इसी शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ दिन-प्रतिदिन नए-नए आविष्कार और खोज कर अमेरिका को चुनौती दे रहा था। इसी शीतयुद्ध ने दुनिया को कई आविष्कार दिए, जिसमें अंतरिक्ष विज्ञान में महारत हासिल करना प्रमुख है। सोवियत संघ ने अपनी धाक जमाने के लिए 1957 में पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया।

सोवियत संघ की इतनी बड़ी कामयाबी को देखकर अमेरिका अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ज्यादा गंभीरता से सोचने लगा। जिसके लिए विद्यालयों में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान जैसे विषय जोड़े गए, तथा सरकार भी विज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा निवेश करने लगी।

इसी क्रम में अमेरिकन सरकार ने National Aeronautics and Space Administration (NASA) और Advanced Research Projects Agency (ARPA) की स्थापना की।

NASA का काम अंतरिक्ष विज्ञान में नई-नई खोजें और आविष्कार करना और ARPA का काम रक्षा विभाग में उन्नत किस्म के नए-नए हथियार तैयार करना था।

इस समय के दौरान अमेरिका के सैन्य अधिकारियों को यह चिंता सताने लगी कि सोवियत संघ कहीं अब टेलीफ़ोन संचार सुविधा पर हमला न कर दें। इसलिए अमेरिकी वैज्ञानिक एक नई संचार सुविधा पर जोर देने लगे, ताकि युद्ध की स्थिति में सोवियत संघ इसका कुछ न बिगड़ पाए।

अगस्त 1962 में एक वैज्ञानिक JCR Licklider (M.I.T. और ARPA में कार्यरत वैज्ञानिक) ने इस समस्या का समाधान दिया। जिसके लिए उन्होंने एक “गैलेक्टिक नेटवर्क सिद्धांत” का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा, इस सिद्धांत के अनुसार एक कम्प्युटर दूसरे कम्प्युटर से सीधा जुड़ सके और वो संचार करने में सहायक हो।

ताकि अगर सोवियत संघ टेलीफ़ोन प्रणाली को नुकसान पहुंचाए तो बड़े नेता और सैन्य अधिकारी इस नेटवर्क से एक-दूसरे के साथ बातचीत कर सके। यह कुछ-कुछ आज के इंटरनेट जैसा था। इसके बाद Licklider को ARPA का प्रमुख बनाया गया, इस तरह से वो ARPA के पहले हैड बने।

इधर MIT के ही एक वैज्ञानिक Leonard Kleinrock ने “पैकेट स्वीचिंग” सिद्धांत सामने रखा और 1964 में इस पर एक किताब प्रकाशित की। Kleinrock ने बताया कि हम कम्प्युटर नेटवर्किंग के लिए सर्किट की बजाए पैकेट स्वीचिंग की मदद से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते है।

पैकेट स्वीचिंग के अनुसार कम्प्युटर अपने डाटा को भेजने से पहले टुकड़ों या पैकेट में तोड़ देगा। इस तरह डाटा अपने छोटे रूप में अपना रास्ता खुद बना लेगा और वो अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच जाएगा। यह कम्प्युटर नेटवर्किंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

1965 में Thomas Merrill और Lawrence G. Roberts ने पैकेट स्वीचिंग पर प्रयोग करना शुरू किया। जिसके लिए उन्होंने एक TX-2 कम्प्युटर को Q-32 से एक टेलीफ़ोन लाइन के माध्यम से जोड़ा। जिससे पहले वाइड एरिया कम्प्युटर नेटवर्क का निर्माण हुआ।

इस प्रयोग का परिणाम काफी संतोषजनक था। क्योंकि इसमें जोड़े गए कम्प्युटर एक साथ डाटा स्थानांतरित कर रहे थे। इस तरह से Kleinrock द्वारा दिया गया पैकेट स्वीचिंग सिद्धांत काफी हद तक सफल रहा। 1966 में रॉबर्ट्स कम्प्युटर नेटवर्क की अवधारणा को प्रस्तुत करने के लिए ARPA में आए।

अगस्त 1968 में Roberts और ARPA ने मिलकर पैकेट स्वीचिंग नेटवर्क पर ध्यान केन्द्रित करना शुरू किया। जिसके लिए उन्होंने ARPANet (चार अलग-अलग कम्प्युटरस को एक साथ जोड़ना) की सरंचना और विशिष्टताओं पर कार्य करना शुरू किया। इस पैकेट स्विच को Interface Message Processors (IMP’s) नाम दिया गया।

इसके अलावा ARPA ने ARPANet के डिज़ाइन के लिए Bolt Beranek and Newman (BBN) की सहता ली। उस समय BBN के हैड Frank Heart थे, BBN की पूरी टीम अब IMP’s पर काम करने लगी। तथा इसी समय Roberts ने Howard Frank तथा उनकी टीम के साथ मिलकर Network Topology का विकास किया जो Kleinrock और उनकी टीम ने तैयार किया था।

इंटरनेट का आविष्कार किसने कब और कैसे किया था

Vinton Cerf and Bob Kahn

पैकेट स्वीचिंग सिद्धांत के प्रारम्भिक विकास के लिए Kleinrock द्वारा बनाए गए उनके Network Measurement Center को ARPANet का पहला नोड चुना गया।

जो University of California, Los Angeles (UCLA) में स्थापित था। इसी क्रम में सितंबर 1969 में BBN ने पहला IMP कम्प्युटर में इन्स्टाल किया।

दूसरी तरफ Doug Engelbart द्वारा बनाए गए रिसर्च सेंटर को दूसरा नोड चुना गया। जो Stanford Research Institute (SRI) में स्थापित था। SRI ने इस नेटवर्क सूचना केंद्र का समर्थन किया। इस तरह से एक कम्प्युटर से दूसरे कम्प्युटर में टेक्स्ट भेजने के लिए दो नोड तैयार हो चुके थे।

इसके बाद इंटरनेट के इतिहास का वो सुनहरा दिन आता है, जिस दिन इंटरनेट की शुरुआत हुई। 29 अक्टूबर, 1969 को पहला टेक्स्ट मैसेज UCLA से SRI भेजा गया। जो इंटरनेट के इतिहास का पहला मैसेज था, इस मैसेज में Login लिखा हुआ था।

लेकिन मैसेज पहुँचने से पहले ही SRI का सिस्टम क्रैश हो गया, जिस कारण SRI के कम्प्युटर में सिर्फ इस शब्द के पहले दो अक्षर ही पहुंचे। इस तरह से ARPANet दुनिया का पहला इंटरनेट प्रणाली बना और इंटरनेट का आविष्कार हुआ। लेकिन अब भी इसमें काफी कमियाँ थी, जिसे दूर करना बाकी था।

इसके बाद इसी वर्ष दो और नोड बनाए गए जो UC Santa Barbara और University of Utah में थे। इस तरह साल 1969 के अंत तक चार कम्प्युटर ARPANet से एक साथ जुड़ चुके थे। इस तरह से इंटरनेट ने अपना काम करना शुरू कर दिया था।

इसी समय के दौरान अब अधिक से अधिक कम्प्युटर ARPANet से एक-दूसरे के साथ जुड़ने लगे। तो दिसंबर 1970 में Network Working Group (NWG) नामक एक समूह ने ARPANet में Network Control Protocol प्रणाली को विकसित किया।

अक्टूबर 1972 में ARPANet के एक सदस्य Bob Kahn ने International Computer Communication Conference (ICCC) में एक सफल और बड़े तौर पर इस नई टेक्नोलोजी का प्रदर्शन किया। इस तरह से दुनिया ने पहली बार एक नई नेटवर्क प्रणाली को देखा, जिसे इंटरनेट कहा गया।

इस तरह इंटरनेट प्रौद्योगिकी दिनों-दिन नए आयाम पर पहुँच रही थी। इसी दौरान 1970 में Robert Kahn और Vinton Cerf ने Transmission Control Protocol (TCP) को विकसित किया। जो डाटा को एक से अधिक नेटवर्क पर आसानी से भेज और प्राप्त कर सकता था।

इसके अलावा TCP डाटा को सुरक्षित भेजने और प्राप्त करने का काम करता है। चूंकि डाटा पैकेट के रूप में स्थानांतरित होता है, इसलिए अगर कोई भी पैकेट रास्ते में खो जाता है। तो TCP उसे खोजकर सही स्थान पर भेजता है। इस तरह से यह इंटरनेट को प्रोटोकॉल करने का काम करता है, इसलिए इसे बाद में Internet Protocol (IP) कहा जाने लगा।

साल 1971 में एक व्यक्तिगत संचार सुविधा की खोज हुई, जिसे हम आज ई-मेल कहते हैं। आज ई-मेल पर प्रतिदिन अरबों की संख्या में मेल भेजे और प्राप्त किए जाते हैं। ई-मेल की खोज Raymond Tomlinson ने की, जो ARPANet के पूर्व सदस्य थे।

इसके बाद साल 1985 में Paul Mockapetris और John Postel ने मिलकर Domain Name System को विकसित किया। जिसने इंटरनेट को और अधिक आसान बना दिया। दुनिया का पहला Domain “symbolic.com” था।

1989 में Barry Shein ने पहली बार दुनिया के लिए इंटरनेट की सुविधा शुरू की। इससे पहले इंटरनेट सिर्फ सरकारी दफ्तरों, विश्वविद्यालयों और निगमों में ही उपयोग किया जाता था। उस समय Barry ने एक महीने इंटरनेट की सुविधा के लिए 20 डॉलर राशि तय की।

1990 तक आते-आते इंटरनेट काफी बदल चुका था। इसी साल Sir Tim Berners-Lee ने Hyper Text Markup Language (HTML) को बनाया।

इसके एक वर्ष बाद ही इन्होंने दुनिया को WWW का तोहफा दिया। जिसे World Wide Web कहा जाता है। 6 अगस्त, 1991 के दिन दुनिया की पहली Website ऑनलाइन हुई थी।

लेकिन वर्ल्ड वाइड वेब बिना ब्राउज़र के ज्यादा उपयोगी नहीं था। इसलिए वेब ब्राउज़र को बनाना भी जरूरी हो गया था। 1993 में Marc Andersen और Eric Bina ने मिलकर ब्राउज़र को विकसित किया। दुनिया में बने पहले ब्राउज़र का नाम Mosaic था।

आज के समय में इंटरनेट

इसके बाद साल 1998 में Google की शुरुआत होती है। Google के सहारे इंटरनेट दुनिया में अपनी धाक जमाने लगा। वक्त के साथ इंटरनेट प्रयोग करने वालों की तादाद बढ़ने लगी। जिसमें Facebook ने भी अपना अहम योगदान दिया। इंटरनेट उपयोग करने वालों के आँकड़े नीचे है।

वर्ष2005201020172019
कुल जनसंख्या6.5 अरब6.9 अरब7.4 अरब7.75 अरब
कुल उपयोगकर्त्ता % में16%30%48%53.6%
विकासशील देशों में8%21%41.3%47%
विकसित देशों में51%67%82%86.6%

Source:- International Telecommunications Union.

कुवैत इंटरनेट उपयोग करने वालों के मामले में सबसे ऊपर है। कुवैत की कुल आबादी का तकरीबन 99.6% इंटरनेट उपयोग करती है। वहीं एशिया की कुल 50.3% आबादी इंटरनेट का उपयोग करती है, जो बाकी महाद्वीपों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं।

6 अगस्त, 1991 के दिन पहली वेबसाइट ऑनलाइन हुई थी। लेकिन आज के दिन 1,810,134,669 वेबसाइटें ऑनलाइन हैं। जिसमें से लगभग 200 मिलियन वेबसाइटें सक्रिय हैं। नीचे वेबसाइट बनने की आंकड़ें दिए हुए हैं।

वर्षकुल वेबसाइटलोकप्रिय वेबसाइट लॉंच
19911World Wide Web
19942738Yahoo
199523,500Altavista, Amazon, AuctionWeb
19971,117,255Yandex, Netflix
19982,410,067Google
19993,177,453PayPal
200129,254,370Wikipedia
200340,912,332WordPress, LinkedIn
200451,611,646Facebook
200564,780,617YouTube, Reddit
200685,507,314Twitter
2010206,956,723Pinterest, Instagram
2015863,105,652
20181,630,322,579
20201,810,134,669

Stats:- https://www.internetlivestats.com/

वहीं बात करें प्रत्येक सेकंड इंटरनेट उपयोग की तो “तकरीबन 9,194 Tweets, 1026 Instagram फोटो अपलोड, 1781 Tumblr पोस्ट, 5071 Skype कॉल, 1,03,526 जीबी इंटरनेट उपयोग, 86,825 Google सर्च, 86,502 YouTube वीडियो देखे और 29,62,125 ई-मेल” प्रत्येक सेकंड किए जाते है।

आजकल सबसे ज्यादा मोबाइल एप्पस का ही ज्यादा उपयोग किया जाता हैं। दुनिया में बढ़ती मोबाइल उपयोगिता के कारण आज के समय में एप्पस प्रतिदिन लाखों की संख्या में बनाए जाते हैं। इसके अलावा दुनिया में कुल Apps की बात करें तो इनके आंकड़ें इस प्रकार हैं।

  • 2,570,000 Apps in Google Play Store
  • 1,840,000 Apps in Apple App Store
  • 669,000 Apps in Windows Store
  • 489,000 Apps in Amazon Appstore

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निष्कर्ष:

तो ये था इंटरनेट का आविष्कार किसने किया था और कब, इस पोस्ट में हमने आपको ये भी बताया की इंटरनेट का आविष्कार कैसे हुआ था।

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