भूत की 5 सबसे बहुत ज्यादा डरावनी कहानी | भूत की बढ़िया स्टोरी पढ़ने के लिए

आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ भूत की 5 सबसे डरावनी कहानी शेयर करने वाले है जो की बहुत ही रोमांचक है, ऐसे बहुत सारे लोग है जिनको भूत की स्टोरी देखा और पढ़ना बहुत अच्छा लगता है उनको ऐसी डरावनी कहानी पढ़ने से बहुत रोमांच मिलता है।

वैसे तो इंटरनेट पर आपको बहुत हॉरर स्टोरी पढ़ने को मिलेगी लेकिन वो कहीं ना कहीं इतनी खास नहीं है, लेकिन आज जो भी हॉरर स्टोरी हम आपके साथ शेयर करने वाले है वो बिलकुल ओरिजिनल है और आपको हमारे द्वारा प्रकाशित किये हुए ये सभी कहानियां बहुत ही अधिक पसंद आएगी।

आपसे हम रिक्वेस्ट करते है की आप इन सभी स्टोरी को १ बार पूरा जरूर पढ़े, क्यूंकि हमको पूरा विश्वाश है की इस कहानियों को लिखने में हमने कितनी मेहनत करी है तो हमको पूरा विश्वाश है की आपको ये सभी हिंदी भूत की कहानी बहुत भी अधिक रोमांचक और सबसे अच्छी लगेगी। ये सभी कहानी बहुत डरावनी और बढ़ी ही बढ़िया स्टोरी है पढ़ने के लिए।

तो चलिए बिना अधिक समय लेते हुए इस हॉरर स्टोरी कलेक्शन को पढ़ना शुरू करते है।

भूत की 5 सबसे बहुत ज्यादा डरावनी कहानियां पढ़ने के लिए

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1. दहशत

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गुलाब सिंह कि कड़ाके की ठंड की वजह से हिम्मत नहीं हो रही थी, की वह अपने घर के दरवाजे के आगे से काली बिल्ली को भगा दे, क्योंकि काली बिल्ली थी, कि रोते-रोते चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

गुलाब सिंह की पत्नी बबीता इतनी गहरी नींद में सो रही थी, कि बहुत नींद से जगाने के बावजूद वह उठ नहीं रही थी और जब काली बिल्ली के तेज तेज रोने की वजह से गुलाब सिंह को नींद नहीं आती तो वह गर्म बिस्तर से निकल कर काली बिल्ली को अपने घर के पास से हाथ में डंडा लेकर भगाने जाता है, लेकिन उसे दूर तक काली बिल्ली दिखाई नहीं देती है।

और वह ज्यादा देर ठंड कोहरे में घर के बाहर खड़े होकर देख भी नहीं पाता की काली बिल्ली कहां बैठ कर रो रही है, इसलिए वह मजबूरी में अपने घर के अंदर सोने आ जाता है।

और घर में घुसते ही पहले वह दीवार घड़ी में समय देखता है, तो रात के ढाई बज रहे थे, और उसकी पत्नी बेड पर नहीं थी, वह रसोई में अकेले अपने से ही बात कर रही थी, इसलिए गुलाब सिंह पत्नी पर थोड़ा सा नाराज होकर उससे कहता है “रात के ढाई बज रहे हैं, पहले बिल्ली ने नींद खराब की अब तुम अकेले में बकबक करके मेरी नींद खराब कर रही हो।”

उसके डांटने के बावजूद भी जब उसकी पत्नी रसोई से निकल कर बेड पर सोने नहीं आती है, तो गुलाब सिंह गुस्से में पत्नी के पास रसोई घर में जाता है और रात के ढाई बजे रसोई घर में अपनी पत्नी के साथ काले कपड़े पहने एक आदमी को बातें करते देख गुलाब सिंह के होश उड़ जाते हैं।

गुलाब सिंह के कुछ कहने और करने से पहले ही वह आदमी वहां से गायब हो जाता है।

और उसकी पत्नी गुलाब सिंह से ऐसे कहती है, जैसे कि उसे रसोई घर में कोई जबरदस्ती लेकर आया था कि “मैं अपने बेड से रसोई घर में कैसे पहुंची।”

डरा घबराया हुआ गुलाब सिंह कहता है कि “तुम सब कुछ छोड़ो पहले यह बताओ, यह काले कपड़ों में आदमी कौन था जो तुमसे बातें कर रहा था।”

“मुझसे कौन बातें कर रहा था और इतनी रात को हमारी रसोई में कौन आ सकता है, हां यह तो मुझे याद आ गया है, मैं रसोई घर में पानी पीने आई थी। जब तुम काली बिल्ली को भगाने गए थे।”

गुलाब सिंह अपने मन में सोचता है “शायद मैं काली बिल्ली को भगाने गया था, इसलिए काली बिल्ली ही मेरे दिमाग में घूम रही थी और मुझे रसोई के अंधेरे में शायद अपनी ही काली परछाई काले कपड़ों में कोई आदमी लगा होगा।”

इसलिए गुलाब सिंह ज्यादा कुछ सोचे समझे बिना सो जाता है।

और जब सुबह गुलाब सिंह ऑफिस जाने से पहले नाश्ता कर रहा था, तो काली बिल्ली उसकी आंखों के सामने से उसकी नाश्ते की प्लेट से आमलेट उठाकर भाग जाती है।

गुलाब सिंह गुस्से में अपनी पत्नी से कहता है “आज मैं ऑफिस नहीं जाऊंगा, पहले इस काली बिल्ली की ही समस्या हल करूंगा, इसने रात दिन जीना मुश्किल कर रखा है।”

गुलाब सिंह की पत्नी कहती है “इतनी सुनसान जगह आपने मकान खरीदा है कि यहां इंसानों से ज्यादा मुझे पेड़ पौधे पशु पक्षी दिखाई देते हैं, इस पहाड़ी क्षेत्र में 33 मकान है, वह भी दूर-दूर बने हुए हैं, कभी कोई अचानक मुसीबत आ गई तो मदद करने वाला भी नहीं मिलेगा और जहां इंसान नहीं होते वहां पशु पक्षियों का ही राज चलता है, इसलिए आज इस बिल्ली को भगा दोगे कल दूसरी बिल्ली या कोई और जंगली जानवर परेशान करने के लिए आ जाएगा।”

कुछ भी हो आज मैं इस काली बिल्ली को नहीं छोडूंगा। गुलाब सिंह कहता है।

इसलिए गुलाब सिंह काली बिल्ली को पकड़ने के लिए अपने घर के पास एक जाल बिछाता है और काली बिल्ली को खाने का लालच देने के लिए उसमें कुछ मांस के टुकड़े डाल देता है, ताकि वह मांस के टुकड़ों के लालच में उसके जाल में फस जाए और वह उसे जंगल में कहीं दूर छोड़ा आए।

परंतु गुलाब सिंह को काली बिल्ली को पकड़ने के लिए जाल बिछाए, रात के 12:00 बज जाते हैं, लेकिन काली बिल्ली उसके जाल में नहीं फसती है।

इसलिए वह थक हार कर सो जाता है, और रात के तीन बजे रोज से ज्यादा तेज काली बिल्ली के रोने की आवाज उसके कानो में गूंजने लगती है, उसे ऐसा महसूस होता है कि काली बिल्ली उसके कान के पास आकर ही रो रही है।

सर्दी के मौसम की वह रात पूरे सर्दी के मौसम में सबसे ज्यादा ठंडी रात थी, इसलिए उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी, की गर्म बिस्तर से निकल कर बाहर जाकर देखूं कहीं काली बिल्ली मेरे जाल में तो नहीं फस गई है और जाल में बसने की वजह से और दिनों से ज्यादा तेज तेज चिल्ला कर रो रही हो।

और जब काली बिल्ली हद से ज्यादा चिल्लाने लगती है, तो गुलाब सिंह हिम्मत करके अपने गरम बिस्तर से उठकर काली बिल्ली को घर से बाहर देखने जाता है।

उस रात भी उसकी पत्नी अपने बेड पर नहीं थी, तो वह काली बिल्ली की परेशानी की वजह से पत्नी को घर में इधर-उधर देखने की कोशिश नहीं करता है और अपने मन में खुद ही सोच लेता है कि शायद रसोई घर में पानी पीने या बाथरूम में गई होगी।

और अंधेरी अमावस्या की जाड़े की रात में काला कंबल ओढ़ कर एक हाथ में टॉर्च एक हाथ में मोटा डंडा लिए शीत लहर कोहरे में घर से बाहर निकल कर काली बिल्ली को अपने बिछाए जाल में देखने जाता है, तो यह देख कर वह डर घबराहट से थर थर कांपने लगता है कि काली बिल्ली की जगह उसके बिछाए जाल में उसकी पत्नी एक भयानक डरावने आदमी के साथ फांसी हुई थी।

उस आदमी को देखते ही नजर आ रहा था, कि वह इंसान नहीं कोई भूत प्रेत है क्योंकि चेहरे से लेकर उसके पैरों तक उसका बदन जला हुआ था, उसकी आंखें लाल बल्बों की तरह चमक रही थी, सर उसका पूरा गंजा था जीभ उसकी गर्दन तक उसके मुंह से बाहर लटक रही थी, ऐसा भयानक डरावना दृश्य देखकर गुलाब सिंह वहीं खड़ा-खड़ा बर्फ की तरह जम जाता है।

और वह भूत गुलाब सिंह की पत्नी के साथ जाल में फंसे हुए वहीं से कहता है कि “तुमने सस्ते में मकान मिलने के लालच में बहुत बड़ी गलती कर दी है, मकान मालिक को भी पता था, मैं इस खाली मकान में कितने सालों से रह रहा हूं, और मैं इस मकान को अपनी पत्नी के बिना छोड़ कर जाने वाला नहीं हूं क्योंकि इसी मकान में किराए पर रहते हुए गरीबी से तंग आकर मैंने अपनी पत्नी के साथ जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। मकान मालिक और तू मुझे यहां से भगाना चाहते हो, मैं तब तक इस मकान से नहीं जाऊंगा जब तक मेरी पत्नी मुझे नहीं मिल जाती है और अगर मेरी पत्नी मुझे नहीं मिली तो मैं तेरी पत्नी को अपने साथ लेकर जाऊंगा।”

और जब भूत गुलाब सिंह से आराम से बातें करने लगता है तो गुलाब सिंह हिम्मत करके पूछता है? “जब तुम्हारी पत्नी ने तुम्हारे साथ आत्महत्या की थी, तो वह फिर कहां चली गई है।”

“जिससे तुमने मकान खरीदा है, उसने एक तांत्रिक की मदद से मेरी पत्नी को उस तांत्रिक के पास कैद करवा दिया है।”भूत गुस्से में कहता है।

गुलाब सिंह हिम्मत करके दोबारा धीरे से कहता है “मैं पुराने मकान मालिक से बात करके जरूर तुम्हारी पत्नी को आजाद करवा दूंगा, बस मुझे और मेरी पत्नी को रात भर का समय दे दो।”

और गुलाब सिंह की यह बात सुनकर भूत उसी समय वहां से गायब हो जाता है।

गुलाब सिंह अपनी पत्नी का हाथ पकड़ कर जल्दी से अपने घर के अंदर घुस कर दरवाजा बंद करके भगवान के मंदिर में दीपक अगरबत्ती जलाकर पूजा करना शुरू कर देता है, और सुबह तक पूजा करता रहता है।

सुबह होने पर अपना घर छोड़कर जब तक के लिए अपने किसी रिश्तेदार के घर रहता है जब तक पुराने मकान मालिक के साथ मिलकर पूजा पाठ करके उस अशांत आत्मा को शांति नहीं दिलवा देता है।

2. मुर्दाघर

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उससे झगड़ा करके पत्नी के मायके जाने के बाद डॉ विनय हॉस्पिटल में अपनी रात की ड्यूटी पर इतनी शराब पी लेता है कि उसे मरीजों का ईलाज करने में बहुत दिक्कत महसूस होती है, इसलिए वह कुछ देर आराम करने के लिए अपने डॉक्टर रूम में चला जाता है।

और उसके इमरजेंसी से जाते ही एक 22 साल के लड़के का एक्सीडेंट केस आ जाता है, उस लड़के को एक ऑटो वाला दो लड़कों के साथ लेकर आया था।

वह दोनों लड़के और ऑटो वाला बताता है कि “यह लड़का बाइक पर था और पीछे से एक ट्रक वाला इसे टक्कर मारकर वहां से भाग गया, हमारे सामने इसका एक्सीडेंट हुआ था, इसलिए हम इसको उठाकर अस्पताल की इमरजेंसी में ले आए है।”

उस लड़के के सर से लगातार खून बह रहा था और उसके हाथ पैर की हड्डी टूट चुकी थी, जब नशे में धुत डॉ विनय को वार्डबॉय अस्पताल का सिक्योरिटी गार्ड नर्स जगाते जगाते थक जाते हैं और जूनियर डॉक्टर अकेले उस लड़के का ईलाज करने में असहाय हो जाते है, तो सब मिलकर एम एस को (हॉस्पिटल का सबसे बड़ा डॉक्टर) डॉ विनय की शिकायत कर देते हैं।

जब तक एमएस दूसरे डॉक्टर का इंतजाम करता है, तब तक वह 22 साल का लड़का दम तोड़ देता है।

बहुत भाग दौड़ करने और लिखित में माफी मांगने के वजह से डॉक्टर विनय की नौकरी बच जाती है, लेकिन दोबारा घरेलू झगड़ों से तंग आकर डॉक्टर विनय फिर दोबारा रात की ड्यूटी में शराब पी लेता है।

और रात को दो बजे उसका नशा जब कुछ कम होता है, तो वह अपने को मुर्दा घर के अंदर अकेले सोता हुआ पाता है।

मुर्दों के बीच में अपने को अकेला देखकर उसका सारा शराब का नशा उतर जाता है। और वह जब मुर्दा घर के अंदर से बाहर भागने की कोशिश करता है, तो उसकी सामने वाली दीवार पर लगे शीशे पर नजर जाती है, तो अपने को पोस्टमार्टम से पहले मुर्दे को जैसे पूरा नंगा किया जाता है अपने को वैसे मुर्दाघर में पूरा नंगा देखकर वह और घबरा जाता है कि मेरे कपड़े कहां गए।

इतने में एक पूरा नंगा मुर्दा जिसका आज सुबह ही पोस्टमार्टम हुआ था, वह डॉक्टर विनय का हाथ पकड़ लेता है।

और उससे कहता है “मैं वही 22 साल का युवक हूं, जिसकी तेरी लापरवाही की वजह से जान चली गई थी, तूने उस रात शराब के नशे की वजह से मेरा ईलाज नहीं किया था और आज तू फिर शराब के नशे में अपनी रात की ड्यूटी कर रहा है, आज तू फिर किसी की जान लेगा, इसलिए इससे पहले मैं तेरे जैसे गैर जिम्मेदार डॉक्टर की आज खुद जान ले लेता हूं।’

डॉक्टर विनय हाथ जोड़कर तेज तेज चिल्ला चिल्ला कर कहता है जिससे कि अगर कोई उसकी आवाज सुन ले तो उसे इस भूत से बचाने आ जाए, वह तो बहुत पुरानी बात है और तुम्हारी मौत तो कल रात को हुई है और आज दोपहर को तुम्हारा पोस्टमार्टम हुआ है। तुम्हारी जान लेने वाला मैं नहीं कोई दूसरा डॉक्टर होगा।”

मुर्दा तेज तेज हंसते हुए कहता है “मैं तो तेरे से बात करने के लिए इस मुर्दे के अंदर घुस गया हूं, मुझे मरे हुए तो चार महीने हो गए हैं।

और इससे आगे कुछ कहे बिना वह मुर्दे के अंदर घुसा भूत जिंदे डॉक्टर विनय का पोस्टमार्टम कर देता है।

3. बहु पत्नी की आत्मा

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लालची सुभाष अपने इकलौते बेटे की शादी करने के बाद बेटे भरत कि पत्नी को बेटे के साथ मिलकर जिंदा जलाकर बाथरूम में बेटे की बहू की लाश को छिपा देता है।

और दोनों बाप बेटे आपस में विचार विमर्श करके कहते हैं कि “रात को अपने घर में आग लगा लेंगे और गांव वालों से कह देंगे कि अंधेरे कमरे में दीपक जलाने से घर में आग लग गई है और मैं यह भी कह दूंगा मेरे बेटे और मैंने अपनी बहू को बचाने कि बहुत कोशिश की लेकिन हम जल कर मरने से उसे बचा नहीं पाए, उसके बाद जो तेरी पत्नी के नाम तेरे सास ससुर जमीन जायदाद मरने से पहले नाम कर गए हैं, वह तेरे नाम हो जाएगी क्योंकि तू उसका पति है। और अगर मैं ऐसा नहीं करता तो यह हम दोनों की शराब की लत से तंग आकर तुझे तलाक देकर दूसरी शादी कर लेती थी।”

बेटे की पत्नी से पहले सुभाष शराब के नशे में अपनी अमीर पत्नी कि इसी तरीके से हत्या कर चुका था।

दोनों बाप बेटे अमीर बनने की खुशी में शराब पीते हैं और गांव वालों का सोने का इंतजार करने लगते हैं।

तभी सुभाष के बेटे भरत को कमरे की खिड़की से एक औरत उनके कमरे के अंदर झांकते हुए दिखाई देती है, इसलिए वह सुभाष से कहता है “शायद नशा ज्यादा हो गया है, मुझे ऐसा लग रहा जैसे कि कोई कमरे की खिड़की में से हमें झांक कर देख रहा है।”

“जा जल्दी से घर के पीछे वाले दरवाजे से देखकर आ कोई चोरी छिपे हमारी बात तो नहीं सुन रहा है। सुभाष कहता है।

“अभी जाता हूं पिताजी।”भरत कहता है।

और भरत के जाते ही भरत की पत्नी की आत्मा सुभाष की गर्दन पीछे से पकड़ कर उसके कंधों पर लटक कर झूलने लगती है।

भरत की पत्नी की आत्मा के सुभाष के कंधों पर पीछे से गर्दन पकड़ कर लटकने के कारण सुभाष का गला दबने की वजह से दम घुटने लगता है और उसकी आवाज नहीं निकल पाती है, और जले हुए मांस बालों की बदबू उसकी नाक मुंह में घुसने लगती है।

सुभाष संकट में भगवान को याद करते हुए किसी तरह कमरे की खिड़की के पास पहुंचने की कोशिश करता है, ताकि वह अपने बेटे भरत को मदद के लिए बुला सके।

सुभाष किसी तरह खिड़की के पास तो पहुंच जाता है, लेकिन खिड़की से बाहर देखते ही उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं और दिल तेज तेज धड़कने के बाद उसके हाथ पैर कांपने लगते हैं क्योंकि खिड़की से थोड़ी सी दूर उसका बेटा होली की तरह बिना शोर-शराबा किए चुपचाप चारों तरफ से आग की लपटों से गिरा हुआ था, चुपचाप खड़ा होकर जिंदा जल रहा था।

सुभाष की जान लेने से पहले सुभाष के बेटे की पत्नी की आत्मा दो अलग अलग आवाजों में बोलती है पहली आवाज सुभाष की मृत पत्नी की थी और दूसरी आवाज उसके बेटे की पत्नी की थी, वह दोनों कह रही थी, तुझे जान से मरने से पहले लालची गिरे हुए इंसान हम बताना चाहती हैं कि “हम दो बेकसूर स्त्रियां है, जिन्हें तूने अपनी चालाकी से जाना से मार दिया था, पहली मैं तेरी पत्नी बोल रही हूं और दूसरी तेरे बेटे की पत्नी बोल रही है।”

फिर उसके बेटे की पत्नी की आत्मा कहती है “जैसे तेरे बेटे ने मुझे जिंदा जला कर तड़पा तड़पा कर मारा था, वैसे ही उसे मैंने जिंदा जलाकर अपनी मौत का बदला ले लिया है।

और दोनों बेकसूर स्त्रियों की आत्मा लालजी सुभाष को भी तड़पा तड़पा कर उसके बेटे जैसी दर्दनाक मौत देती हैं।

4. हाईवे की चुड़ैल

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गांव में अचानक मां की तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से कैलाश अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर आधी रात को ही अपनी बाइक से अपने गांव के लिए निकल जाता है, और हाईवे के किनारे खड़े होकर एक सुंदर युवती उसे वाहनों से लिफ्ट मांगते हुए दिखाई देती है, लेकिन कोई भी गाड़ी ट्रक आदि वाहन उसे देखकर रुक नहीं रहे थे।

अकेली सुनसान अंधेरे में हाईवे के किनारे मजबूरी में खड़ी लड़की को खड़ा देखकर कैलाश उसकी मदद करने के लिए अपनी बाइक रोक लेता है।

वह लड़की कैलाश से कहती है “यहां से थोड़ी दूर ही मेरा गांव है, आपसे विनती है मुझे वहां तक छोड़ दे।”

“मैं उसी तरफ जा रहा हूं, कोई दिक्कत नहीं है, मैं आपको आराम से छोड़ दूंगा।” कैलाश कहता है।

जब आठ दस किलोमीटर तक बाइक चलाने के बाद वह लड़की नहीं बताती की मेरा गांव आ गया है, तो कैलाश उस लड़की से पूछता है? “और कितना दूर है आपका गांव है।”

और जब चार-पांच बार पूछने के बाद भी वह लड़की जवाब नहीं देती है, तो कैलाश बाइक चलाते-चलाते थोड़ा सा पीछे मुड़कर देखता है, तो उसकी बाइक के पीछे कोई लड़की नहीं बैठी हुई थी।

कैलाश डर घबराहट में सोचने लगता है कि वह कोई लड़की नहीं थी, वह चुड़ैल थी और शायद कोई भी वाहन इसलिए नहीं रुक रहा था क्योंकि वह उन्हें दिखाई नहीं दे रही थी।

कैलाश यह सब सोच ही रहा था कि अचानक एक उल्लू उसके चेहरे के आगे आकर अपने पर फड़फड़ा कर उसके शरीर पर इधर-उधर पंजे मारने लगता है और उल्लू की वजह से कैलाश का बाइक से नियंत्रण खो जाता है।

और उसकी बाइक फुल स्पीड में हाईवे के किनारे लगे मील के पत्थर से टकरा जाती है, इस जबरदस्त एक्सीडेंट के बाद कैलाश हाईवे के पास की झाड़ियां में जाकर गिर जाता है और टूटी-फूटी बाइक मील के पत्थर के पास अंधेरे में पड़ी रहती है।

कैलाश जिस जगह गिरता है, वहां चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था और कैलाश जैसे ही उठने की कोशिश करता है, तो वही लड़की अपने चुड़ैल के भयानक रूप में आकर कैलाश का पैर पकड़ कर उसे खींचते हुए पुराने बरगद के पेड़ के नीचे ले जाती है।

और कैलाश को जान से मरने से पहले बरगद के पेड़ पर चिल्ली मार-मार कर झूलने लगती है।

कैलाश समझ नहीं पा रहा था, कि मैं किस मुसीबत में फंस गया हूं, सामने भयानक चुड़ैल और ऊपर से एक्सीडेंट से लगी चोट की वजह से पूरे बदन में दर्द हो रहा है।

उस समय कैलाश जीवित होने के बाद भी अपने को मृतक महसूस कर रहा था।

और अचानक चुड़ैल पुराने बरगद के पेड़ से झूलना छोड़कर कैलाश की छाती पर आकर बैठ जाती है। कैलाश की छाती पर बैठते ही चुड़ैल दूर उड़ कर गिरती है।

और दोबारा कैलाश के पास आने की वजह उससे दूर खड़े होकर बस डरावनी आवाजें निकालकर रोती रहती है, लेकिन कैलाश के पास नहीं आती है।

और जब कैलाश के सर से खून बहते बहते उसकी गर्दन के पास आता है, तो कैलाश अपनी गर्दन के पास बहते हुए खून को अपने हाथ से साफ करता है, तो उसका हाथ अपने गले में पड़े हनुमान जी के लॉकेट पर जाता है।

जो लॉकेट उसकी मां ने तब पहनाया था, जब कैलाश गांव से शहर में नौकरी करने आ रहा था।
लॉकेट हाथ में आते ही कैलाश समझ जाता है कि हनुमान जी के लॉकेट की शक्ति की वजह से चुड़ैल मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पा रही है।

इसलिए वह उसी समय लॉकेट को अपनी गर्दन से उतार कर अपने हाथ में पकड़ कर हनुमान चालीसा तेज तेज बोलने लगता है।

हनुमान चालीसा तेज तेज बोलने और हनुमान जी के लॉकेट की वजह से चुड़ैल उसके सामने से अदृश्य हो जाती है।

चुड़ैल के गायब होने के बाद कैलाश को अपनी मां की बहुत याद आती है क्योंकि उसके बहुत मना करने के बावजूद उसकी मां ने हनुमान जी का लॉकेट उसकी रक्षा के लिए जबरदस्ती पहनाया था।

5. अंतिम संस्कार

पिता की मौत के बाद जब बलवीर की मां को उसके पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए चंदा नहीं मिलता है और उसकी मां उसके पिता की लाश को बलवीर और उसकी दो छोटी बहनों की मदद से नदी में बहाती है, तो बलवीर उसी दिन अपने मन में ठान लेता है कि मैं अपने जीवन में इतना पैसा कमाऊंगा कि बिना पैसे के किसी गरीब का अंतिम संस्कार नहीं रूकने दूंगा।

लेकिन दिन रात ईमानदारी मेहनत मजदूरी करने के बाद भी बलवीर अमीर तो नहीं होता लेकिन अपने परिवार की गरीबी खत्म कर देता है।

बलवीर अपनी मां दो छोटी बहनों के साथ बैठकर खाना खा रहा था, तभी उसके गांव के बचपन के दोस्त का फोन आता है कि “मैं दिल्ली अपने मामा के घर आया हुआ हूं, मेरे मामा ने मेरे साथ तेरी भी बड़ी कंपनी में नौकरी लगवाने के लिए कंपनी के बड़े अफसर से बात कर ली है, तुझे कल ही दिल्ली आना होगा।”

दिल्ली में नौकरी लगने की खुशखबरी सुनकर बलवीर उसका परिवार बहुत खुश हो जाता है।

और सुबह जल्दी उठ कर दिल्ली के लिए घर से निकल जाता है। बलवीर अपने गांव के बस अड्डे से जो दिल्ली जाने के लिए बस पकड़ता है, वह बस आधे रास्ते में खराब हो जाती है।

बस के सारे यात्री बस के ठीक होने का इंतजार कर रहे थे, तभी मूसलधार बारिश आ जाती है और सारे यात्री इधर-उधर छुप जाते हैं।

बलवीर जिस पीपल के पेड़ के नीचे बरसात से भीगने से बचने के लिए खड़ा होता है, उस पेड़ का टहना तेज आंधी की वजह से उसके सर पर टूट कर गिर जाता है।

पीपल के पेड़ का टहना गिरते ही बलवीर बेहोश हो जाता है और वह पेड़ के नीचे से लुढ़कर गहरे गड्ढे में गिर कर घास पत्तों से ढक जाता है और दोपहर से आधी रात हो जाती है। दिल्ली की बस के यात्री और बस वहां से चली जाती है।

बलवीर घास पत्ते अपने शरीर से झाड़ कर हाईवे के किनारे आकर खड़ा हो जाता है और वह समझ जाता है कि सर पर चोट लगने की वजह से मैं घास पत्तों में जाकर गिर गया, इसलिए मैं किसी भी बस के यात्रियों और आने जाने वालों को नजर नहीं आया हुंगा, इसलिए कोई मेरी मदद करने नहीं आया।

बलवीर को हर हालत में नई नई नौकरी के लिए दिल्ली पहुंचना था, इसलिए वह हाईवे के किनारे खड़े होकर दिल्ली जाने वाली बस का इंतजार करने लगता है।

आंधी तूफान बरसात के मौसम में उसे अकेले हाईवे पर खड़े होने पर बहुत डर अकेलापन महसूस हो रहा था, तभी अचानक कोई उसके कंधे पर हाथ रखता है, किसी के कंधे पर हाथ रखते ही बलवीर घबराकर पीछे मुड़कर देखता है।

तो उसके कंधे पर हाथ रखने वाला एक बुजुर्ग व्यक्ति उसके पिता समान सफेद कुर्ता पजामा पहने बलवीर से पूछता है? “बेटा मुझे दिल्ली जाना है, क्या दिल्ली जाने वाली बसें बिना बस स्टॉप के हाथ देने से यहां रुक जाती है।”

“यह तो मुझे भी नहीं पता बस बिना बस स्टॉप के यहां रुकेगी या नहीं मैं भी कोशिश कर रहा हूं, शायद कोई बस रुक जाए।”बलवीर कहता है।

अपने सवाल का जवाब सुनने के बाद वह आदमी बलवीर से कहता है “तूने मेरी बात का जवाब देकर गलती कर दी है, अब तो दिल्ली नहीं तू मेरे साथ श्मशान घाट जाएगा।”

उसकी यह बात सुनकर बलवीर के हाथ पैर कांपने लगते हैं और वह हिम्मत करके वहां से अपने गांव की तरफ भागने लगता है।

आगे आगे बलवीर भागता है पीछे पीछे सफेद कुर्ता पजामा पहने वह भूत।

बलवीर को हाईवे से कुछ किसान दिखाई देते हैं, जो रात को अपने खेतों में पानी दे रहे थे, उन्हें देखकर बलवीर हाईवे रोड छोड़कर उनकी तरह भागने लगता है।

और अचानक एक सूखे कुएं में गिर जाता है। उस सूखे कुएं में पहले से एक चुड़ैल घुसी हुई थी। बलवीर के सूखे कुएं में गिरते ही वह चुड़ैल उससे चिपट जाती है।

और बलवीर के पीछे भागते भागते वह सफेद कुर्ते पजामे वाला भूत भी उसी कुए के पास आ जाता है, जिस सूखे कुएं के अंदर बलवीर से एक भयानक चुड़ैल चिपटी पड़ी थी।

वह भूत बलवीर के बाल पड़कर एकदम से सुखे कुएं से उसे बाहर खींचने लगत है और उसी समय कुएं के अंदर से बलवीर का पैर पकड़ कर चुड़ैल कुएं के अंदर खींचने लगती है।

चुडैल भूत की इस खींचातानी में बलवीर बेहोश हो जाता है और जब सुबह कुछ राह चलते लोग और किसान बलवीर को सूखे कुएं से बाहर निकल कर होश में लाते हैं, तो अपने को जीवित देखकर बलवीर बहुत खुश हो जाता है।

और बलवीर दिल्ली नौकरी करने जाने की जगह अपने गांव अपनी मां छोटी बहनों के पास आ जाता है।

बलवीर अपने घर आने के बाद मां और गांव वालों को इस भयानक घटना के बारे में बताता है, तो गांव का एक बुजुर्ग व्यक्ति बलवीर कि मां को गंगा घाट के एक सिद्ध साधु के पास ले जाने की सलाह देता है और बलवीर की मां को बताता है कि “उस सिद्ध साधु से अपने परिवार की सुख शांति के लिए पूजा पाठ करवाने से जीवन में कभी भी भूत प्रेत तुम्हारे परिवार को और तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं।”

सिद्ध साधु पूजा करने से पहले बलवीर की मां और बलवीर से कहता है कि “तुम्हारा बेटा सच्चा ईमानदार युवक है और इसकी इच्छा भी है कि यह अशांत आत्माओं के लिए कुछ करें, इसलिए अशांत आत्मा शांति के लिए इसका पीछा कर रही है, अगर तुम धन खर्च कर सकते हो तो अशांत आत्माओं के लिए बड़ी पूजा करवाओ।”

बलवीर गांव के प्रधान से कर्जा लेकर अशांत आत्माओं कि शांति के लिए सिद्ध साधु से पूजा करवाता है।

और पूजा के बाद जो पैसे बचते हैं, उन्हें गरीब मृतक लोगों के अंतिम संस्कार के लिए सिद्ध साधु को दान में दे देता है।

और पूजा पाठ दान-पुण्य करने के बाद बलवीर की एक अच्छी कंपनी में नौकरी लग जाती है।

अपनी नौकरी से पैसा इकट्ठा करके बलवीर छोटा सा व्यापार शुरू करता है और साथ ही महीने में एक-दो बार गरीब मृतको के अंतिम संस्कार के लिए दान भी करता रहता है।

ऐसा पुण्य का काम करने से बलवीर के व्यापार में दिन-रात तरक्की होने लगती है और बलवीर बहुत अमीर हो जाता है।

अमीर होने के बाद बलवीर अपनी कमाई का आधा हिस्सा गरीब मृतकों के अंतिम संस्कार में खर्च करने लगता है।

निष्कर्ष:

तो ये थे भूत की 5 सबसे डरावनी कहानी का कलेक्शन, हम उम्मीद करते है की ये सभी हॉरर स्टोरी आपको जरूर पसंद आयी होगी। यदि आपको हमारे द्वारा लिखे हुए ये सभी हॉरर स्टोरीज अच्छी लगी तो इसको शेयर जरूर करें ताकि अधिक से अधिक लोगों को ये सबसे डरावनी भूत की कहानियां पढ़ने का मौका मिल पाए।

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