फेसबुक का आविष्कार किसने किया था और कब | Who Invented Facebook in Hindi

फेसबुक एक सोशल नेटवर्किंग प्लैटफ़ार्म है, जहां इसको यूज करने वाले कमेंट कर सकते हैं, फोटोज शेयर कर सकते हैं और लाइव समाचार एवं अन्य रोचक कंटेंट के लिंक पोस्ट कर सकते हैं। साथ ही इसमें किसी भी व्यक्ति के साथ (जो फेसबुक यूज करता है) लाइव चैट कर सकते हैं।

पिछले कुछ समय से फेसबूक ने शॉर्ट-फॉर्म वीडियो देखने के लिए एक बेहतरीन फीचर पेश किया है। जिसकी मदद से आप छोटे-छोटे वीडियो देखकर अपना मनोरंजन कर सकते हैं। अगर आपको फसेबूक पर कुछ भी पसंद आता है तो इसे किसी के भी साथ शेयर कर सकते हैं।

इसकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि आप किसी पोस्ट को एक व्यक्ति, एक ग्रुप या सभी को शेयर कर सकते हैं। इसमें यह बेहतरीन फीचर शामिल है। इस तरह से फेसबुक आज के समय में ज्ञान बढ़ाने, दुनिया को जोड़ने और मनोरंजन करने वाला एक बेहतरीन साधन है।

फेसबुक का इस्तेमाल रोजाना अरबों लोग करते हैं। लेकिन इसके खोजकर्ताओं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि इसका उपयोग दुनिया में इतना बढ़ जाएगा। फेसबुक आज इंटरनेट पर राज करने वाले दिग्गजों में से एक है। इसे बनाने वाले Founders ने कभी नहीं सोचा था कि एक हॉस्टल के कमरे से बनने वाला एप पूरी दुनिया पर राज करेगा।

आज के इस लेख में हम फेसबूक का आविष्कार किसने किया और इसे यह नाम कैसे मिला? के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही इसके बड़े-बड़े अचीवमेंट के बारे में भी जानेंगे, जो इसने खोज होने के बाद बनाए हैं। तो आइए इस पोस्ट को स्टार्ट करते है।

फेसबूक का आविष्कार किसने किया था

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फेसबुक का मूल उद्देश्य क्या था?

फेसबुक का मूल उद्देश्य या “द फेसबुक” जैसा कि उस समय जाना जाता था, हार्वर्ड के छात्रों को स्कूल में अन्य छात्रों के साथ जुड़ने के लिए अपने “.edu” ईमेल पते और तस्वीरों का उपयोग करने की सुविधा देना था। यानी हार्वर्ड में पढ़ने वाले विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थियों के साथ जुड़ने के लिए एक ऑनलाइन प्लैटफ़ार्म तैयार करना चाहते थे।

तब वहाँ के एक छात्र मार्क जुकरबर्ग ने कॉलेज के मौजूदा सामाजिक अनुभव को इंटरनेट पर लाने का एक तरीका बताया। वह एक ऐसी ऑनलाइन चीज बनाना चाहते थे, जो कॉलेज के छात्रों को एक-दूसरे से जुड़ने में मदद कर सके। क्योंकि उस समय इंटरनेट अपनी शुरुआती अवस्था में था और गूगल का आविष्कार हो चुका था। जिसने मार्क जुकरबर्ग के दिमाग में इस बात को डाला।

मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक क्यों बनाया?

जनवरी 2004 में जुकरबर्ग ने एक नई साइट के लिए कोड लिखना शुरू किया, जो अन्तः में जाकर Facebook बना। मार्क जुकरबर्ग को Facebook बनाने की प्रेरणा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक एडिटोरियल “FaceMash” से मिली। जुकरबर्ग ने इस साइट का नाम ‘FaceMash’ दिया।

मार्क जुकरबर्ग द्वारा बनाई गई इस साइट ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की पिक्चरों का सहारा लिया था। इस साइट को हार्वर्ड के स्टूडेंट्स द्वारा बनाए जाने के कारण लोगों द्वारा इसे काफी पसंद किया गया। महज 4 घंटों के समय में ही इसे 22,000 द्वारा लोगों द्वारा विजिट किया गया।

दुर्भाग्य से ज़करबर्ग की इस साइट को कुछ ही समय बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बंद कर दिया गया। क्योंकि इसमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय की नीतियों का उल्लंघन किया गया था। प्रशासन ने इसे स्कूल की सुरक्षा से छेड़छाड़ करने के रूप में देखा। जिसका मुख्य कारण स्टूडेंट्स की फोटोज और आईडी का चोरी-छूपे उपयोग करना था।

जुकरबर्ग की इसी खता के कारण उनका विश्वविद्यालय से निष्कासित होना निश्चित था। लेकिन किसी तरह वो अपनी साख बचाने में सफल हो गए। उनके एक करीबी रिश्तेदार ने जुकरबर्ग की ज़िम्मेदारी ली कि वो आगे भविष्य में ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे।

FaceMash साइट के साथ उनके अनुभव ने उन्हें एक नई साइट बनाने के लिए प्रेरित किया। जो एक एक सोशल नेटवर्किंग साइट थी, जिसमें हार्वर्ड के छात्र स्कूल में अन्य छात्रों के साथ जुड़ने के लिए अपने “.edu” ईमेल एड्रैस और तस्वीरों का उपयोग कर सकते थे। इसके बाद जुकरबर्ग द्वारा बनाई गई उस साइट को एक अच्छे से नाम की जरूरत थी।

इसके बाद हार्वर्ड में काम करने वाले कर्मचारियों, पढ़ने वाले विद्यार्थियों और स्टाफ के द्वारा इस साइट का नाम ‘Facebook’ रखा गया। जिसका यूआरएल thefacebook.com था। Facebook की खोज 2004 में मार्क जुकरबर्ग, एडुआर्डो सेवरिन, डस्टिन मोस्कोविट्ज़ और क्रिस ह्यूजेस के द्वारा की गई। ये सभी हार्वर्ड में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ही थे।

नई लॉंच की गई यह साइट तुरंत हिट हो गई और लॉन्च होने के केवल 24 घंटों के भीतर लगभग 1,200 छात्रों ने साइन अप किया। एक महीने के भीतर हार्वर्ड के सभी स्नातक में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों में से लगभग 60% विद्यार्थियों के पास एक फेसबूक प्रोफ़ाइल थी।

इस तरह से यह जल्द ही यू.एस. के तीन बड़े कॉलेज campus- येल, कोलंबिया और स्टैनफोर्ड में तेजी से लोकप्रिय हो गया। इसके एक साल बाद यानी अगस्त, 2005 में एक नया domain तकरीबन 2,00,000 डॉलर में खरीदने के बाद यह Facebook.com बन गया।

इसके बाद यह दुनियाभर में लोकप्रिय होना शुरू हो गया। जिसमें इसका सबसे ज्यादा उपयोग ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज़ में हुआ। इसी क्रम में धीरे-धीरे यह दुनिया के अन्य देशों में भी तेजी से लोकप्रिय हुआ। अपने शुरुआती चरण में मिलती इस कामयाबी से मार्क जुकरबर्ग काफी खुश थे।

मार्क जुकरबर्ग को यह विचार कैसे आया?

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जैसा की हमने ऊपर पढ़ा कि मार्क जुकरबर्ग, हार्वर्ड में पढ़ने वाले नए विद्यार्थियों को अन्य विद्यार्थियों के साथ जोड़ना चाहते थे। वो कभी यह नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा बनाई गई यह साइट दुनियाभर में कमाई करें। वो तो सिर्फ स्टूडेंट्स की समस्याओं को हल करना चाहते थे।

जुकरबर्ग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि “मैं उस समय सिर्फ कॉलेज और स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को जोड़ना चाहता था। मेरा यह उद्देश्य कभी भी नहीं था कि मैं एक कंपनी बनाऊँ। मैंने सिर्फ उस समय इंटरनेट के उपयोग से लोगों को जोड़ने की कोशिश की थी, जो उस समय उनकी बुनियादी जरूरत थी।”

इसके अलावा मार्क ने कहा कि “आपको सुनने के लिए म्यूजिक, पढ़ने के लिए समाचार, जानने के लिए जानकारी मिल सकती है। लेकिन आप उन लोगों से नहीं जुड़ सकते, जिनकी आप परवाह करते हैं। जो वास्तव में लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है। यह एक बहुत बड़ा छेद जैसा लग रहा था, जिसे भरना बहुत जरूरी था।”

लेकिन अब हम सभी जानते हैं कि Facebook ने उसके फाउंडर्स की सोच से बहुत बेहतरीन प्रदर्शन किया। आज सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी की मार्केट वैल्यू 600 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। इसके 2.5 अरब से भी मासिक सक्रिय यूजर्स है, जिस कारण आज जुकरबर्ग दुनिया के सबसे अमीर आदमियों में से एक गिने जाते हैं।

फेसबुक के विवाद

हालांकि फेसबूक का इतिहास विवादों से भरा रहा है। फेसबुक के लॉन्च होते ही यह कानूनी समस्याओं में घिर गया था। दिव्य नरेंद्र, Twins Cameron और Tyler Winklevoss ने दावा किया था कि उन्होंने मार्क जुकरबर्ग को हार्वर्ड में यह सोशल मीडिया साइट बनाने में मदद की थी। Facebook की कामयाबी के बाद जुकरबर्ग अपने समझौते से मुकर गए थे।

कथित तौर पर उन्होंने दावा किया कि जुकरबर्ग ने फेसबुक बनाने के लिए उनके आइडिया और उनके द्वारा लिखे कोड का उपयोग किया। यह वर्षों तक विवादित रहा, जब तक कि 2008 में 6.5 करोड़ डॉलर नगद राशि और Facebook में कुछ हिस्सा देकर इस कानूनी लड़ाई को खत्म किया गया।

लेकिन इस नई सोशल मीडिया साइट के खिलाफ यह एकमात्र मुकदमा नहीं था। न्यू यॉर्क के एक पूर्व वुड-पेलेट सेल्समैन, जिसे पॉल सेग्लिया कहा जाता है ने भी दावा किया कि जुकरबर्ग के साथ 2003 के Agreement से बड़ी मात्रा में फेसबुक स्टॉक बकाया था।

सेग्लिया के दावे के अनुसार, 2003 में उन्होंने स्ट्रीटफैक्स, बाद में स्ट्रीट डिलीवरी नामक साइट के लिए कुछ कोडिंग को पूरा करने के लिए जुकरबर्ग (तब हावर्ड में एक 18 वर्षीय नए व्यक्ति) को काम पर रखा था। कथित तौर पर जुकरबर्ग को काम के लिए 1,000 डॉलर का भुगतान भी किया गया था।

सेग्लिया ने यह भी दावा किया कि उन्होंने जुकरबर्ग की “द फेस बुक” परियोजना में 1,000 डॉलर का निवेश किया था। सेग्लिया ने दावा किया कि उस निवेश के आधार पर फेसबुक शेयरों पर अब उनका एक बड़ा हिस्सा बकाया है।

उस समय फेसबुक ने सुझाव दिया कि दावा “धोखाधड़ी” था और सबूत के रूप में सेग्लिया के धोखाधड़ी इतिहास का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि 2009 में सेग्लिया को गिरफ्तार किया गया था और आपराधिक धोखाधड़ी और भव्य चोरी का आरोप लगाया गया था

जब उनकी Wood-Pellet कंपनी एक $200,000 ऑर्डर से भी अधिक की डिलीवरी का सम्मान करने में विफल रही थी।
लेकिन इसके बाद मामला और दिलचस्प हो गया। स्ट्रीट डिलीवरी के वास्तविक संस्थापक एंड्रयू लोगान ने पुष्टि की कि सीग्लिया ने वास्तव में 2003 में वहां काम किया था और जुकरबर्ग को स्ट्रीटफैक्स के लिए कोड लिखने के लिए नियुक्त किया था।

हालाँकि मामले को एक Federal न्यायाधीश द्वारा खारिज कर दिया गया। जब एक मजिस्ट्रेट न्यायाधीश ने यह पुष्टि की कि सेग्लिया द्वारा प्रदान किए गए सबूत वास्तव में नकली थे। इस तरह से सेग्लिया के द्वारा लगाए सभी आरोप निराधार साबित हुए और Facebook इस आरोप से बरी हुई।

फेसबुक का पहला यूजर कौन था?

आपको जानकर हैरानी नहीं होगी कि पहली फेसबुक प्रोफाइल किसी और की नहीं बल्कि खुद मार्क जुकरबर्ग की थी। उस समय यूजर्स प्रोफ़ाइल एक URL “http://www.facebook.com/profile.php?id=” की तरह दिखते थे। इसमें id= के आगे कोई भी नंबर लगाने पर यूजर संख्या आ जाती थी। लेकिन आज के समय में यह फॉर्मेट पूरी तरह से चेंज हो चुका है।

जुकरबर्ग की id=4 थी। जिसमें 1-3 नंबर के टेस्ट अकाउंट थे, जो उस समय चेक करने के लिए बनाए गए थे। जो कुछ समय बाद वहाँ से हटा दिए गए। इस तरह से Mark Zuckerberg फेसबूक के पहले यूजर थे। जो आज भी अपने अप में एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड है।

इसके बाद id-5 वाला पहला “वास्तविक” फेसबुक यूजर क्रिस ह्यूजेस थे, जो जुकरबर्ग के मित्र और फेसबुक के co-founder थे। इसके अगले कुछ अकाउंटस जुकरबर्ग के दोस्त, क्लास्मेट्स और रूममेटस के थे।

दिलचस्प बात यह है कि बिजनेस इनसाइडर ने कुछ साल पहले एक जांच की थे। जिसमें पता लगाया कि पहले 20 फेसबुक अकाउंट और एक दूसरे के साथ उनके संबंधों की खोज की। उनके निष्कर्षों के अनुसार जुकरबर्ग और ह्यूजेस के बाद अगले कुछ अकाउंटस इस प्रकार थे:

  • डस्टिन मोस्कोविट्ज़- उन्होंने फेसबुक को खोजने में मदद की और मार्क के रूममेट थे।
  • ऐरी हसीत- ऐरी पहला non-founder यूजर था, जिसका Facebook से कोई लेना-देना नहीं था। यह क्रिस ह्यूजेस का दोस्त था
  • मार्सेल जॉर्जेस लेवरडेट-II (Marcel Georgés Laverdet-II)- मार्सेल फेसबुक खोजने वालों के मित्र थे।
  • Soleio Cuervo- यह जॉर्ज लेवरडेट जैसे अन्य शुरुआती फेसबुक यूजर्स के दोस्त थे।
  • क्रिस पुटनम- क्रिस अन्य शुरुआती फेसबुक यूजर्स के दोस्त थे।
  • एंड्रयू मैककॉलम- एंड्रयू मार्क जुकरबर्ग के सहपाठियों (Classmates) में से एक थे।

इस तरह से Facebook के पहले कुछ यूजर्स आपस में ही एक-दूसरे के साथी थे। जिनमें से कुछ मार्क के दोस्त थे तो कुछ ह्यूजेस के

फेसबुक इतिहास के कुछ प्रमुख माइल स्टोनस

  • फरवरी 2004- फ़ेसबुक (जिसे तब “द फ़ेसबुक” कहा जाता था) की स्थापना ज़करबर्ग, मोस्कोविट्ज़, सेवरिन और ह्यूजेस के द्वारा की गई।
  • मार्च 2004- फेसबुक अमेरिका के तीन अन्य कॉलेजों- येल, कोलंबिया और स्टैनफोर्ड में लोकप्रिय हुआ।
  • जून 2004- फेसबुक ने अपना मुख्यालय पालो ऑल्टो, कैलिफोर्निया में स्थानांतरित किया।
  • सितंबर 2004- साइट ने now-infamous “wall” लॉन्च की- जो यूजर्स को चीजें पोस्ट करने और अपने स्वयं के पेज पर संदेश प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करती थी।
  • दिसंबर 2004- फेसबुक ने 1 मिलियन यूजर्स का जादुई आंकड़ा छूया।
  • मई 2005- फेसबुक ने 800 से अधिक कॉलेजों में लोकप्रिय हुआ।
  • सितंबर 2005- इस समय तक thefacbook.com साइट का विस्तार बड़े-बड़े हाई स्कूलों में हो गया था। यह अब “दफेसबूक” से केवल “फेसबुक” बन गया।
  • अक्टूबर 2005- फ़ेसबुक फ़ोटो जोड़ता है और अंतर्राष्ट्रीय हो जाता है।
  • दिसंबर 2005- फेसबुक के 6 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हुए।
  • अप्रैल 2006- फेसबुक मोबाइल में भी चलने लगा और यूजर्स के लिए आसान हो गया।
  • सितंबर 2006- अब कोई भी फेसबुक का यूज कर सकता था और इसके साथ जुड़ सकता था।
  • दिसंबर 2006- फेसबूक सदस्यता बढ़कर 12 मिलियन हो गई।
  • जून 2007- Facebook पर वीडियो चलने की शुरुआत हुई।
  • दिसंबर 2007- यूजर्स की संख्या बढ़कर 58 मिलियन हो गई।
  • जुलाई 2008- आईफोन में फेसबुक की शुरुआत और मोबाइल की दुनिया पर सोशल नेटवर्किंग साइट का कब्जा।
  • फरवरी 2009- पहली बार “लाइक” बटन फेसबूक पर आया।
  • जुलाई 2010- फेसबुक पर 500 (5 करोड़) मिलियन से अधिक यूजर्स एक्टिव थे।
  • अगस्त 2010- सिएटल में एक फेसबुक इंजीनियरिंग सेंटर खोला गया।
  • अक्टूबर 2010- Facebook Group लॉन्च किए गए।
  • अप्रैल 2011- Facebook का Datacenter प्राइनविले (ओरेगॉन) में खुला, जिसमें Facebook का पूरा डाटा सेव किया जाता था।
  • जुलाई 2011- वीडियो कॉलिंग की जादुई शुरुआत हुई।
  • अप्रैल 2012- इंस्टाग्राम का Facebook के साथ अधिग्रहण किया गया।
  • मई 2012- फेसबुक ने अपना आईपीओ जारी किया। जिससे 16 अरब डॉलर जुटाए गए और कंपनी को अपने फेसबुक स्टॉक के लिए 102.4 अरब डॉलर की मार्केटिंग वैल्यू प्राप्त हुई।
  • अक्टूबर 2012- Facebook यूजर्स की संख्या ने 1 अरब का आंकड़ा पार किया।
  • फरवरी 2013- एटलस के अधिग्रहण की घोषणा की गई।
  • जून 2013- फेसबुक के पार्टनर इंस्टाग्राम ने वीडियो की सुविधा शुरू की।
  • फरवरी 2014- Facebook ने व्हाट्सएप को खरीदा और इसके अधिग्रहण की घोषणा की गई।
  • मार्च 2014- ओकुलस के अधिग्रहण की घोषणा की गई।
  • अप्रैल 2014- फेसबुक द्वारा बिजनेस मैनेजर सेवा शुरू की गई।
  • नवंबर 2014- Groups App की घोषणा की गई।
  • अप्रैल 2015- फेसबुक पर इस समय तक 40 मिलियन से अधिक छोटे business pages थे, जिसका मतलब इस समय तक लोग Facebook का इस्तेमाल बिज़नस के लिए भी करने लगे थे।
  • जून 2015- पेरिस में फेसबुक का AI Research ग्रुप खुला।
  • फरवरी 2016- फेसबुक की Reactions (किसी पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रीया देना) शुरू हुई।
  • जुलाई 2016- इस समय तक एक महीने में मैसेंजर के 1 बिलियन से अधिक उपयोगकर्ता थे।
  • अक्टूबर 2016- फेसबुक मार्केटप्लेस लॉन्च हुआ – उपयोगकर्ताओं को उत्पादों को खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता है।
  • अप्रैल 2017- फेसबुक द्वारा San Jose में F8 डेवलपर सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • सितंबर 2017- यह खबर सामने आई कि फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट ने एक नए ट्रांस-अटलांटिक डेटा केबल (एक ट्रान्साटलांटिक डाटा केबल एक पनडुब्बी संचार केबल है जो अटलांटिक महासागर के एक तरफ को दूसरे से जोड़ती है) पर काम पूरा कर लिया है।
  • मार्च 2018- स्टॉक में गिरावट के बाद शेयरधारकों द्वारा फेसबुक पर मुकदमा दायर किया गया।
  • मई 2018- फेसबुक ने “रिवेंज पोर्न” को रोकने में मदद करने के लिए एक नई तकनीक का परीक्षण किया, जिसमें यूजर्स को खुद की नग्न तस्वीरें प्रदान करने के लिए कहा गया। यह काफी विवादास्पद फैसला था।
  • अप्रैल 2018- डेटा और गोपनीयता उल्लंघनों के मामले में जुकरबर्ग ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने गोपनियता की गवाही दी।
  • सितंबर 2018- फेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने गवाही दी।
  • अक्टूबर 2018- फेसबुक ने नया फेसबुक पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की: एक हैंड्स-फ्री वीडियो कॉलिंग डिवाइस।
  • दिसंबर 2018- फेसबुक ने भारत में एक ब्लॉकचेन वर्जन “स्टेबलकॉइन” के लॉन्च की घोषणा की।
  • जनवरी 2019- फेसबुक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए टीयूएम इंस्टीट्यूट फॉर एथिक्स लॉन्च करने के लिए 7.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया।
  • मई 2019- फेसबुक ने अपनी साइट से बड़ी मात्रा में फर्जी अकाउंट डिलीट किए।
  • जून 2019- फेसबुक के शेयरधारकों ने जुकरबर्ग को फेसबुक के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए मतदान किया। जिसमें 68% प्रस्ताव इस बात से सहमत हुए की जुकरबर्ग को पद से हटाया जाए।
  • जून 2019- फेसबुक ने कैलिब्रा नाम से अपनी न्यूज डिजिटल वॉलेट और करेंसी (मुद्रा) लॉन्च की।
  • सितंबर 2019- फेसबुक ने अपना टिंडर जैसा डेटिंग फीचर लॉन्च किया, जो इंस्टाग्राम इंटीग्रेशन के साथ भी आता है।
  • सितंबर 2019- फेसबुक ने $1 बिलियन के लिए माइंड-रीडिंग स्टार्टअप CTRL-labs का अधिग्रहण किया।
  • दिसंबर 2019- फेसबुक ने एक और बड़े सुरक्षा उल्लंघन की घोषणा की।
  • अप्रैल 2020- फेसबुक ने COVID-19 आशंकाओं के बीच 2021 तक सभी प्रमुख सार्वजनिक कार्यक्रमों को रद्द करने की घोषणा की।
  • मई 2020- फेसबुक ने GIPHY को करोड़ों डॉलर में खरीदा।
  • जून 2020- फेसबुक ने 2D इमेज को 3D मॉडल में बदलने के लिए अपने नए एआई टूल का अनावरण किया।
  • जून 2020- कंपनियों ने “Hate Speech” की रोकथाम के लिए बड़े और मजबूत कदम उठाए। जिससे Facebook पर विज्ञापनदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई और फेसबुक के शेयर में जबरदस्त उछाल आया।
  • जून 2020- कंपनी ने मोबाइल में Facebook चलाने वालों के लिए अपने नए “डार्क मोड” की घोषणा की।

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निष्कर्ष:

तो ये हा फेसबुक का आविष्कार किसने किया था और कब, हम आशा करते है की इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको फेसबुक के आविष्कार के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी।

अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो इसको शेयर अवश्य करें ताकि अधिक से अधिक लोगों को फेसबुक के आविष्कार के बारे में सही जानकारी मिल पाए।

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