कार का आविष्कार किसने किया था और कब?

सड़कों पर तेज रफ्तार से दौड़ती कारें आज परिवहन का सबसे उत्तम साधन है। कार ने हमारे यात्रा में लगने वाले समय को बहुत कम कार दिया है। जहां हवाई जहाज, ट्रक, रेलगाड़ी, पानी वाले जहाज इंसान के लंबी दूरी तय करने के काम आते हैं, वहीं कार मध्यम दूरी के सफर के लिए अच्छा साधन है।

दुनिया के महान आविष्कारों में कार का आविष्कार भी अपनी एक खास जगह रखता है। पुराने समय में एक गाँव से दूसरे गाँव जाने में घंटो का समय लग जाता था। वो आज के समय में घटकर बस कुछ ही मिनटों का रह गया है। शहरों के बीच की दूरी अब घंटों में तय होने लगी है। इस तरह से कार के आविष्कार ने मनुष्य के जीवन को आसान बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

कार चार पहियों पर चलने वाला वो साधन है, जिसे एक आम आदमी भी आसानी से खरीद सकता है। हालांकि कारों के बहुत मॉडल होते है। जिनमें से कुछ की कीमत बहुत कम होती है और कुछ की बहुत ज्यादा। कार एक प्रकार की मोटर गाड़ी है, जिसे सामान्य भाषा में Automobile (मोटर गाड़ी) कहा जाता है।

चूंकि कार एक प्रकार की मोटर गाड़ी है, इसलिए हम आज के इस लेख में मोटर गाड़ी के आविष्कार के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। कार का इतिहास काफी रोमांचकारी और ज्ञानवर्धक है, जिसमें हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। तो आइए शुरू करते हैं कार का आविष्कार किसने किया था?

कार का इतिहास

कार का इतिहास उस सड़क की तरह है जो बहुत लंबी और घुमावदार है। इसके इतिहास में इस बात का पता लगाना बहुत मुश्किल है कि कार का आविष्कार किसने किया था? लेकिन अगर आप आज के समय में चलने वाली GPS, Automatic कारों के विकास को भूल जाते हैं, तो आपके सामने Benz Motor Car सामने आएगी।

यह एक ऐसी कार थी जो कुछ-कुछ घोड़ागाड़ी जैसी थी। लेकिन इसमें आगे की तरफ घोड़े की जगह एक पहिया लगा हुआ था जो गैस पर चलती थी। इस तरह से यह मोटर कार तीन पहियों पर चलने वाली कार थी।

सबसे पहले Karl Benz ने 1986 में तीन पहियों वाली मोटर गाड़ी का आविष्कार किया था, जिसे “मोटरवेगन” के नाम से जाना गया। यह पहली आधुनिक मोटर गाड़ी थी। बेंज ने ऑटोमोबाइल के लिए अपने स्वयं के थ्रॉटल सिस्टम, स्पार्क प्लग, गियर शिफ्टर्स, एक पानी रेडिएटर, एक कार्बोरेटर और अन्य बुनियादी वस्तुओं का आविष्कार किया।

यह सभी उस तीन पहियों वाली मोटर गाड़ी में इस्तेमाल होती थी। बेंज ने अंततः एक कार कंपनी बनाई जो आज भी Daimler Group के रूप में मौजूद है। इस तरह से “Karl Benz” को Automobile के आविष्कारक के रूप में जाना जाता है।

कार का लंबा इतिहास

लियोनार्डो दा विंची ने 1500 के दशक की शुरुआत में एक बिना घोड़े वाली, मशीनीकृत गाड़ी का स्केच बनाया था। उनके कई डिजाइनों की तरह, यह उनके जीवनकाल में नहीं बनाया गया था। हालांकि, लियोनार्डो के आखिरी घर (जो अब एक संग्रहालय है) शैटॉ क्लोस लुसे में यह डिज़ाइन अभी भी मौजूद है।

जनरल मोटर्स के अनुसार, हवा से चलने वाले नौकायन रथ चीन में पहले से ही इस्तेमाल किए जाते थे। जब पहली बार पश्चिमी लोग चीन आए तो उन्होंने इसे नजदीक से देखा। इसके बाद 1600 इसवीं में हॉलैंड के रहने वाले साइमन स्टीवन ने एक ऐसा वाहन बनाया जिसमें 28 लोगों को एक साथ ले जाने की सुविधा थी। इसके अलावा इससे 60 किलोमीटर की दूरी 2 घंटों में तय की जाती थी।

निकोलस-जोसेफ कगनॉट एक फ्रांसीसी इंजीनियर, जिसने 1769 में एक भाप इंजन के साथ एक स्व-चालित वाहन का निर्माण किया। उन्होंने इसका इस्तेमाल तोपखाने के टुकड़ों को स्थानांतरित करने के लिए किया था। उनके इस वाहन के चलने की गति (2 मील प्रति घंटे या 3.2 किमी / घंटा) थी और उसे हर 20 मिनट के बाद रुकना पड़ता था।

क्योंकि उसमें भाप की कमी हो जाती थी और उसे भरने के लिए तकरीबन 30 मिनट का समय लगता। परंतु भारी सामान को ढोने के लिए यह एक उत्तम साधन था। इस तरह से धीरे-धीरे कार का आविष्कार हो रहा था।

अंतः दहन इंजन (Internal combustion engines) अन्तः दहन इंजन को समझना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन अगर आप इसके अलग-अलग पार्ट्स को ध्यान से समझ लेते हैं तो यह आसानी से समझ में आ जाएगा। इसमें ईंधन और ऑक्सीकारक पदार्थ एक जगह दहकते हैं। इस प्रक्रिया से ऊष्मा ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है, जिससे उच्च ताप और दाब वाली गैसों का निर्माण होता है।

इसके बाद यह गैसें इंजन में पिस्टन को अंदर की तरफ तेजी से धकेलती है। जब पिस्टन अंदर की तरफ जाता है तो इसमें लगी एक रोड़ क्रेंक शाफ्ट को तेजी से घूमाने लग जाती है। यह शाफ्ट कार के पहियों से जुड़ा होता है, इस प्रकार जैसे शाफ्ट घूमने लगती है वैसे ही पहिये भी घूमने लगते हैं। इस तरह से ऊष्मीय ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा का रूप ले लेती है और कार एक स्थान से चलने लगती है।

अन्तः दहन इंजन का संक्षिप्त इतिहास

Christiaan Huygens (एक खगोलशास्त्री) ने 1680 में इस तरह के इंजन का एक डिज़ाइन तैयार किया था। परंतु इन्होंने बारूद से चलने वाले इस तरह के इंजन का निर्माण नहीं किया था।

इसके बाद 1826 में एक अंग्रेज़ Samuel Brown ने एक भाप इंजन को गैसोलिन इंजन के रूप में बदला। उन्होंने अपने इस प्रयोग में इस इंजन को गाड़ी में रखा। परंतु यह उतना कारगर साबित नहीं हुआ और इसे व्यापक से इस्तेमाल नहीं किया गया।

Jean Joseph-Etienne Lenoir ने 1858 में कोयला गैस ईंधन द्वारा वाले दोहरी भूमिका निभाने वाले, इलेक्ट्रिक स्पार्क-इग्निशन आंतरिक दहन इंजन का आविष्कार किया। कुछ समय बाद उन्होंने उस इंजन में सुधार किया ताकि यह पेट्रोलियम पर चले। फिर उन्होंने इसे तीन पहियों वाले वैगन से जोड़ा और 50 मील तक दूरी तय की।

1873 में अमेरिकी इंजीनियर जॉर्ज ब्रेटन ने Two-Stroke केरोसिन इंजन विकसित किया। इसे पहला सुरक्षित और व्यावहारिक तेल इंजन माना जाता है।

फिर 1876 में निकोलस ऑगस्ट ओटो ने जर्मनी में पहले Four-Stroke इंजन का आविष्कार किया।
इसके बाद 1885 में जर्मनी के गॉटलिब डेमलर ने आधुनिक गैसोलीन इंजन के प्रोटोटाइप का आविष्कार किया। जिसने अन्तः दहन इंजन के विकास में एक और कदम आगे बढ़ाया।

फिर 1895 में एक फ्रांसीसी आविष्कारक रूडोल्फ डीजल ने एक डीजल इंजन को विकसित किया। जो एक कुशल, संपीड़न प्रज्वलन, आंतरिक दहन इंजन था। इस तरह से अन्तः दहन इंजन का आविष्कार हुआ।

इलेक्ट्रिक कार

इलेक्ट्रिक कारें 19वीं शताब्दी के मध्य तक उपयोग में ली जाती थी। परंतु Henry Ford द्वारा मॉडल-टी नामक कर विकसित होने के बाद इनका प्रचलन बंद हो गया। लेकिन हाल ही के वर्षों में फिर से इलेक्ट्रिक कारों की वापसी हुई है।

भारत में पिछले कुछ वर्षों के आँकड़े देखें तो हर वर्ष 50,000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें रजिस्टर हुई है। आंतरिक दहन इंजन की तरह इस तकनीक का भी एक लंबा इतिहास है। इस कारण इस बात का पता लगाना बहुत मुश्किल है कि असल में इनका आविष्कार किसने किया था।

AutomoStory की एक रिपोर्ट के अनुसार दो आविष्कारकों को आमतौर पर पहली इलेक्ट्रिक कार बनाने का श्रेय दिया जाता है। जिनमें से एक स्कॉटिश आविष्कारक Robert Anderson और दूसरे अमेरिकी आविष्कारक Thomas Davenport है।

पहली रिचार्जेबल बैटरी का आविष्कार 1865 में एक फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी Gaston Plante द्वारा किया गया था। इस बैटरी ने इलेक्ट्रिक कार के शुरुआती मॉडल में इस्तेमाल की जाने वाली बिना रिचार्जेबल बैटरी की जगह ले ली थी।

1881 में फ्रांसीसी रसायनज्ञ Camille Faure ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए Plante द्वारा बनाई गई बैटरी में सुधार किया। जिसका उन्होंने लीड एसिड बैटरी के रूप में उपयोग की।

Des Moines, Lowa के रहने वाले William Morrison ने सबसे पहले 1891 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली सफलतापूर्वक इलेक्ट्रिक कार का आविष्कार किया था।

Camille Jénatzy एक बेल्जियन रेस कार ड्राइवर ने 1899 एक कार का आविष्कार किया। जिसने 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़कर एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उनकी कार को La Jamais Contente के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ होता है- “कभी संतुष्ट नहीं।”

जर्मन ऑटोमोटिव इंजीनियर फर्डिनेंड पोर्श (Ferdinand Porsche) ने 1900 में पहली हाइब्रिड कार का आविष्कार किया था।
थॉमस एडिसन ने 1907 में एक nickel-alkaline बैटरी विकसित की जो कारों में इस्तेमाल होने वाली लेड-एसिड बैटरी की तुलना में अधिक टिकाऊ और कम खतरनाक थी।

यह बैटरी अधिकांश लोगों तक अपनी पहुँच नहीं बना पाई क्योंकि इसकी प्रारंभिक कीमत बहुत अधिक थी। लेकिन इसके स्थायित्व और लंबे समय तक चलने के कारण इसे कई कंपनियों के डिलीवरी ट्रकों में फिट किया गया था।

वक्त के साथ इलेक्ट्रि कारों ने अपनी लोकप्रियता बनाई रखी और 1895 में USA में पहली Automobile Race का आयोजन किया गया। इस रेस में शिकागो से वौकेगन (52 मील) की दूरी को तय करना था। इस तरह से यह दुनिया के इतिहास में पहली आधुनिक वाहनों की रेस थी।

इस रेस में विजेता को यह दूरी तय करने में तकरीबन 10 घंटे 23 मिनट (तकरीबन 5 मील/घंटा की रफ्तार) का समय लगा। इस रेस में कुल 6 वाहनों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से दो इलेक्ट्रिक कारें थी।

परंतु जब हेनरी फोर्ड ने 1908 में मॉडल टी कार बाजार में पेश की, तो सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली गैसोलीन से चलने वाली कार बहुत लोकप्रिय हो गई और इलेक्ट्रिक कारों का पतन शुरू हो गया। 1920 के दशक तक गैसोलीन सस्ता और अधिक आसानी से उपलब्ध होने लगा। जिस कारण लोग अधिक से अधिक दूरी की यात्रा आसानी से तय करने लगे।

इलेक्ट्रिक कारों में वह रेंज नहीं थी जो गैस से चलने वाली कारों के पास थी। इस समय तक कई गांवों और शहरों में बिजली आसानी से उपलब्ध नहीं थी। जिससे गैसोलीन से चलने वाली कारें लोगों की पहली पसंद बन गईं।

परंतु 20वीं सदी के अंत तक आते-आते दुनियाभर में गैसोलीन की कमी होने लगी और विदेशों में तेल की कीमतें बढ़ने लगी। तेल में हुई इस कमी ने दुनियाभर की सरकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा। जिसके परिणामस्वरूप हाइब्रिड कारों के विकास पर रिसर्च शुरू होने लगी।

1997 में जापान में विकसित Toyota Prius दुनिया की पहली बड़े पैमाने पर उत्पादित हाइब्रिड कार थी और 2000 तक दुनिया भर के बाज़ारों में उपलब्ध थी। इसके अलावा Honda Insight हाइब्रिड कार 1999 में संयुक्त राज्य अमेरिका में बाजार में Honda के द्वारा पेश की गई थी।

टेस्ला मोटर्स ने 2003 में एक लक्ज़री ऑल-इलेक्ट्रिक कार का विकास और उत्पादन शुरू किया। जो एक बार चार्ज करने पर 200 मील से अधिक की दूरी तय करे। इसके बाद Tesla ने 2008 में इस तरह की कर का पहला मॉडल ऑटोमोबाइल मार्केट में पेश किया।

2010 में रिलीज की गई Chevrolet Volt पहली कार है, जिसमें दोहरा प्लग-इन-इंजन मौजूद है। इसमें अगर कार की बैटरी खत्म हो जाए तो यह अपने आप गैसोलीन के इंजन पर स्थानांतरित हो जाता है। Nissan LEAF को 2010 में ही बाजार में उतारा गया था, लेकिन यह Tesla के S मॉडल की तुलना में लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध थी।

आज लगभग हर बड़ी और कई छोटी ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड मॉडल विकसित कर रही हैं। जिसमें दोहरे इंजन का उपयोग होता हो, ताकि ऊर्जा का रूप खत्म हो तो दूसरा अपने आप शुरू हो जाए।

कार का आविष्कार (Innovative and Entrepreneurial)

कार्ल बेंज़ को ऑटोमोबाइल का आविष्कार करने का श्रेय इसलिए दिया जाता है क्योंकि उनकी कार व्यावहारिक थी, गैसोलीन से चलने वाले आंतरिक-दहन इंजन का इस्तेमाल करती थी। साथ ही यह आज की आधुनिक कारों की तरह काम करती थी।

बेंज का जन्म 1844 में दक्षिण पश्चिम जर्मनी के एक शहर कार्लज़ूए में हुआ था। उनके पिता एक रेलवे कर्मचारी थे, जब बेंज 2 वर्ष का था तो उनकी एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। गरीब होने के बावजूद बेंज की मां ने उनको शिक्षित करने में अपने पैर पीछे नहीं खींचे।

उन्हें 15 साल की उम्र में कार्लज़ूए विश्वविद्यालय में दाखिला मिला और 1864 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की।

बेंज़ का पहला व्यवसाय लोहे की फाउंड्री और शीट-मेटल वर्कशॉप पूरी तरह फ्लॉप हो गया था। हालांकि उनकी पत्नी बर्था रिंगर ने अपने दहेज का इस्तेमाल गैस इंजन बनाने वाली एक नई फैक्ट्री बनाने के लिए किया। इस तरह से बेंज एक हॉर्सलेस, गैस से चलने वाली गाड़ी का आविष्कार करने के लिए पूरी तरह से आजाद थे। अब उन्हें किसी प्रकार की कोई टेंशन नहीं थी।

बेंज ने 1888 तक निजी तौर पर अपनी मोटर कार के तीन प्रोटोटाइप बनाए थे। इनमें से एक प्रोटोटाइप का इस्तेमाल बर्था ने अपनी माँ के घर जाने के लिए किया। जो उनके घर से 66 मील की दूरी पर थी। इस सफल यात्रा ने Benz को कार में सुधार करने के काफी रास्ते सुझाए।

इससे प्रेरित होकर Benz ने एक नया मॉडल विकसित किया, जिसे उन्होंने 1889 में पेरिश में लोगों के सामने पेश किया। इस मॉडल का नाम Model 3 Motorwagen दिया गया। इस तरह से Benz ने लोगों को दिखाया की Automobile हमारे लिए कितने उपयोगी है।

1929 में Karl Benz की मृत्यु हो गई, जब वे अपने साथी कार-निर्माता गोटलिब डेमलर (Gottlieb Daimler) की कंपनी के साथ विलय के ठीक दो साल बाद मर्सिडीज-बेंज के निर्माता डेमलर ग्रुप का निर्माण कर रहे थे।

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निष्कर्ष:

तो ये था कार का आविष्कार किसने किया था और कब, हम उम्मीद करते है की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको कार के आविष्कार के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी.

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