दुनिया (पृथ्वी) का अंत कब कैसे होगा | धरती का विनाश कब होने वाला है

जिसने जन्म लिया है, उसका अंत निश्चित है। यही इस ब्रह्मांड का सबसे बड़ा नियम है। इसी प्रकार हम इंसान, हमारी धरती या हमारे संसार का अंत भी निश्चित है। लेकिन यह अंत किस तरह और कैसे होगा? इसके बारे में कहना थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि भविष्य को न तो कोई जानता है और न कोई जान सकता।

लेकिन फिर भी हमारे प्राचीन ग्रंथ और हमारी आधुनिक विज्ञान इसके कुछ जवाब जरूर देते हैं। परंतु उनमें भी काफी खामियाँ है। लेकिन फिर भी कहीं न कहीं इनमें ही पृथ्वी के अंत का राज छुपा हुआ है। आज हम धरती के अंत के बारे में दिए गए सिद्धांतों को पढ़ेंगे। जो हमारी जिज्ञासा को कुछ हद तक दूर करते हैं।

पृथ्वी का अंत विनाश कब और कैसे होगा?

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1.हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार

दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म में पृथ्वी के अंत के बारे में विस्तार से बताया गया है। हिंदू धर्म के ग्रन्थों के अनुसार चार युग होते है। जिनके नाम सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग है। अभी कलियुग चल रहा है और इसी युग में धरती का अंत होना तय है।

कहते है कि कलियुग में भगवान विष्णु इस धरती पर कल्कि के रूप में अवतरित होंगे। इस समय धरती पर पाप अपनी चरम सीमा पर होगा। मनुष्य पहले से ज्यादा क्रूर और अत्याचारी होगा।

इस समय प्रत्येक इंसान की औसत आयु 20-30 वर्ष होगी। तथा प्रत्येक मनुष्य का आकार भी छोटा हो जाएगा।

इसके बाद धीरे-धीरे इन्सानों का अंत होता जाएगा। फिर शुरुआत होगी धरती पर प्रलय की। हिंदू धर्म ग्रंथ महाभारत के अनुसार कलियुग के अंत में सूर्य का तप अपनी चरम सीमा पर होगा। उस समय गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि समुन्द्र, नदियां, झरनें, तालाब सूख जाएंगे।

फसलें नष्ट हो जाएगी, पेड़-पौधे राख़ हो जाएंगे। चारों तरफ सिर्फ आग ही आग होगी। न तो कोई जीव जिंदा रहेगा और न ही कोई इंसान। फिर इसके कुछ वर्षों बाद भारी बारिश होगी, यह बारिश इतनी तेज और भंयकर होगी कि पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी। अब पृथ्वी सिर्फ पानी का एक गोला बन जाएगी।

2. माया सभ्यता के अनुसार

मैक्सिको में 300-900 ईसवीं तक माया सभ्यता का बोलबाला था। इतिहासकारों के अनुसार इस सभ्यता का जन्म 1500 ईसा पूर्व हुआ था। लेकिन 300-900 इसवीं तक माया सभ्यता अपनी चरम सीमा पर थी। 11वीं सदी तक आते-आते माया सभ्यता का पतन होना शुरू हो गया था।

इस सभ्यता के लोगों के पास उनका एक कैलेंडर था। इसी कैलेंडर में दुनिया के अंत का रहस्य छिपा हुआ था। सदियों से चले आ रहे इस कैलेंडर में 21 दिसम्बर, 2012 के बाद की कोई तारीख नहीं थी।

चूंकि यह कैलेंडर आज के आधुनिक कैलेंडर से भी उत्तम था। इसलिए लोगों ने अनुमान लगाया की इस 21 दिसम्बर के बाद शायद 22 दिसम्बर का दिन नहीं आएगा।

इसी दिन पृथ्वी का अंत निश्चित है। इस पर एक हॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है। जिसमें बताया गया है एक उल्कापिंड कैसे धरती से टकराता है।

उस टकराव से धरती पूरी तरह तबाह हो जाती है, जिससे जीवन का नामों निशान मिट जाता है। हालांकि 2012 को बीते अब काफी साल हो गए हैं। लेकिन अभी भी धरती पहले की तरह है।

3. महान लोगों द्वारा की गई भविष्यवाणियाँ

#1 लियोनार्दो दा विंचि

लियोनार्दो दा विंचि का जन्म 1452 इसवीं में हुआ था। दुनिया की सबसे रहस्यमयी पेंटिंग “मोना लिसा” को लियोनार्दो दा विंचि न ही तैयार किया था। यह अपने समय के एक प्रसिद्ध चित्रकार और मूर्तिकार थे। लियोनार्दो दा विंचि ने भी दुनिया के अंत के बारे में भविष्यवाणी की थी।
लियोनार्दो दा विंचि के अनुसार साल 4006 में दुनिया का अंत निश्चित है। 21 मार्च, 4006 को इसकी शुरुआत होगी। धीरे-धीरे धरती पर पानी का स्तर बढ़ने लग जाएगा। 1 नवंबर, 4006 तक आते-आते पूरी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी। उस समय जीवों का अंत पानी में डूबने से होगा।

#2 सर आइज़क न्यूटन

गुरुत्वाकर्षण बल की खोज करने वाले दुनिया के महान वैज्ञानिक सर आइज़क न्यूटन ने दुनिया के खात्मे को इस तरह से बताया था। इनका कहना था कि अगर मनुष्य ऐसा सोचता है कि वो इस धरती पर हमेशा के लिए जिंदा रहेगा। तो यह उसका सबसे बड़ा भ्रम है। क्योंकि इस पृथ्वी का अंत भी एक दिन निश्चित है।

न्यूटन एक महान इंसान थे, इनके द्वारा कही और लिखी गई हर एक बात का अपना महत्व है। न्यूटन ने अपनी गणनाओं के अनुसार धरती का अंत कब होगा? इस सवाल का जवाब दिया था। इनके अनुसार साल 2060 से धरती के विनाश की शुरुआत होगी। इसके बाद एक दिन पूरी इंसानी सभ्यता और पृथ्वी नष्ट हो जाएगी।

#3 स्टीफन विलियम हॉकिंग

सदी के सबसे महान वैज्ञानिक स्टीफन विलियम हॉकिंग ने धरती के अंत को लेकर अपने कुछ विचार इस तरह से दिए हैं। इनके अनुसार इन्सानों की हुकूमत करने की होड़ ही इन्सानों के विनाश का कारण बनेगी। अभी प्रत्येक देश के पास एक से खतरनाक एक आधुनिक हथियार है। जो कुछ ही पल में पूरी धरती का विनाश करने की ताकत रखते हैं।

भविष्य में अगर थोड़ी सी भी नोक-झोंक होती है तो कोई भी देश अपने बचाव के लिए इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। इसके अलावा आने वाले 1000 वर्षों में पृथ्वी का तापमान काफी बढ़ जाएगा।

इसलिए यहाँ पर जीवन मुश्किल हो जाएगा। अगर इंसान वाकई जिंदा रहना चाहते हैं, तो उन्हें 1000 वर्षों के समय में रहने लायक ग्रह की खोज करनी होगी और उस पर इंसानी बस्तियाँ बसानी होगी।

4. वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार

आज की दुनिया विज्ञान की दुनिया है। इसलिए विज्ञान के द्वारा दिये गए प्रत्येक सिद्धांत के अपने मायने है। विज्ञान कहीं न कहीं हर सवाल का लगभग सही उत्तर देती है।

पृथ्वी का अंत कैसे होगा, इस सवाल के सबसे संतुष्ट जवाब हमें विज्ञान ही देता है। विज्ञान ने धरती के अंत से संबधित कुछ सिद्धांत दिये हैं। जिनमें अलग-अलग तरीके से पृथ्वी के अंत के बारे में बताया गया है।

जिसमें क्षुद्रग्रह का टकराना, पृथ्वी के कोर का ठंडा होना, ब्लैक हॉल में समा जाना आदि शामिल है। इन सभी का ब्रह्मांड में अपना अस्तित्व है, इसलिए इनमें बताई गई बातें कभी भी सिद्ध हो सकती है।

#1 क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) का टकराना

एस्टेरॉयड का पृथ्वी से टकराने की प्रायिकता या संभावना सबसे ज्यादा है। क्षुद्रग्रह एक ऐसा खगोलीय पिंड है जो सूर्य के चारों ओर निश्चित कक्षा में चक्कर लगाता है। इनका आकार ग्रहों की तुलना में काफी कम होता है इसलिए इन्हें क्षुद्रग्रह कहा जाता है।

आज से 6 करोड़ साल पहले डायनासोर जैसे जीवों का अंत भी एक क्षुद्रग्रह के टकराने से हुआ था। यह टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि जब यह धरती से टकराया तो वहाँ 111 मिल चौड़ा और 20 मील गहरा गड्ढा बन गया था।

इस टक्कर से इतनी गर्मी पैदा हुई कि कुछ ही मिनटों में धरती का तापमान 200 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। जिससे धीरे-धीरे धरती पर डायनासोर का अंत हो गया।

अभी कुछ वर्ष पहले 1908 में एक 200 फीट चौड़ा एस्टेरॉयड धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया था। इस एस्टेरॉयड से इतनी ऊर्जा पैदा हुई जो हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम से 1000 गुणा ज्यादा थी। 1490 में चीन के चिंग-यांग में एस्टेरॉयड की टक्कर से तकरीबन 10,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

क्षुद्रग्रह से टक्कर की संभावना इसलिए सबसे ज्यादा है क्योंकि कूपर बेल्ट में तकरीबन 100,000 से ज्यादा क्षुद्रग्रह मौजूद है। जिनका आकार 50 मील से भी ज्यादा है।

छोटे-छोटे क्षुद्रग्रह तो अरबों की संख्या में सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगा रहे हैं। एक शोध के अनुसार प्रत्येक ढाई लाख साल में औसतन 1 मील से बड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकराता है।

हर साल सैंकड़ों की संख्या में क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के नजदीक से निकलते है। लेकिन इनके मार्ग की दूरी पृथ्वी से काफी अधिक होती है। अंतरिक्ष में इनकी रफ्तार काफी अधिक होने के कारण इनका मार्ग कभी भी बदल सकता है।

डायनासोर के अंत का कारण बना क्षुद्रग्रह पहले चाँद की तरफ बढ़ रहा था। लेकिन अंतिम समय में उसने अपना रुख धरती की तरफ कर लिया था।

#2 लावारिस ग्रह से टक्कर

एस्टेरॉयड की तरह लावारिस ग्रह भी पृथ्वी के लिए कभी न कभी खतरा बन सकते हैं। यह वे ग्रह होते हैं, जो अपने सौरमंडल से किसी कारणवश अलग हो जाते हैं।

जिसके बाद ये सुदूर ब्रह्मांड में अकेले भटकते रहते हैं। तब इनकी न कोई पहचान होती है और न ही इनका कोई निश्चित स्थान। इसलिए वैज्ञानिक ऐसे ग्रहों को लावारिस ग्रह (Rogue Planet) कहते हैं।

आज से तकरीबन 4.5 अरब साल पहले एक छोटा लावारिस ग्रह, एक बड़े ग्रह से टकराया था। इसी टक्कर के कारण उस ग्रह के दो भाग हो गए।

जिसमें से एक पृथ्वी बनी और दूसरा उसका उपग्रह चाँद। यह लावारिस ग्रह अरबों-खरबों की संख्या में हमारे ब्रह्मांड में घूम रहे हैं।
इन ग्रहों की निश्चित कोई जगह नहीं है, इसलिए यह कभी भी किसी भी सौरमंडल में प्रवेश कर सकते हैं।

यह ग्रह अपने मार्ग में आने वाली किसी भी वस्तु से टकरा सकते हैं। हालांकि इनकी धरती से टकराने की संभावना बहुत कम है लेकिन फिर भी यह कभी भी खतरा बन सकते हैं।

#3 धरती का ब्लैक हॉल में समा जाना

ब्लैक हॉल ब्रह्मांड का एक ऐसा विशालकाय दानव है जो हर वस्तु को निगल लेता है। यहाँ तक कि प्रकाश भी इससे नहीं बच सकता। यह अपने मार्ग में आने वाली प्रत्येक वस्तु को ऐसे निगलता है, जैसे मानों उस वस्तु का कभी इस ब्रह्मांड में कोई अस्तित्व ही नहीं था।

ब्लैक हॉल एक ऐसी जगह है जिसमें भौतिकी का कोई भी नियम काम नहीं करता है। इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना शक्तिशाली होता है कि यह अपने आस-पास के प्रत्येक खगोलीय पिंड को अपनी तरफ खींच लेता है। एक बार इसमें किसी भी पिंड के समाहित हो जाने के बाद फिर से वापिस निकलना नामुमकिन है।

हमारे ब्रह्मांड में लावारिस ग्रहों की तरह ही लावारिस ब्लैक हॉल भी घूम रहे हैं। जिस तरह लावारिस ग्रह किसी भी सौरमंडल में प्रवेश कर सकते हैं उसी प्रकार यह दानव भी प्रवेश कर सकते हैं।

इनका गुरुत्वाकर्षण बल एक पूरे सौरमंडल को निगलने की क्षमता रखता है। इसलिए एक ब्लैक हॉल भी धरती के लिए कभी भी खतरा बन सकता है।

#4 गामा-रे विस्फोट

गामा-रे विस्फोट ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली घटनाओं में से एक है। गामा-रे विस्फोट एक तारे के खत्म होने पर होता है। एक छोटा सा विस्फोट भी इतनी ऊर्जा पैदा करता है, जितनी हमारा सूर्य अपने जीवनकाल में करता है। इसी विस्फोट से गामा-किरणों का उत्सर्जन होता है।
यह वाकई में बहुत शक्तिशाली होती है। गामा किरणें किसी भी ग्रह को नष्ट करने की क्षमता रखती है। यह अपने मार्ग में आने वाली प्रत्येक वस्तु को तहस-नहस कर सकती है। छोटी से लेकर बड़ी हर वस्तु इसके संपर्क में आने पर अपना वजूद खो देती है।

यहाँ तक की एक सूक्षम परमाणु भी इसकी चपेट में आने पर नहीं बच सकता। हालांकि अभी कोई गामा विस्फोट करने वाले तारे पृथ्वी के नजदीक नहीं है। लेकिन फिर भी भविष्य में इसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

एक शोध में 440 मिलियन साल पहले गामा किरणों की धरती से टकराने के सबूत मिले हैं। जिसमें कहा गया है कि उस विस्फोट ने एक बार धरती पर जीवन को नष्ट कर दिया था।

#5 धरती के कोर का ठंडा होना

धरती का अंत ब्रह्मांड से आने वाली वस्तुओं से नहीं बल्कि खुद धरती के अंदर से भी हो सकता है। पृथ्वी एक सुरक्षात्मक चुंबकीय कवच से घिरी हुई है, जो पृथ्वी को एक क्रम में बांधे रखती है। इसी सुरक्षात्मक कवच को मैग्नेटोस्फीयर कहा जाता है।

इसी मैग्नेटोस्फीयर के कारण पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है। इसका निर्माण आवेशित और पिघले हुए लोहे से होता है। जो पृथ्वी के आंतरिक कोर में होता है। इस कोर का तापमान काफी अधिक होता है। इसी गर्म कोर के कारण मैग्नेटोस्फीयर की उत्पत्ति होती है।

मैग्नेटोस्फीयर सूर्य से आने वाली खतरनाक विकिरणों और सौर पवनों को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकता है। लेकिन अगर धरती की यह कोर ठंडी हो जाती है तो इससे मैग्नेटोस्फीयर नष्ट हो जाएगा।

मैग्नेटोस्फीयर नष्ट होने के धरती का वायुमंडल नष्ट होना शुरू हो जाएगा। जिससे कुछ ही समय में धरती अपने वायुमंडल को खो देगी और वायुमंडल के बिना धरती बेजान है।

#6 सूर्य का अंत

सूर्य का अंत भी एक दिन निश्चित है। आज जिस सूरज से इस धरती पर जीवन का वजूद है, वही सूरज आने वाले समय में हमारी धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। एक अध्ययन के अनुसार हमारा सूरज अपने जीवन के मध्यकाल में है। यानी सूरज की आधी आयु बीत चुकी है।

सूर्य अब बहुत तेजी से अपने अंदर मौजूद हाइड्रोजन को हीलियम में बदल रहा है। सूर्य इस प्रक्रिया को संलयन अभिक्रिया की मदद से पूरा कर रहा है। लेकिन आज से अरबों सालों के बाद जब सूर्य के पास हाइड्रोजन पूरी तरह से खत्म हो जाएगी तो वो हीलियम को संलयन करना शुरू कर देगा।

इससे इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होगी। जो सूर्य की परतों को बाहर की तरफ धकेलना शुरू कर देगी। इस तरह से सूर्य फैलने लगेगा और वो अपने रास्ते में आने वाले प्रत्येक पिंड को अपने तप से भष्म कर देगा। इसी क्रम में हमारी पृथ्वी भी एक दिन सूर्य में समा जाएगी। जिससे पृथ्वी का वजूद मिट जाएगा।

अगर सूर्य फैलता हुआ धरती को अपने अंदर नहीं निगलता है तो वो इसे अपनी कक्षा से बाहर धकेल देगा। जिसके बाद पृथ्वी एक लावारिस ग्रह (Rogue Planet) बन जाएगी। फिर वो दूर ब्रह्मांड में भटकने लगेगी और किसी दिन किसी से टकराकर नष्ट हो जाएगी।

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निष्कर्ष:

तो यह था पृथ्वी का अंत या विनाश कब और कैसे होगा. सच बताएं तो इस पोस्ट को लिखते समय हमको बहुत ज्यादा दुख हो रहा था न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि आखिरकार हम मनुष्य और यह पूरा संसार कब तक रहेगा।

यदि आप लोग भी इस बात को गहराई से सोचेंगे और जो सभी साइंटिस्ट और महान लोगों ने भविष्यवाणी करी है कि पृथ्वी का विनाश कब होगा तब यह सुनकर मन बिल्कुल उदास सा हो जाता है।

लेकिन हम आपको यह कहना चाहते हैं कि यह तो पक्का है कि पृथ्वी का अंत भविष्य में अवश्य होगा और अगर किसी कारण वर्ष पृथ्वी का अंत नहीं होता है तब यह तो पक्का है कि मनुष्य पूरी तरीके से विलुप्त हो जाएंगे।

या तो हमारी पृथ्वी मंगल ग्रह की तरह बंजर पड़ जाएगी| भविष्य में क्या होगा इसके बारे में किसी को भी कोई भी जानकारी नहीं है लेकिन हम भविष्यवाणी या महान लोगों की बातों को पूरी तरीके से इग्नोर भी नहीं कर सकते हैं।

लेकिन हम आप को यही सलाह देंगे कि भविष्य के बारे में न सोचे और वर्तमान में जीने की कोशिश करें क्योंकि यही अपने जीवन को जीने का सही तरीका होता है|

अगर आपको हमारी यह पोस्ट हेल्पफुल लगी तो प्लीज इस आर्टिकल को अवश्य शेयर करें। क्योंकि हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बारे में सही बहुत जानकारी मिल पाए।

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