साइकिल का आविष्कार किसने किया था और कब | Who Invented Cycle in Hindi

दिखने में बहुत छोटी और साधारण सी मालूम पड़ने वाली साइकिल ने आज बड़े से बड़े सफर को छोटा किया है। हालांकि आज के आधुनिक समय में साइकिल से भी बड़े वाहन मौजूद है, लेकिन साइकिल की अपनी एक अलग ही पहचान है। बिना ईंधन के चलने वाली इस वस्तु ने मानव को बहुत सुख-सुविधाएँ प्रदान की है।

साइकिल के आविष्कार ने मनुष्य को भौतिक और शारीरिक दोनों सुख दिए है। यह आश्चर्य की बात है कि आजकल लोग साइकिल को इतना महत्व नहीं देते है। लेकिन फिर भी कहीं न कहीं साइकिल का उपयोग होता रहता है। भारत जैसे ग्राम प्रधान देश में साइकिल का सबसे ज्यादा उपयोग होता है।

पुराने समय में यातायात के लिए पालतू जानवरों का ही उपयोग किया जाता था। जानवरों को पालने में काफी मेहनत करनी पड़ती थी। लेकिन साइकिल के आविष्कार ने इस समस्या को दूर कर दिया। साइकिल के इस्तेमाल से लोग मध्यम दूरी का सफर आसानी से तय करने लगे।

साइकिल के आविष्कार को यातायात में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है इस साधारण सी दिखने वाली साइकिल का आविष्कार कैसे हुआ था? इसका इतिहास कैसा है? अगर आप में भी इसे लेकर जिज्ञासा बनी हुई है। तो आइए हम आपकी इस जिज्ञासा को दूर करते है?
लेकिन सबसे पहले जानते है की साइकिल क्या है?

साइकिल का आविष्कार किसने किया था

cycle ka avishkar kisne kiya

 

1.साइकिल क्या है?

साइकिल को आमतौर पर बायसाइकिल भी कहते है। यह पहियों से बनी एक ऐसी मशीन है, जो साइकिल चलाने वाले के पैरों से चलती है। साइकिल सवार अपने पैरों की मदद से पैडल को घूमाता है, जिससे साइकिल के पहिये आगे की तरफ चलते हैं।

एक साधारण साइकिल में दो पहिये एक क्रम में लगे होते है। जो धातु के फ्रेम में व्यवस्थित रूप से जुड़े रहते हैं। पहियों पर रबर के टायर लगे होते हैं, जिनमें ट्यूब होती है। इसी ट्यूब में हवा भरी जाती है, जिससे साइकिल को चलाने में आसानी होती है।

फ्रेम बनाने के लिए धातु की पाइपों का उपयोग किया जाता है। दोनों पहियों के बीच एक घुमावदार चैन सेट लगा होता है, इसी चैन सेट से पैडल जुड़े होते है। धातु के फ्रेम में आगे की तरफ एक हैंडल लगा होता है, जो साइकिल के मुड़ने की दिशा तय करता है।

साइकिल के बीच में एक सीट लगी होती है, जिस पर बैठकर साइकिल चालक साइकिल चलाता है। साइकिल को रोकने के लिए आगे की तरफ हैंडल में दो ब्रेक लगे होते हैं। साइकिल की गति आमतौर पर 20-30 किमी./घंटा तक पहुँच जाती है। जो एक सामान्य इंसान की गति से 5-6 गुना अधिक है। हालाँकि आजकल बाजार में गियर वाली साइकिल का प्रचलन भी सबसे अधिक है।

साइकिल मानव की बहुत सारी ऊर्जा बचाने में कारगर सिद्ध हुई है। आजकल बहुत से देशों में साइकिल के लिए अलग से पथ का निर्माण किया जाता है। दुनियाभर में साइकिल रेस का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें कुशल से कुशल साइकिल सवार अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं।

2. साइकिल का इतिहास

साइकिल का इतिहास आज से तकरीबन 200 वर्ष पुराना है। लेकिन इसकी शुरुआत 15वीं सदी में होती है, अन्य आविष्कारों की तरह इसकी भी किसी ने कल्पना की थी। इसी कल्पना ने साइकिल को जन्म दिया या यूं कहें साइकिल का आविष्कार हुआ।

वर्ष 1492 ई. में महान चित्रकार लियोनार्दों दा विंची ने सबसे पहले साइकिल का चित्र बनाया था। जो कुछ-कुछ आज की साइकिल जैसा ही था। हालांकि इतिहासकर इसका श्रेय उनके शिष्य Gian Giacomo Caprotti को देते है, लेकिन 1998 में इसे नकार दिया गया।

इसके बाद साल 1792 में फ़्रांस के एक व्यक्ति “Comte de Sivrac” ने एक दो पहियों वाली वस्तु का निर्माण किया। जिसमें लकड़ी का फ्रेम लगा हुआ था, तथा उस पर बैठने की कोई सुविधा नहीं थी। इसके अलावा दिशा नियंत्रण करने के लिए भी कोई उचित स्टेयरिंग नहीं था।

3. साइकिल का आविष्कार

इसके बाद साल 1817 में एक जर्मन व्यक्ति Karl Von Drais ने आधुनिक साइकिल को बनाया। जो आज के समय में मौजूद साइकिल जैसी व्यावहारिक थी। इसलिए इन्हें साइकिल का आविष्कारक भी कहा जाता है। तब इसे अनेक नामों से जाना गया। जैसे- “वेलोसिपेड,” “हॉबी-हॉर्स,” “ड्रैसिन” और “रनिंग मशीन” आदि।

Drais के द्वारा साइकिल का आविष्कार करने के पीछे एक रोमांचक और दर्द भरा किस्सा है। बात 1916 की है, जब इंडोनेशिया के एक द्वीप ताम्बोरा पर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ। इस विस्फोट के कारण पूरी दुनिया में धूल के बादल फैल गए, और दिनों-दिन धरती के उत्तरी हिस्से का तापमान गिरने लगा।

तापमान में गिरावट के कारण फसलें बर्बाद होने लगी, जिससे भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई। इस आपदा के कारण इंसान से लेकर जानवर तक प्रभावित हुए थे। जिससे घोड़ों और मवेशियों की मौत होने लगी। चूंकि इंसान घोड़ों का इस्तेमाल समान ढोने और सवारी के रूप में करते थे। इस कारण इन्सानों को बहुत नुकसान हुआ।

Drais ने इस समस्या का समाधान करने का बीड़ा अपने कंधों पर उठाया। इसके लिए Drais ने 12 जून, 1817 को अपनी पहली साइकिल का निर्माण किया। Drais के द्वारा बनाई गई पहली साइकिल पूरी तरह से लकड़ी की थी। जिसका वजन तकरीबन 22 किलोग्राम था।

Drais ने अपनी इस नए वहाँ से 13 किलोमीटर की दूरी तय की वो भी एक घंटे से भी कम समय में। Drais ने साइकिल के पहियों का आकार एक जैसा रखने के लिए उसमें बैरिंग का उपयोग किया। यह पहिये लोहे के बने थे। लोगों के द्वारा इस साइकिल को काफी पसंद किया गया।

बाजार में इसकी मांग को देखते हुए ऐसी 1000 से भी ज्यादा साइकिलों का निर्माण किया गया, खासकर पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में। लेकिन वक्त के साथ इसकी लोकप्रियता खत्म होती गई, क्योंकि धीरे-धीरे इस साइकिल से दुर्घटनाओं में वृद्धि होने लगी। जिसे देखते हुए यूरोप के कुछ शहरों ने इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया।

4. साइकिल में परिवर्तन

इसके बाद दुनियाभर के बुद्धिजीवियों ने इसमें सुधार करने के लिए अनेक कदम उठाए, जिसमें सबसे पहला नाम डेनिस जॉनसन का आता है। जॉनसन ने 1818 में घोषणा की कि वो इससे एक बेहतरीन मॉडल बनाएंगे जो ड्रैस के द्वारा बनाई गई साइकिल से बेहतर होगी।

जॉनसन ने ड्रैस के द्वारा बनाई गई साइकिल में एक परिवर्तन किया, जिसमें उन्होने साइकिल के ऊपरी सतह को सीधे की बजाए सर्पीले आकार में रखा। लेकिन डिज़ाइन बिल्कुल ड्रैस की साइकिल की तरह ही था। यह कुछ समय तक तो बाजार में लोगों को पसंद आई, लेकिन धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता खत्म हो गई।

ऐसा नहीं है कि हमेशा से ही दो पहियों वाली साइकिल का ही आविष्कार हुआ था। वर्ष 1820 से 1850 के बीच में चार पहियों वाली साइकिल का प्रचलन भी शुरू हुआ। इसका श्रेय Willard Sawyer को दिया जाता है। Sawyer ने इस दौरान भारी मात्रा में ऐसी साइकिलों का उत्पादन किया जिनमें तीन या चार पहिये थे।

1860 के दशक में फ्रांसीसी आविष्कारक Pierre Lallement, Pierre Michaux और Ernest Michaux ने साइकिल में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए। इन्होनें आगे के पहिये को पैडल के साथ जोड़ा। यह दुनिया की पहली साइकिल थी, जिसमें पैडल जोड़े गए थे। लेकिन इस साइकिल में भी बहुत कमियाँ थी।

Pierre Michaux ने 1867 में 1869 में William Ven Anden (New York, USA) ने सबसे पहले साइकिल के लिए फ्रीव्हील का आविष्कार किया। जिसका अर्थ है कि साइकिल चालक बिना पैडल मारे साइकिल चला सकता था। Anden ने इसके लिए आगे के पहिये में एक सॉफ्ट डिवाइस रखा।

5. बड़े पहिये वाली साइकिल का प्रचलन

इस साइकिल में आगे का पहिया काफी बड़ा होता था। इसलिए इन्हें बड़े पहियों वाली साइकिल का नाम दिया गया। Eugène Meyer (फ्रांसीसी व्यक्ति) को इस आविष्कार का पिता कहा जाता है, क्योंकि इन्होने ही सर्वप्रथम इस मॉडल को दुनिया के सामने रखा।

James Starley को Meyer का यह डिज़ाइन काफी पसंद आया। इसलिए इन्होने बड़ी मात्रा में ऐसी साइकिलों का उत्पादन किया। इस साइकिल के आगे का पहिया तकरीबन 1.5 मीटर व्यास का था, जो पहली बार में देखने पर काफी बड़ा लगता था। तथा पीछे का पहिया काफी छोटा था।

फिर धीरे-धीरे इसमें तीन पहियों का प्रचलन भी शुरू हुआ, जिसमें आगे के दो पहिये बड़े आकार के थे और तीसरा पहिया छोटे आकार का था। इसी तरह फिर चार पहियों वाली साइकिल का निर्माण भी किया गया। इसमें भी दो बड़े पहिये आगे की तरफ और दो छोटे पहिये पीछे की तरफ थे।

6. आधुनिक साइकिल का निर्माण (The Safety Bicycle)

Safety Bicycle को साइकिल के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण बदलाव माना जाता है। इस साइकिल का उपयोग आम जनता भी करने लगी, क्योंकि यह पहले की साइकिलों से ज्यादा सुरक्षित और चलाने में आसान थी। धीरे-धीरे सभी उम्र के पुरुष और महिलाओं ने इस साइकिल को एक परिवहन का उपकरण बना लिया।

दुनिया की पहली Safety Bicycle को Henry Lawson ने साल 1876 में डिज़ाइन किया था। 1879 में इसी डिज़ाइन में पहली बार चैन का प्रयोग किया गया। यह चैन आगे के पहिये से जुड़ी हुई थी। लेकिन साइकिल में अभी तक एक पहिया बड़ा और एक पहिया छोटा था। इस कारण यह बाज़ार में अपना प्रभाव छोडने में कामयाब नहीं हो पाई। Henry की इस साइकिल को लोगों ने मगरमच्छ का नाम दिया।

10 अक्टूबर, 1989 को एक अफ्रीकी-अमेरिकी आविष्कारक Isaac R Johnson ने एक ऐसा फ्रेम तैयार किया, जो आज की आधुनिक साइकिल में लगे फ्रेम जैसा था। इस फ्रेम में चैन पीछे के पहिये और पैडल से जुड़ी हुई थी। यह चैन काफी सरल और घूमने में आसान थी, जिससे पैडल मारने की गति अपने आप तेज हो जाती थी।

Johnson के द्वारा बनाई गई साइकिल 21वीं सदी की साइकिल से काफी मिलती-जुलती थी। लेकिन फिर भी इसमें कुछ कमियाँ थी, जिनमें समय के साथ सुधार होता गया। 20 वीं सदी की शुरुआत में साइकिल बनाने की होड़ शुरू हो गई थी, जिसने आज की आधुनिक साइकिल को जन्म दिया। खासकर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इसमें काफी परिवर्तन देखने को मिला।

दूसरे विश्वयुद्ध में अकेले जर्मनी में तकरीबन 41 साइकिल बनाने वाली कंपनियाँ स्थापित की गई। युद्ध में सैनिक ज्यादा से ज्यादा साइकिलों का उपयोग करते थे, इस कारण इन साइकिलों को Military Bicycle भी कहा गया।
तो यह था साइकिल का इतिहास, जो है तो बहुत छोटा लेकिन हमें बहुत कुछ सिखाता है।

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निष्कर्ष:

तो ये था साइकिल का आविष्कार किसने किया था और कब, हम उम्मीद करते है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको साइकिल के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी.

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