दूध की डेयरी कैसे खोलें (कमाए 1 लाख हर महीने)

दुनिया भर में लगभग 15 करोड़ परिवार दुग्ध उत्पादन में लगे हुए हैं। अधिकांश विकासशील देशों जैसे भारत में दूध का उत्पादन छोटे किसानों द्वारा किया जाता है। यह दूध घरेलू आजीविका, भोजन और पोषण में योगदान देता है। दूध छोटे तौर पर उत्पादन करने वालों के लिए जल्दी रिटर्न प्रदान करता है और यह नकद इनकम का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

पिछले तीन दशकों में विश्व दुग्ध उत्पादन में 59 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो 1988 में 530 मिलियन टन से बढ़कर 2018 में 843 मिलियन टन हो गया है। भारत 22 प्रतिशत वैश्विक उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ब्राजील हैं।

1970 के दशक से, दूध उत्पादन में अधिकांश विस्तार दक्षिण एशिया में हुआ है, जो विकासशील देशों में दूध उत्पादन वृद्धि का मुख्य क्षेत्र है। अफ्रीका में दुग्ध उत्पादन अन्य विकासशील क्षेत्रों की तुलना में अधिक धीमी गति से बढ़ रहा है, क्योंकि गरीबी और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण।

भारत में दूध का बहुत महत्व है, क्योंकि ज़्यादातर आबादी शाकाहारी होने के करना यह पोषण के लिए दूध के प्रोडक्टस पर निर्भर रहती है। गांवों में रहने वाले किसान सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करते हैं, यही दूध इन किसानों की आय का एक प्रमुख स्त्रोत भी है।

दूध का उपयोग

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दूध स्तनधारियों से प्राप्त होने वाला एक लिक्विड है। दूध मानव शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। धरती पर रहने वाला लगभग प्रत्येक स्तनधारी जन्म के समय दूध जरूर पीता है। इंसान भी इन्हीं में से एक है। इंसानी बच्चा अपनी माँ का दूध आसानी से पचा लेता है, लेकिन एक वयस्क इंसान के लिए यह संभव नहीं है।

इस कारण वह गाय, भैंस, बकरी का दूध पीता है। गाय के दूध में लगभग 87 प्रतिशत पानी होता है। शेष 13% में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल्स होते हैं। कम वसा वाली किस्मों का उत्पादन करने के लिए प्रसंस्करण तकनीक वसा को कम करती है।

भारत में दूध का सबसे ज्यादा उपयोग चाय के लिए किया जाता है। इसके अलावा मिठाइयों, पनीर, खीर, आइसक्रीम, ज्यूस, शेक, हलवा, चाट, लस्सी, दही आदि बनाने के लिए दूध का बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है।

भारत में दूध का विशेष महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं से है। इसमें समुद्र मंथन की कथा और समुद्र मंथन शामिल है जो अमरता का पेय लेकर आया। वह पेय अमृत है। इसमें देवी कामधेनु भी शामिल हैं, जिन्होंने खुद को इच्छा-पूर्ति करने वाली दिव्य गाय के रूप में प्रकट किया। हिंदू गायों को कामधेनु का पवित्र अवतार मानते हैं।

कृष्ण भक्तों को गायों से विशेष लगाव है। वे एक चरवाहे के रूप में हिंदू भगवान थे। मक्खन के प्रति उनके प्रेम की कहानियां पौराणिक हैं। उन्हें प्यार से “माखन चोर” या मक्खन चोर भी कहा जाता है। हिंदू धार्मिक उद्देश्यों के लिए दूध और इसके उत्पादों का उपयोग करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसमें शुद्ध करने वाले गुण होते हैं।

घी स्पष्ट मक्खन है और इसका उपयोग अनुष्ठानों के लिए दीयों में किया जाता है। हिंदू मूर्तियों को विशेष अवसरों पर स्नान करने के लिए दूध का उपयोग किया जाता है। दूध या घी से बनी मिठाइयों का उपयोग देवताओं को प्रसाद के रूप में किया जाता है। दूध को शिशु के पहले भोजन से लेकर मृत्यु के बाद के अंतिम संस्कार तक की रस्मों में शामिल किया जाता है।

ग्रामीण इलाकों में रहने वाली गरीब आदमी लस्सी या छाछ का उपयोग शीतल पेय के रूप में करते हैं। अगर आप भारत में हैं तो दूध से बनी मिठाइयों का स्वाद जरूर चखा होगा। इस विशाल और विविधतापूर्ण देश में एक और चीज जो आम है वह है सुबह की दूधिया चाय। चाय के छोटे-छोटे स्टॉल अपना कारोबार सुबह जल्दी शुरू कर देते हैं।

दशकों पहले बड़े बदलावों के कारण आज डेयरी उद्योग वह ताकत बन गया है। अमूल एक सहकारी डेयरी है जिसका जन्म 1946 में दूध उत्पादकों द्वारा अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ विद्रोह से हुआ था। इन्हीं कारणों के कारण भारत में दूध की डेयरी करना सबसे फायदेमंद है।

दूध की डेयरी कैसे खोलें?

दूध की डेरी खोलकर कमाए लाखों

हम सभी जानते हैं, कि दूध और इससे बने पदार्थों का उपयोग हमारे घरों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस कारण दूध की मांग हमेशा बनी रहती है। अगर आप भी दूध की डेयरी खोलने पर विचार कर रहे हैं। तो हम आपको इसके बारे में आज विस्तार से बताने वाले हैं।

1. एक लोकेशन सिलेक्ट करें

दूध की डेयरी खोलने से पहले एक अच्छी लोकेशन सिलेक्ट करनी होगी। क्योंकि दूध बेचने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों की आवश्यकता होगी। इसलिए आपको आवासीय लोकेशन को सिलेक्ट करना होगा। क्योंकि घरों में ही दूध की सबसे ज्यादा खपत होती है।

इसके अलावा आप अपनी डेयरी गाँव या शहर में खोलना चाहते हैं, यह बात सबसे ज्यादा मैटर करती है। क्योंकि गाँव में दूध की डेयरी दूध बेचने के लिए नहीं बल्कि खरीदने के लिए की जाती है। मतलब आप गाँव में पशुपालकों से दूध खरीदकर शहरों या बड़ी डेयरी में सप्लाइ करते हैं।

जबकि शहरों में दूध की डेयरी खोलने का मतलब है, कि आप सप्लायर्स से दूध खरीदकर लोगों को बेचेंगे। इस तरह आप आसानी से समझ सकते हैं, कि आपकी लोकेशन के हिसाब से आपकी डेयरी शुरू होगी। साथ ही आपको इस बात से भी अवगत होना होगा कि आपकी लोकेशन पूरी तरह से साफ-सुथरी जगह पर होनी चाहिए।

2. प्लानिंग बनाएँ

दूध की डेयरी शुरू करना निश्चित रूप से एक लाभदायक व्यवसाय है, लेकिन इसे शुरू करना आसान नहीं है। बिजनेस प्लानिंग और मार्केट रिसर्च किसी भी बिजनेस का अभिन्न अंग होता है। बिजनेस प्लानिंग से हम बिजनेस शुरू करने से लेकर उसे सफल बनाने तक का डाटा तैयार करते हैं।

यूं कहें दूध की डेयरी की प्लानिंग करने से हमें इसकी कुछ बेसिक चीजों की जानकारी होगी। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्टस की मार्केट रिसर्च करने से हमें उसकी मांग और कीमत का पता चलता है। जितनी ज्यादा मांग होती है, उस प्रॉडक्ट का बिजनेस करना उतना ही फायदेमंद होता है।

दूध की डेयरी से संबधित सभी पहलुओं को अच्छे से समझें। इसमें लागत, प्रॉफ़िट, दूध खरीदना और बेचना, ग्राहक सर्विस, मार्केटिंग, दूध के प्रोडक्टस बनाना आदि की जानकारी प्राप्त करना है। इसके अलावा मार्केट रिसर्च से हमें हमारे कंपीटीशन में बैठे लोगों का पता चलता है।

कंपीटीशन में बैठे लोगों के बारे में जानने से हमें ग्राहकों की मांग और आवश्यकतों का पता चलता है। उसके अनुसार हम फिर अपनी दूध की डेयरी में वो सभी प्रोडक्टस को शामिल कर सकते हैं। आपका कस्टमर बेस जितना मजबूत होगा, आपकी डेयरी उतनी ही कामयाब होगी।

3. पैसों की व्यवस्था

दूध की डेयरी खोलने के लिए आपको ज्यादा पैसों की आवश्यकता नहीं होगी। आप 2-3 लाख रुपए में आसानी से इसे शुरू कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले तो आपको लोकेशन के लिए किराया देना होगा। अगर जगह आपकी खुद की है, तो फिर आप इस खर्चे से बच सकते हैं।

इसके बाद हमें दूध और अन्य प्रोडक्टस रखने के लिए एक बड़े फ्रीजर की आवश्यकता होगी। क्योंकि फ्रीजर में दूध और बाकी प्रोडक्टस खराब नहीं होंगे। इसके बाद आपको एक दूध की डेयरी में फर्नीचर और बाकी उपकरण खरीदने होंगे। इन उपकरणों में दूध रखने के बर्तन और अन्य वस्तुएँ बनाने की मशीनें शामिल है।

कुल मिलाकर 40,000 में एक फ्रीजर, 30,000 का फर्नीचर, 30,000 के बर्तन और 1 लाख रुपए में बाकी मशीनें आ जाएगी। भारत में दूध की डेयरी खोलना वास्तव में फायदे का सौदा है। आप इसके लिए पैसों की व्यवस्था खुद की बचत, रिशतेदारों और लोन से कर सकते हैं।

आजकल बैंक और कोई प्राइवेट संस्थान बिजनेस शुरू करने के लिए अच्छा-खासा लोन प्रोवाइड करवाते हैं। बस आपको अपने बिजनेस की स्ट्रक्चर को उन्हें इस तरीके से समझाना है, कि वे आपसे जल्दी agree हो जाएँ। इसके अलावा आप अपने रिशतेदारों या किसी अन्य व्यक्ति से ब्याज पर भी पैसे ले सकते हैं।

4. डेयरी में मिलने वाले प्रोडक्टस

दूध की डेयरी खोलने का मतलब यह नहीं है, कि आप सिर्फ दूध ही बेचेंगे। इसके साथ आपको दूध से मिलने वाले प्रोडक्टस भी बेचने होंगे, क्योंकि दही और ऐसी कई वस्तुएँ दूध की डेयरी पर ही मिलते हैं। इनकी अलग से कोई दुकान नहीं होती है, इसलिए आपको इन प्रोडक्टस को मांग के अनुसार बेचना होगा।

1. दूध

आपका सबसे पहला फोकस दूध बेचने पर होगा। क्योंकि सबसे ज्यादा ग्राहक आपसे दूध खरीदने के लिए ही जुड़ेंगे। इसलिए आपको दूध को अच्छे से संभालकर रखना होगा। क्योंकि दूध के जल्दी खराब होने का खतरा बना रहता है। इसके लिए हमने पहले ही फ्रीजर में दूध रखने की सलाह दी थी।

2. दही

दही, दूध के बाद खरीदे जाने वाला सबसे आम पदार्थ है। इसलिए आपको अपनी डेयरी में इसकी पूरी मात्रा रखनी होगी। भारत में दही सुबह और दोपहर के समय सबसे बड़ी मात्रा में खाया जाता है। इसलिए आप अपनी डेयरी में दही को आसानी से बना सकते हैं, बस आपके द्वारा बनाए गए दही का स्वाद लाजवाब होना चाहिए।

3. छाछ/लस्सी

लस्सी गर्मियों के मौसम में काफी अच्छी इनकम करवाती है। लोगों को नमकीन और मिट्ठी लस्सी पसंद होती है। इसलिए आप अपनी डेयरी में बढ़िया लस्सी तैयार कर सकते हैं। जिसके लिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। क्योंकि आप दूध से घी निकालने के बाद उससे दही और लस्सी तैयार कर सकते हैं।

4. घी

आजकल शुद्ध देसी घी मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। इसलिए मशीनों की मदद से डेयरी वाला घी तैयार किया जाता है। जो होता तो असल में देशी घी ही है, लेकिन उसमें फैट कम होती है। आप अपनी डेयरी में घी तैयार कर ग्राहकों को बेच सकते हैं, बिना मिलावट और उच्च क्वालिटी का घी बेचने से आपका कस्टमर बेस मजबूत होगा।

इसके अलावा अगर आप खुद घी नहीं बनाना चाहते हैं, तो आप पशुपालकों से घी खरीद सकते हैं। वे आपको कम कीमत पर घी प्रोवाइड करवाएँगे, जिसे आप बाजार में आसानी से ज्यादा कीमत पर बेच सकते हैं। शहरी लोग शुद्ध देशी घी को खरीदने के लिए कितना भी भुगतान करने के लिए तैयार रहते हैं।

5. पनीर

पहले पनीर की डिमांड इतनी नहीं रहती थी, लेकिन आजकल बढ़ती आय और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता ने इसमें वृद्धि की है। आप आप अपनी दूध की डेयरी में पनीर को भी रख सकते हैं। पनीर बनाने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इसमें लाभ मार्जिन भी बहुत अच्छा है।

5. प्रोडक्टस की कीमत तय करना

प्रोडक्टस तय करने के बाद आपको उनकी कीमत को तय करना होगा। इसके लिए आप मार्केट रिसर्च का सहारा ले सकते हैं। क्योंकि आप मार्केट से ज्यादा कीमत पर इनको नहीं बेच सकते। दूध, दही, घी, पनीर जैसी वस्तुएँ अच्छी क्वालिटी की बहुत कम मिलती है।

अगर अच्छी क्वालिटी की मिलती है, तो उनकी कीमत ज्यादा होती है। आपको इन दोनों के बीच संयोजन बैठाना होगा। ताकि आपके ग्राहक आपसे लंबे समय तक जुड़े रहें। आमतौर पर दूध की डेयरी में मिलने वाले प्रोडक्टस की कीमत इस प्रकार से होती है।

  • गाय का दूध- 40-50 रुपए/लीटर
  • भैंस का दूध- 50-60 रुपए/लीटर
  • दही- 70-80 रुपए/लीटर
  • लस्सी- 20 रुपए/लीटर
  • गाय का घी- बिलौना (800 रुपए/किग्रा), मशीन से तैयार (450-550 रुपए प्रति किग्रा)
  • भैंस का घी- बिलौना (650 रुपए/किग्रा), मशीन से तैयार (400-500 रुपए/किग्रा)
  • पनीर- 280-350 रुपए/किग्रा

6. दूध के सप्लायर्स ढूँढना

डेयरी में दूध और उनसे बने प्रोडक्टस बनाने के लिए दूध की आवश्यकता होगी, इसके लिए सप्लायर्स से संपर्क करना होगा। ऐसे कई व्यक्ति है, जो गांवों से दूध खरीदकर शहर की डेयरियों में दूध सप्लाइ करते हैं। आप उनसे संपर्क कर सकते हैं, और उनसे आप कम कीमत पर बढ़िया क्वालिटी का दूध खरीद सकते हैं।

दूध खरीदने से पहले आपको उसकी क्वालिटी को समझना होगा। क्योंकि कुछ लोग पशुओं में दूध को बढ़ाने के लिए केमिकल का उपयोग करते हैं। ये केमिकर शरीर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे आपका कस्टमर बेस कमजोर हो जाएगा।

इसके अलावा आप सीधे पशुपालकों से भी संपर्क कर सकते हैं। ये पशुपालक आपको सप्लायर्स से कम कीमत पर दूध उपलब्ध करवाएँगे। आप किसी पशु फार्म से भी संपर्क कर सकते हैं, अगर वो आपके पास नजदीक हैं, तो आप खुद ही दूध ला सकते हैं। इस प्रोसैस में बिचौलिये का काम पूरा तरह से खत्म हो जाएगा।

7. दूध से प्रॉडक्ट बनाना

इसी तरह आपको दूध से प्रोडक्टस भी बनाने आने चाहिए, जैसे दही, घी, लस्सी, पनीर आदि। क्योंकि दूध से ज्यादा इनमें ज्यादा प्रॉफ़िट होता है।

  1. घी भारत में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाले खाद्य पदार्थों में से एक है। आप बिलौने और मशीनों से घी तैयार कर सकते हैं। जिसके लिए आपको शुरू में थोड़ी दिक्कत आएगी, लेकिन अभ्यास के साथ आप इसमें महारत हासिल कर सकते हैं।
  2. दही का उपयोग हर घर में किया जाता है। इसे बनाने में कोई ज्यादा परेशानी नहीं होती है। आप आसानी से दही बना सकते हैं, इसके लिए आपको सबसे पहले दूध को गर्म करना होगा। फिर उसमें उन बैक्टीरिया या छाछ को डालना है, जो दही जमाने के लिए ज़िम्मेवार होते हैं।
  3. लस्सी बनाना बहुत ही आसान प्रोसैस है। घी बनाते समय जो पदार्थ लास्ट में बच जाता है, उससे लस्सी तैयार की जाती है। हालांकि नमकीन और मिट्ठी छाछ बनाने के लिए आपको थोड़ी एक्सट्रा मेहनत करनी होगी।
  4. पनीर बनाना थोड़ा सा मुश्किल काम है। लेकिन आप इस काम को आसानी से सीख सकते हैं। पनीर बनाने के लिए सबसे पहले दूध को अच्छे से उबाला जाता है। फिर हल्का गर्म होने पर उसमें नींबू का सिरका डाला जाता है। इसके बाद दूध फट जाता है, और दही बन जाता है। फिर उस फटे दूध में से नर्म पदार्थ को निकाल लिया जाता है। जिससे पनीर तैयार होती है।

8. मार्केटिंग

मार्केटिंग किसी भी प्रॉडक्ट की बिक्री बढ़ाने और उसे मजबूत बनाने के लिए की जाती है। सभी प्रकार के डेयरी प्रोडक्टस की मार्केटिंग के लिए कई रणनीतियां हैं। इनमें पोषण मूल्य को बढ़ावा देना, जैविक बाजार के लिए अपील और सोशल मीडिया नेटवर्क का उपयोग और नए डेयरी उत्पादों का विकास शामिल है।

मार्केटिंग के लिए एक एक विज्ञापन तैयार करें जो स्पष्ट रूप से टेक्स्ट में उन बिंदुओं को बताता है जिन्हें आप अपने उत्पादों के बारे में हाइलाइट करना चाहते हैं। उन स्थानों और आउटलेट्स पर रिसर्च करें, जिनके आपके टार्गेटेड मार्केट से जुड़ने की सबसे अधिक संभावना है।

उदाहरण के लिए स्थानीय बाजार में पोस्टर लगाने से इसमें मदद मिल सकती है। इसके अलावा आपकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी सबसे यूनिक होनी चाहिए, ताकि ग्राहकों का आप पर ध्यान बना रहे।

मार्केटिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा आपकी डेयरी के प्रोडक्टस को आपके टार्गेटेड मार्केट के साथ communicate किया जाता है। यह आपके दूध की डेयरी बिजनेस की कुंजी है। बिक्री बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका अपने ग्राहकों के साथ बातचीत करना है। इसके अलावा आप उन प्रोडक्टस को लोगों के सामने रखते हैं, जिनकी उन्हें आवश्यकता है, तो वे और लोगों को भी इसके बारे में बताएँगे।

दूध की डेयरी की मार्केटिंग के लिए उन लोगों की आवश्यकता होती है जो लोगों की जरूरतों को जानने के लिए मार्केटिंग कर रहे हैं। मार्केट रिसर्च यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि बाजार की जरूरतें और इच्छाएं क्या हैं। जरूरतें एक विशेष डेयरी उत्पाद से दूसरे डेयरी उत्पाद में भिन्न होती हैं।

इसमें कितना प्रॉफ़िट है?

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डेयरी फार्म से होने वाली आय कई कारकों पर निर्भर करती है। आमदनी का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करें तो आंकड़े इस तरह दिखते हैं- शहरी इलाकों में एक लीटर दूध करीब 50 रुपये में बिकता है। आपको वही दूध किसानों से सीधा 40 रुपए में मिल जाता है। यहाँ हमें गाय और भैंस के दूध का औसत निकाला है।

इस तरह अगर आप रोजाना 100 लीटर दूध बेचते हैं, तो आपको 10 रुपए/किग्रा की बचत से रोजाना 1000 रुपए का प्रॉफ़िट होगा। इसके अलावा अन्य चीजों में भी आप 500-700 रुपए आसानी से कमा सकते हैं। लेकिन यह सब आपकी लोकेशन और कस्टमर बेस पर निर्भर करता है।

कुल मिलाकर अगर आप अच्छे से मेहनत करते हैं, तो आप महीने के 30-40 हजार रुपए आसानी से कमा सकते हैं। दूध की डेयरी में कई बार नुकसान का सामना भी करना पड़ता है, क्योंकि यह जल्दी खराब होने वाली वस्तुएँ है। इस कारण आपको उस नुकसान का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा।

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निष्कर्ष:

तो दोस्तों ये था दूध की डेरी कैसे खोलें, हम उम्मीद करते है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको दूध की डेरी खोलकर बिजनेस कैसे करें के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी.

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